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The risk of bladder cancer is four times higher in smokers, ICMR made guidelines
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चिंता: धूम्रपान करने वालों में मूत्राशय कैंसर का खतरा चार गुना अधिक, आईसीएमआर ने बनाए दिशा-निर्देश
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 18 Mar 2023 05:55 AM IST
सार
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आईसीएमआर ने यूरिन ब्लैडर कैंसर के इलाज को लेकर नए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, जिस पर प्रतिक्रिया मांगी गई है। इसमें जांच से लेकर उपचार तक के नियम शामिल हैं, जिससे जिला और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात स्वास्थ्यकर्मी को उपचार करने में आसानी रहेगी।
धूम्रपान करने वालों में मूत्राशय कैंसर का जोखिम चार गुना अधिक है। ग्लोबोकॉन 2020 के अनुसार यह कैंसर भारत में 17वां सबसे आम है। इसकी वजह से देश में सालाना 11 हजार से अधिक लोगों की मौतें हो रही हैं।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यूरिन ब्लैडर कैंसर के इलाज को लेकर नए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, जिस पर प्रतिक्रिया मांगी गई है। इसमें जांच से लेकर उपचार तक के नियम शामिल हैं, जिससे जिला और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात स्वास्थ्यकर्मी को उपचार करने में आसानी रहेगी।
आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि देश में प्रति एक लाख की आबादी पर 3.57 लोग मूत्राशय कैंसर से पीड़ित हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुष इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली में सबसे ज्यादा इस कैंसर के मरीज मिलते हैं। यहां एक लाख की आबादी पर 7.4 लोग ब्लैडर कैंसर के शिकार हैं। इसके बाद तिरुवनंतपुरम (4.9) और कोलकाता (4.0) है। डिब्रूगढ़ (1.1) में सबसे कम हैं। वहीं, महिलाओं की बात करें तो इसमें भी दिल्ली आगे है। यहां एक लाख की आबादी पर 1.7 महिलाओं में मूत्राशय कैंसर की शिकायत है। इसके बाद मुंबई (1.1) और मिजोरम (1.1) का स्थान है।
मेट्रो सिटी में तेजी से पांव पसार रहा : आईसीएमआर के मुताबिक दिल्ली, बंगलूरू और मुंबई जैसे शहरों में यह कैंसर लगातार बढ़ रहा है जबकि चेन्नई में कमी आई है। तंबाकू और धूम्रपान इसके मुख्य कारणों में है। वहीं धूम्रपान न करने वाले पुरुषों में इस कैंसर से होने वाली मौतें 31% हैं।
दिशा-निर्देशों में एमआरआई जांच तक शामिल आईसीएमआर के एक समूह ने 45 पेज के दिशानिर्देश तैयार किए हैं जिनमें शुरुआती जांच के तौर पर एमआरआई का विकल्प बेहतर बताया है। विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर मामलों में इस कैंसर में दर्द की शिकायत कम होती है। एमआरआई/सीटी के जरिए इसकी प्रारंभिक जांच की जा सकती है। यदि ट्यूमर साफ तौर पर दिखाई देता है तो उसका ट्रांस यूरेथ्रल रिसेक्शन किया जाना चाहिए। यदि मरीज सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं है तो कीमो या फिर रेडिएशन का विकल्प हो सकता है।
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