कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पूर्व राजनीतिक सलाहकार, पार्टी के वर्तमान कोषाध्यक्ष नहीं रहे। अहमद पटेल की कोविड-19 संक्रमण से हुई मृत्यु निश्चित रूप से दु:खद है। सुबह-सुबह कभी कांग्रेस की आवाज रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता जर्नादन द्विवेदी को फोन करके पटेल के बारे में कुछ जानना चाहा। शोक संतप्त द्विवेदी ने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें औपचारिकता की भाषा नहीं आती। अभी नहीं समझ पा रहा हूं कि क्या कहूं और क्या न कहूं। अभी कुछ नहीं बोलूंगा।
सच कहें तो अहमद पटेल थे ही कुछ ऐसे। दोस्तों के दोस्त और विरोधियों से केवल विरोध के लिए दुश्मनी (विरोध) न करने वाले। कांग्रेस पार्टी में 2004 के बाद से 2014 तक अहमद पटेल का अपना एक स्वर्णकाल था। पटेल न केवल कांग्रेस की पृष्ठभूमि को समझते थे, बल्कि नेता, क्षेत्र, महत्व सब कुछ को बारीकी से उनमें समझ लेने की क्षमता थी।
कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव ने इसे अपूरणीय क्षति बताया है। उनके लिए दो शब्द कहते हुए संगठन महासचिव ने अहमद पटेल को एक अच्छा मार्ग दर्शक, प्रेरणा देने वाला और कांग्रेस पार्टी की ताकत का स्रोत बताया है।
अहमद पटेल में कुछ ऐसी ही खूबी थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शोक संवेदना में पटेल को अपना दोस्त बताया और कहा कि अहमद पटेल की जगह कोई नहीं ले सकता। सोनिया गांधी ने अहमद पटेल को हमेशा उपलब्ध रहने वाले, शांत सरल, पार्टी के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित बताया। भक्त चरण दास जैसे कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अहमद पटेल के लिए सोनिया गांधी जैसी नेता या राहुल गांधी के लिए दो शब्द कह देना भी इतना आसान नहीं है। पटेल एक ऐसा नेता रहे, जिन्होंने अपनी निष्ठा पर संदेह की कभी गुंजाइश ही नहीं छोड़ी।
एक आरोप लगता रहा
2013 से अहमद पटेल पर एक कांग्रेस के नेता ही एक अंदरखाने का आरोप लगाते रहे। कई महासचिव मौन होकर इसे मान लेते थे कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने तक की सीढ़ी अहमद पटेल के कारण ही मिल पाई थी। आज अहमद पटेल नहीं रहे हैं तो कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इसे फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि अहमद पटेल को जहां राजनीति की बारीकियां पता थीं, वहीं वह कांग्रेस पार्टी की उदार नीति को केंद्र में रखकर राजनीति को आगे बढ़ाने के पक्षधर थे। इसको लेकर उन्होंने कभी कोई भेदभाव को खास प्रमुखता नहीं दी।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण से ज्यादा इसे गहराई से कौन समझ सकता है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी अहमद पटेल दिल की गहराई से याद आ रहे होंगे। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय अंबिका सोनी को भी मन से अहमद पटेल के नहीं होने का अहसास कर पाना मुश्किल हो रहा होगा। भक्त चरण दास साफ कहते हैं कि अहमद पटेल के न रहने से हम सब दु:खी हैं। यह पीड़ा बताई नहीं जा सकती।
विस्तार
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पूर्व राजनीतिक सलाहकार, पार्टी के वर्तमान कोषाध्यक्ष नहीं रहे। अहमद पटेल की कोविड-19 संक्रमण से हुई मृत्यु निश्चित रूप से दु:खद है। सुबह-सुबह कभी कांग्रेस की आवाज रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता जर्नादन द्विवेदी को फोन करके पटेल के बारे में कुछ जानना चाहा। शोक संतप्त द्विवेदी ने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें औपचारिकता की भाषा नहीं आती। अभी नहीं समझ पा रहा हूं कि क्या कहूं और क्या न कहूं। अभी कुछ नहीं बोलूंगा।
सच कहें तो अहमद पटेल थे ही कुछ ऐसे। दोस्तों के दोस्त और विरोधियों से केवल विरोध के लिए दुश्मनी (विरोध) न करने वाले। कांग्रेस पार्टी में 2004 के बाद से 2014 तक अहमद पटेल का अपना एक स्वर्णकाल था। पटेल न केवल कांग्रेस की पृष्ठभूमि को समझते थे, बल्कि नेता, क्षेत्र, महत्व सब कुछ को बारीकी से उनमें समझ लेने की क्षमता थी।
कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव ने इसे अपूरणीय क्षति बताया है। उनके लिए दो शब्द कहते हुए संगठन महासचिव ने अहमद पटेल को एक अच्छा मार्ग दर्शक, प्रेरणा देने वाला और कांग्रेस पार्टी की ताकत का स्रोत बताया है।
अहमद पटेल में कुछ ऐसी ही खूबी थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शोक संवेदना में पटेल को अपना दोस्त बताया और कहा कि अहमद पटेल की जगह कोई नहीं ले सकता। सोनिया गांधी ने अहमद पटेल को हमेशा उपलब्ध रहने वाले, शांत सरल, पार्टी के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित बताया। भक्त चरण दास जैसे कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अहमद पटेल के लिए सोनिया गांधी जैसी नेता या राहुल गांधी के लिए दो शब्द कह देना भी इतना आसान नहीं है। पटेल एक ऐसा नेता रहे, जिन्होंने अपनी निष्ठा पर संदेह की कभी गुंजाइश ही नहीं छोड़ी।
एक आरोप लगता रहा
2013 से अहमद पटेल पर एक कांग्रेस के नेता ही एक अंदरखाने का आरोप लगाते रहे। कई महासचिव मौन होकर इसे मान लेते थे कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने तक की सीढ़ी अहमद पटेल के कारण ही मिल पाई थी। आज अहमद पटेल नहीं रहे हैं तो कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इसे फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि अहमद पटेल को जहां राजनीति की बारीकियां पता थीं, वहीं वह कांग्रेस पार्टी की उदार नीति को केंद्र में रखकर राजनीति को आगे बढ़ाने के पक्षधर थे। इसको लेकर उन्होंने कभी कोई भेदभाव को खास प्रमुखता नहीं दी।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण से ज्यादा इसे गहराई से कौन समझ सकता है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी अहमद पटेल दिल की गहराई से याद आ रहे होंगे। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय अंबिका सोनी को भी मन से अहमद पटेल के नहीं होने का अहसास कर पाना मुश्किल हो रहा होगा। भक्त चरण दास साफ कहते हैं कि अहमद पटेल के न रहने से हम सब दु:खी हैं। यह पीड़ा बताई नहीं जा सकती।