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tmc: mamata banerjee is bringing leaders from congress and other parties to expand her party across the country, know the loss of whose, congress or bjp
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टीएमसी: ममता का 'देश भर में फैलो और पार्टी तोड़ो अभियान' जारी, जानिए नुकसान कांग्रेस का या भाजपा का
लाल कृष्ण आडवाणी के करीबी रहे सुधींद्र कुलकर्णी और जावेद अख्तर ने मंगलवार को टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से मुलाकात की है। कयास लग रहे हैं दोनों तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ जद (यू) से पवन वर्मा टीएमसी में शामिल हो गए हैं। कहा जा रहा है कि टीएमसी में शामिल होने वाले नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी अभी दिल्ली दौरे पर हैं और चर्चा हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकती हैं। उससे पहले ममता की मौजदूगी में कांग्रेस के पूर्व नेता अशोक तंवर और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद टीएमसी में शामिल हो गए हैं। राष्ट्रीय राजनीति में आने और पार्टी का देश भर में विस्तार करने के मकसद से तृणमूल कांग्रेस का पार्टी तोड़ो अभियान जारी है। इसके लिए टीमसी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) समेत कई पार्टियों के नेताओं को निशाना बना रही है ताकि अलग-अलग राज्यों में टीएमसी का संगठन मजबूत हो और 2024 के लोकसभा चुनाव में वह एक मजबूत संगठन और पैन इंडिया मौजूदगी के साथ उतर सकें।
सेक्युलर नेताओं के लिए टीएमसी बना नया प्लेटफॉर्म
बंगाल की राजनीति को खूब समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार गौतम लहरी कहते हैं ममता उन्हीं लोगों को जोड़ रही हैं जो कांग्रेस या दूसरी पार्टियों में किनारा कर दिए गए हैं या उपेक्षित है। भाजपा में जो हार्ड कोर संघ की पृष्ठभूमि वाले लोग हैं वे तो टीएमसी में नहीं आएंगे, लेकिन सेक्युलर छवि वाले नेता जो एक दूसरे विकल्प की तलाश कर रहे हैं उन्हें टीएमसी एक प्लेटफॉर्म मुहैया करा रही है। यही सेक्युलर छवि वाले नेता पैन इंडिया टीएमसी की मौजदूगी के बाद 2024 में ममता को प्रधानमंत्री पद के लिए दमदार उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं।
कांग्रेस का विकल्प बनने की तैयारी
लहरी बताते हैं ‘टीएमसी कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही है। पार्टी इस मकसद में कितना कामयाब होगी यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का है, भाजपा को इससे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचने वाला। चूंकि कांग्रेस अभी राज्यों में कमजोर स्थिति में है और तृणमूल कांग्रेस में नेताओं को एक उम्मीद नजर आ रही है’।
सूत्रों ने बताया कि सितंबर में उत्तरी कोलकाता में पार्टी की आंतरिक बैठक में वरिष्ठ सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 2024 के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी विपक्ष का चेहरा होंगी न कि राहुल गांधी। उन्होंने कहा कि मैंने राहुल गांधी को लंबे समय से देखा है और उन्होंने खुद को मोदी के विकल्प के रूप में विकसित नहीं किया है। पूरा देश ममता चाहता है इसलिए हम ममता का चेहरा रखेंगे और प्रचार करेंगे।
मुकुल रॉय के कंधों पर जिम्मा
बताया जा रहा है कि इसी मकसद को हासिल करने के लिए मुकुल रॉय जो हाल ही में भाजपा से टीएमसी में लौटे हैं और कुशल आयोजक माने जाते हैं, उन्हें ही देश भर में पार्टी को फैलाने का प्रभार दिया गया है। वे पार्टी महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ मिलकर तृणमूल गोवा, त्रिपुरा, असम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार गुजरात और हरियाणा समेत कई राज्यों में अपने संगठन का विस्तार कर रही है। इसी कड़ी में हर राज्य में युवा और प्रभावशाली नेताओं को पार्टी से जोड़ा जा रहा है। इस तरह टीएमसी का संगठन राज्यों में दिखेगा और टीएमसी के लिए माहौल बनेगा।
हरियाणा में करुंगा टीएमसी का विस्तार-तंवर
पूर्व कांग्रेस नेता अशोक तंवर ने अमर उजाला डिजिटल को बताया कि टीएमसी पूरे देश में काम करेगी। ‘दीदी’ (ममता बनर्जी) के नेतृत्व में हरियाणा में भी पार्टी का विस्तार होगा। तंवर एक समय में राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे और उन्होंने हरियाणा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ दी थी। राहुल गांधी की ही करीबी रहीं सुष्मिता देव ने भी कुछ महीने पहले कांग्रेस छोड़ दी और वे टीएमसी में शामिल हो गईं। जिस समय देव टीएमसी में गईं वे महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं।
तंवर 2009 से 2014 तक सिरसा से सांसद रहे और अक्तूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले ही टिकट वितरण में अनियमितता के आरोप लगाते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी। इसी साल फरवरी में उन्होंने 'अपना भारत मोर्चा' नाम से नई राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की थी। नए पार्टी में शामिल होने से तंवर खुश हैं और कहते हैं अपनी नई जिम्मेदारी को निभाने में कोई कसर नहीं छोडूंगा।
अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के इरादे जता दिए थे
ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी जिन्हें इसी साल पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया है। उन्होंने टीएमसी की जीत के बाद जून में पार्टी के इरादे जता दिए थे और कहा था हम सत्ता मे आने के लिए हर राज्य में लड़ेंगे, एक दो सीट के लिए नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा था विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए टीएमसी को धन्यवाद देते हुए पूरे भारत के लोगों से लगभग एक लाख ईमेल मिले थे। हम हर उस राज्य में भाजपा से भिड़ेंगे जहां टीएमसी ने अपनी नींव रखी है।
उन्होंने कहा था टीएमसी को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का यह प्रयास हमारे पिछले प्रयासों से बहुत अलग होगा। हम सिर्फ एक या दो विधायक बनाने या अपना वोट शेयर बढ़ाने के लिए किसी भी राज्य में नहीं जाएंगे। हम भाजपा से मुकाबला करेंगे और चुनाव जीतेंगे।"
लोग ममता बनर्जी की ओर देख रहे
यह पूछे जाने पर कि क्या टीएमसी सुप्रीमो 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का नेतृत्व कर सकती हैं, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा ‘हम ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के नाम से जाने जाते हैं लेकिन अभी तक हम केवल बंगाल में थे। अब वाकई नाम के अनुरूप काम करने की मंशा है...पूरे भारत में फैलने की और हम कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं छोड़ना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि 2024 तक ममता बनर्जी विपक्ष के नेता का मुख्य चेहरा बनें।
वे कहते हैं पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के बाद दीदी के लिए प्रशंसा की बाढ़ आ गई है और लोग देश और संविधान को बचाने के लिए ममता बनर्जी की ओर देख रहे हैं। इसलिए जहां पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं में (टीएमसी के भी) भाजपा में जाने की होड़ थी, अब टीएमसी में आने की जल्दी है।
पश्चिम बंगाल में अक्तूबर तक पांच भाजपा विधायक टीएमसी में आ गए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं ने टीमसी की राह पकड़ ली है। इसी तरह त्रिपुरा में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और गोवा के कांग्रेस के पूर्व सीएम लुईजिन्हो फलेरियो भी टीएमसी में शामिल हो गए हैं। दूसरी पार्टी से आए नेताओं को टीएमसी सम्मानजनक जगह भी दे रही है। सुष्मिता देव को पहले ही राज्यसभा सांसद बना दिया गया है। अब फलेरियो को बंगाल से राज्यभा के लिए चुने गए हैं। हालांकि भाजपा से आए बाबुल सुप्रीयो अभी भी पद और जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
राज्यसभा में भी बनेगी पैन इंडिया इमेज
गौतम लहरी कहते हैं ‘ममता जिन बड़े कद वाले नेताओं को टीएमसी में ला रही है उन्हें राज्यसभा की सीटें भी दे रही हैं, क्योंकि पार्टी के पास राज्यसभा की सीटों के लिए गुंजाइश है और नेताओं को सम्मानजनक जगह देना आसान है। अगले साल राज्यसभा की चार सीटें टीएमसी को मिलेगी। इसी तरह 2023 में पांच सीटें मिल सकती हैं। इस तरह राज्यसभा में भी टीएमसी की पैन इंडिया की इमेज बनेगी’।
हालांकि कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जुनूनी हैं, वे जो ठान लेती हैं, वे कर लेती है, लेकिन अन्य राज्यों में अपनी पहचान बनाना ममता बनर्जी की पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। पर्यवेक्षक मानते हैं कि यदि टीएमसी की महत्वाकांक्षा पश्चिम बंगाल से बाहर देश भर में विस्तार की है तो इसे पूरा करने में पार्टी को कई चुनौतियों का सामना करना होगा, क्योंकि कोई भी क्षेत्रीय दल जिस राज्य से है, वह उस राज्य के बाहर सरकार बनाने में सक्षम नहीं हुई है।
विस्तार
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी अभी दिल्ली दौरे पर हैं और चर्चा हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकती हैं। उससे पहले ममता की मौजदूगी में कांग्रेस के पूर्व नेता अशोक तंवर और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद टीएमसी में शामिल हो गए हैं। राष्ट्रीय राजनीति में आने और पार्टी का देश भर में विस्तार करने के मकसद से तृणमूल कांग्रेस का पार्टी तोड़ो अभियान जारी है। इसके लिए टीमसी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) समेत कई पार्टियों के नेताओं को निशाना बना रही है ताकि अलग-अलग राज्यों में टीएमसी का संगठन मजबूत हो और 2024 के लोकसभा चुनाव में वह एक मजबूत संगठन और पैन इंडिया मौजूदगी के साथ उतर सकें।
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तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी अभी दिल्ली दौरे पर हैं और चर्चा हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकती हैं। उससे पहले ममता की मौजदूगी में कांग्रेस के पूर्व नेता अशोक तंवर और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद टीएमसी में शामिल हो गए हैं। राष्ट्रीय राजनीति में आने और पार्टी का देश भर में विस्तार करने के मकसद से तृणमूल कांग्रेस का पार्टी तोड़ो अभियान जारी है। इसके लिए टीमसी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) समेत कई पार्टियों के नेताओं को निशाना बना रही है ताकि अलग-अलग राज्यों में टीएमसी का संगठन मजबूत हो और 2024 के लोकसभा चुनाव में वह एक मजबूत संगठन और पैन इंडिया मौजूदगी के साथ उतर सकें।
सेक्युलर नेताओं के लिए टीएमसी बना नया प्लेटफॉर्म
बंगाल की राजनीति को खूब समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार गौतम लहरी कहते हैं ममता उन्हीं लोगों को जोड़ रही हैं जो कांग्रेस या दूसरी पार्टियों में किनारा कर दिए गए हैं या उपेक्षित है। भाजपा में जो हार्ड कोर संघ की पृष्ठभूमि वाले लोग हैं वे तो टीएमसी में नहीं आएंगे, लेकिन सेक्युलर छवि वाले नेता जो एक दूसरे विकल्प की तलाश कर रहे हैं उन्हें टीएमसी एक प्लेटफॉर्म मुहैया करा रही है। यही सेक्युलर छवि वाले नेता पैन इंडिया टीएमसी की मौजदूगी के बाद 2024 में ममता को प्रधानमंत्री पद के लिए दमदार उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं।
कांग्रेस का विकल्प बनने की तैयारी
लहरी बताते हैं ‘टीएमसी कांग्रेस का विकल्प बनने की कोशिश कर रही है। पार्टी इस मकसद में कितना कामयाब होगी यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का है, भाजपा को इससे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचने वाला। चूंकि कांग्रेस अभी राज्यों में कमजोर स्थिति में है और तृणमूल कांग्रेस में नेताओं को एक उम्मीद नजर आ रही है’।
मुकुल रॉय
- फोटो : Facebook : @MukulRoyOfficial
सूत्रों ने बताया कि सितंबर में उत्तरी कोलकाता में पार्टी की आंतरिक बैठक में वरिष्ठ सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि 2024 के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी विपक्ष का चेहरा होंगी न कि राहुल गांधी। उन्होंने कहा कि मैंने राहुल गांधी को लंबे समय से देखा है और उन्होंने खुद को मोदी के विकल्प के रूप में विकसित नहीं किया है। पूरा देश ममता चाहता है इसलिए हम ममता का चेहरा रखेंगे और प्रचार करेंगे।
मुकुल रॉय के कंधों पर जिम्मा
बताया जा रहा है कि इसी मकसद को हासिल करने के लिए मुकुल रॉय जो हाल ही में भाजपा से टीएमसी में लौटे हैं और कुशल आयोजक माने जाते हैं, उन्हें ही देश भर में पार्टी को फैलाने का प्रभार दिया गया है। वे पार्टी महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ मिलकर तृणमूल गोवा, त्रिपुरा, असम, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार गुजरात और हरियाणा समेत कई राज्यों में अपने संगठन का विस्तार कर रही है। इसी कड़ी में हर राज्य में युवा और प्रभावशाली नेताओं को पार्टी से जोड़ा जा रहा है। इस तरह टीएमसी का संगठन राज्यों में दिखेगा और टीएमसी के लिए माहौल बनेगा।
अशोक तंवर टीएमसी में शामिल हुए
- फोटो : Twitter : @AITCofficial
हरियाणा में करुंगा टीएमसी का विस्तार-तंवर
पूर्व कांग्रेस नेता अशोक तंवर ने अमर उजाला डिजिटल को बताया कि टीएमसी पूरे देश में काम करेगी। ‘दीदी’ (ममता बनर्जी) के नेतृत्व में हरियाणा में भी पार्टी का विस्तार होगा। तंवर एक समय में राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे और उन्होंने हरियाणा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ दी थी। राहुल गांधी की ही करीबी रहीं सुष्मिता देव ने भी कुछ महीने पहले कांग्रेस छोड़ दी और वे टीएमसी में शामिल हो गईं। जिस समय देव टीएमसी में गईं वे महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं।
तंवर 2009 से 2014 तक सिरसा से सांसद रहे और अक्तूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले ही टिकट वितरण में अनियमितता के आरोप लगाते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी। इसी साल फरवरी में उन्होंने 'अपना भारत मोर्चा' नाम से नई राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की थी। नए पार्टी में शामिल होने से तंवर खुश हैं और कहते हैं अपनी नई जिम्मेदारी को निभाने में कोई कसर नहीं छोडूंगा।
अगरतला में अभिषेक बनर्जी
- फोटो : एएनआई
अभिषेक बनर्जी ने पार्टी के इरादे जता दिए थे
ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी जिन्हें इसी साल पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया है। उन्होंने टीएमसी की जीत के बाद जून में पार्टी के इरादे जता दिए थे और कहा था हम सत्ता मे आने के लिए हर राज्य में लड़ेंगे, एक दो सीट के लिए नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा था विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए टीएमसी को धन्यवाद देते हुए पूरे भारत के लोगों से लगभग एक लाख ईमेल मिले थे। हम हर उस राज्य में भाजपा से भिड़ेंगे जहां टीएमसी ने अपनी नींव रखी है।
उन्होंने कहा था टीएमसी को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का यह प्रयास हमारे पिछले प्रयासों से बहुत अलग होगा। हम सिर्फ एक या दो विधायक बनाने या अपना वोट शेयर बढ़ाने के लिए किसी भी राज्य में नहीं जाएंगे। हम भाजपा से मुकाबला करेंगे और चुनाव जीतेंगे।"
लोग ममता बनर्जी की ओर देख रहे
यह पूछे जाने पर कि क्या टीएमसी सुप्रीमो 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का नेतृत्व कर सकती हैं, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा ‘हम ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के नाम से जाने जाते हैं लेकिन अभी तक हम केवल बंगाल में थे। अब वाकई नाम के अनुरूप काम करने की मंशा है...पूरे भारत में फैलने की और हम कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं छोड़ना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि 2024 तक ममता बनर्जी विपक्ष के नेता का मुख्य चेहरा बनें।
वे कहते हैं पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के बाद दीदी के लिए प्रशंसा की बाढ़ आ गई है और लोग देश और संविधान को बचाने के लिए ममता बनर्जी की ओर देख रहे हैं। इसलिए जहां पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं में (टीएमसी के भी) भाजपा में जाने की होड़ थी, अब टीएमसी में आने की जल्दी है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी।
- फोटो : ANI
पश्चिम बंगाल में अक्तूबर तक पांच भाजपा विधायक टीएमसी में आ गए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं ने टीमसी की राह पकड़ ली है। इसी तरह त्रिपुरा में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और गोवा के कांग्रेस के पूर्व सीएम लुईजिन्हो फलेरियो भी टीएमसी में शामिल हो गए हैं। दूसरी पार्टी से आए नेताओं को टीएमसी सम्मानजनक जगह भी दे रही है। सुष्मिता देव को पहले ही राज्यसभा सांसद बना दिया गया है। अब फलेरियो को बंगाल से राज्यभा के लिए चुने गए हैं। हालांकि भाजपा से आए बाबुल सुप्रीयो अभी भी पद और जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
राज्यसभा में भी बनेगी पैन इंडिया इमेज
गौतम लहरी कहते हैं ‘ममता जिन बड़े कद वाले नेताओं को टीएमसी में ला रही है उन्हें राज्यसभा की सीटें भी दे रही हैं, क्योंकि पार्टी के पास राज्यसभा की सीटों के लिए गुंजाइश है और नेताओं को सम्मानजनक जगह देना आसान है। अगले साल राज्यसभा की चार सीटें टीएमसी को मिलेगी। इसी तरह 2023 में पांच सीटें मिल सकती हैं। इस तरह राज्यसभा में भी टीएमसी की पैन इंडिया की इमेज बनेगी’।
हालांकि कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जुनूनी हैं, वे जो ठान लेती हैं, वे कर लेती है, लेकिन अन्य राज्यों में अपनी पहचान बनाना ममता बनर्जी की पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। पर्यवेक्षक मानते हैं कि यदि टीएमसी की महत्वाकांक्षा पश्चिम बंगाल से बाहर देश भर में विस्तार की है तो इसे पूरा करने में पार्टी को कई चुनौतियों का सामना करना होगा, क्योंकि कोई भी क्षेत्रीय दल जिस राज्य से है, वह उस राज्य के बाहर सरकार बनाने में सक्षम नहीं हुई है।
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