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Supreme Court: If GM mustard is not approved, will the country be destroyed
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: जीएम सरसों को मंजूरी नहीं मिली तो क्या देश का विनाश हो जाएगा?
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Amit Mandal
Updated Fri, 02 Dec 2022 05:19 AM IST
सार
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जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और बीवी नागरत्ना ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा कि क्या जीएम सरसों को पर्यावरण में इस्तेमाल करने के लिए जारी किए जाने के कुछ ऐसे परिणाम होंगे, जिन्हें बदला न जा सके।
जीन संवर्धित (जीएम) सरसों से पर्यावरणीय संक्रमण के खतरे की आशंका को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है, जीएम सरसों को पर्यावरणीय रूप से मंजूरी देने के पीछे ऐसे क्या अनिवार्य कारण हैं, जो पूरे नहीं हुए, तो देश का विनाश हो जाएगा। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि पश्चिमी देशों के उलट भारतीय किसान शिक्षित नहीं हैं। कृषि मेला और कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रमों के बावजूद वह जीन और आनुवंशिक बदलावों के बारे में नहीं समझते। यही जमीनी हकीकत है।
केंद्र ने कहा, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का विरोध विचारधारा के स्तर पर
वहीं, केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा, जीएम फसलों को लेकर कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का विरोध विचारधारा के स्तर पर है, न कि वैज्ञानिक सोच पर आधारित। इसी वर्ष 25 अक्तूबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने ट्रांसजेनिक रूप से बदले गए सरसों के हाइब्रिड डीएमएच-11 और इसके मूल जीन बर्नेस, बरस्तर और बार को पर्यावरणीय इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इनके इस्तेमाल से नए हाइब्रिड तैयार किए जा सकते हैं। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और बीवी नागरत्ना ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा कि क्या जीएम सरसों को पर्यावरण में इस्तेमाल करने के लिए जारी किए जाने के कुछ ऐसे परिणाम होंगे, जिन्हें बदला न जा सके। पीठ ने कहा, यही वह सवाल है जिसका जवाब दिया जाना जरूरी है। अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
सवाल अनिवार्यता का नहीं, प्रक्रिया का : केंद्र
अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी : सवाल अनिवार्यता का नहीं, बल्कि प्रक्रिया का है। सरकार ने कोर्ट की ओर से नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर प्रक्रिया का पालन कर इसे मंजूरी दी है। सवाल है कि याचिकाकर्ता विरोध में क्यों हैं? उनकी कुछ चिंता है, जिसे समझा जा सकता है, पर वे पूछ रहे हैं कि इस चक्कर में ही क्यों पड़ना। यह विचारधारा की स्थिति है।
सरकार विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर राय दे : पीठ
पीठ ने कहा, हम सरकार के स्तर पर किसी समस्या के बारे में नहीं कह रहे, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का परीक्षण कर रहे हैं। इसका कहना है, जीएम फसलें भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हैं। आपके मत के अनुसार यह राय विचारधारात्मक है। निश्चित रूप से यह रिपोर्ट अंतिम नहीं है और सरकार के लिए बाध्यकारी भी नहीं है। यह सिर्फ उनकी राय है। सरकार अपनी राय बताए।
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