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Russia Ukraine War: Action of US UK and EU sanctions on Central Bank of Russia taken out of SWIFT system
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अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोपीय संघ की कार्रवाई: रूस के सेंट्रल बैंक पर प्रतिबंध, स्विफ्ट सिस्टम से किया बाहर
अमर उजाला रिसर्च टीम, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 28 Feb 2022 06:55 AM IST
रूस पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध इस हफ्ते से लागू हो जाएंगे। इससे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, प्रतिबंध नहीं लगाने पर अंतिम विकल्प तीसरा विश्वयुद्ध शुरू करने का बचेगा। ईयू आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन के अनुसार प्रतिबंधों से रूसी बैंक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन नहीं कर पाएंगे, जिससे उसके आयात-निर्यात पर असर पड़ेगा।
अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने रूस पर और आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। रूस के कुछ बैंकों को स्विफ्ट सिस्टम से बाहर किया गया है। रूस के सेंट्रल बैंक को भी स्विफ्ट सिस्टम से बाहर किया गया। उसकी 63,000 करोड़ डॉलर की संपत्तियों को फ्रीज किया गया है।
प्रतिबंध इस हफ्ते से लागू हो जाएंगे। इससे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, प्रतिबंध नहीं लगाने पर अंतिम विकल्प तीसरा विश्वयुद्ध शुरू करने का बचेगा। ईयू आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन के अनुसार प्रतिबंधों से रूसी बैंक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन नहीं कर पाएंगे, जिससे उसके आयात-निर्यात पर असर पड़ेगा।
रूसी अर्थव्यवस्था को तबाह करने की उम्मीद जताई... हालांकि तेल-गैस का वित्तीय लेन-देन अलग रखा, इनसे रूस को 40 फीसदी राजस्व मिलेगा।
ऐसे काम करता है स्विफ्ट सिस्टम
सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (स्विफ्ट) एक वित्तीय संदेश व्यवस्था है। मान लीजिए दिल्ली में एक व्यक्ति यहां के बैंक खाते से वाशिंगटन स्थित बैंक ऑफ अमेरिका में किसी मित्र को पैसा भेजना चाहता है। उसका बैंक खाता नंबर व बैंक ऑफ अमेरिका का स्विफ्ट कोड शाखा को बताना होगा। यह शाखा पैसा लेकर वाशिंगटन में भुगतान का स्विफ्ट संदेश भेजेगी। वाशिंगटन की शाखा संदेश की पुष्टि कर भुगतान जारी करेगी। इस सिस्टम से 200 देशों के 11,000 बैंक जुड़े हैं।
स्विफ्ट के विकल्प हैं, लेकिन सीमित
स्विफ्ट के अलावा फेडवायर, रिपल, एसपीएफएस, चिप्स आदि सिस्टम भी विकल्प हैं, लेकिन सीमित स्तर पर।
इनके मुकाबले स्विफ्ट बेहद बड़ा है, इसे 11 देश और वहां के केंद्रीय बैंक मिलकर बेल्जियम से चलाते हैं।
रूस के लिए एसपीएफएस अस्थायी विकल्प बन सकता है। 2014 में क्रीमिया छीनने के बाद इसे रूस ने स्विफ्ट के मुकाबले तैयार किया था।
व्यापक हो प्रतिबंध, तभी होगा असरदार बेअसर: रूसी बैंक पहले ही अमेरिका से प्रतिबंधित हैं। तेल व गैस के लिए होने वाले लेन-देन को प्रतिबंध से बाहर रखा गया। रूस इसी से 40 प्रतिशत राजस्व पाता है, लिहाजा ताजा प्रतिबंध ज्यादा प्रभावी नहीं माने जा रहे। विशेषज्ञों के अनुसार व्यापक वित्तीय प्रतिबंधों का ही असर होता है। 2012 में अमेरिका ने ईरान को स्विफ्ट सिस्टम से पूरी तरह बाहर किया। उसका 50 प्रतिशत तेल निर्यात राजस्व बंद हुआ, कुल 30 प्रतिशत विदेशी कारोबार भी खत्म हो गया।
असर: अमेरिका को उम्मीद है कि सेंट्रल बैंक के 63,000 करोड़ डॉलर की संपत्तियां फ्रीज करने का व्यापक असर हो सकता है। हालांकि रूस इसके लिए भी 2014 से तैयारी कर रहा था। शुरुआती असर रूबल में डॉलर के मुकाबले गिरावट के रूप में सामने आ सकता है। एक स्तर तक महंगाई भी बढ़ सकती है।
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खुद पर भी असर: स्विफ्ट सिस्टम से रूसी बैंकों का बाहर करने का नुकसान अमेरिका और जर्मनी को भी उठाना पड़ सकता है, जिसका बड़ा कारोबार रूस के साथ है। पूरा यूरोपीय संघ रूस के साथ 8,000 करोड़ डॉलर का कारोबार करता है जो अमेरिका से 10 गुना अधिक है।
क्योंकि यूरोप की जरूरतें देखनी थी
विशेषज्ञ वित्तीय प्रतिबंधों को हल्का मान रहे हैं। रूस से तेल व गैस का सबसे बड़ा खरीदार यूरोप है। इनके लिए वित्तीय लेन-देन को छूट दी गई है। जबकि रूस का 40 प्रतिशत राजस्व इसी से आता है। यहां सख्ती होती तो यूरोप में तेल व गैस के दाम तेजी से बढ़ते। इन चीजों की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती थी।
‘गोल्डन पासपोर्ट’ नहीं
जर्मनी ने बताया, अब रूसी सरकार में शामिल और अमीर रूसियों को ‘गोल्डन पासपोर्ट’ नहीं मिल पाएगा। वे यूरोपीय नागरिक बनकर यहां की वित्तीय व्यवस्था का फायदा नहीं ले पाएंगे।
कनाडा व ईयू की रूसी उड़ानों पर रोक
टोरंटो। यूरोपीय यूनियन और कनाडा ने रूसी उड़ानों के लिए अपनी वायुसीमा रविवार से बंद कर दी। यही नहीं, अमेरिका भी यही कदम उठाने पर विचार कर रहा है। ब्रिटेन के बाद जर्मनी, स्पेन, फ्रांस के साथ नॉर्डिक और बाल्टिक देशों ने रूस पर अपनी वायुसीमा के इस्तेमाल पर रोक लगाने की घोषणा की है।
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