5-8 फरवरी को हर दो साल पर देश में आयोजित होने वाला डेफ एक्सपो इस बार लखनऊ में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद डेफएक्सपो 2020 को लेकर काफी उत्साहित हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षा उत्तर प्रदेश में डिफेंस कारिडोर विकसित करने की है। केंद्र और राज्य सरकार इस योजना को अंतिम रूप दे रही है।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी डेफ एक्सपो 2020 को खास तरीके से देख रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद रुचि ले रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय चाहता है कि डेफ एक्सपो में मेक इन इंडिया की पूरी झलक दिखाई जाए। इसके लिए रक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों से कमर कसकर तैयार रहने को कहा गया है।
उच्च पदस्थ सूत्र की माने तो प्रधानमंत्री कार्यालय 30 जनवरी के बाद 5-9 फरवरी तक मीडिया में लगातार मेक इन इंडिया से जुडी खबरों, रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में हुई प्रगति को देखने का इच्छुक है। हालांकि अभी तक रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में मेक इन इंडिया की स्थति बहुत अच्छी नहीं है। अभी भारत अपनी रक्षा जरूरतों का अधिकतम सामान विदेशों से आयात करता है।
डाआरडीओ, टाटा डिफेंस, कल्याणी ग्रुप की भारत फोर्ज जैसी कंपनियों को अपने रक्षा उत्पादों को तीन सैन्य बलों के सामने इंट्रोड्यूस करने, उन्हें ट्रायल या सैन्य बलों का आर्डर पाने की स्थिति में ला पाने में पसीना आ जाता है। डीआरडीओ ने देश की दो बड़ी रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर 155 एमएम और 52 कैलिबर की अत्याधुनिक तोप विकसित की है। डीआरडीए के एक वैज्ञानिक का दावा है कि आटो सिस्टम से लैस यह विश्व की अपने आप में बेजोड़ तोप है, लेकिन वह यह नहीं बता सकते कि भारतीय सेना में कब इसे स्थान मिलेगा।
डेफ एक्सपो 2018 से बड़ा होगा 2020
रक्षा मंत्रालय सूत्रों के अनुसार डेफ एक्सपो 2020 दो साल पहले 2018 में चेन्नई में हुए डेफ एक्सपो से बड़ा होगा। 2018 में देश की 702 देश की कंपनियों ने हिस्सा लिया था। 284 विदेशी डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया था। 160 अंतरराषट्रीय कंपनियों ने इसमें अपने रक्षा उत्पादों का प्रदर्शन किया था। 492 स्टार्ट अप ने भी अपने हुनर दिखाए थे। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार 900 देश की रक्षा कंपनियों ने डेफ एक्सपो में खुद का पंजीकरण कराया है।
रूस, अमेरिका, फ्रांस, इ,स्राइल, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों की रक्षा कंपनियां अपने साजो-सामान, तकनीक का प्रदर्शन करेंगी। भारतीय वायुसेना 110 मध्यम बहुउद्देश्यीय अत्याधुनिक फाइटर जेटों की जरूरत बताई है। केन्द्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय आमंत्राण प्रस्ताव मंगाए जा रहे हैं। वैसे भी भारत चीन और पाकिस्तान दोनों ही अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में निगरानी, सतर्कता के उपकरणों की मांग बढ़ी है। इस लिहाज से डेफ एक्सपो 2020 काफी अहम है।
5-8 फरवरी को हर दो साल पर देश में आयोजित होने वाला डेफ एक्सपो इस बार लखनऊ में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद डेफएक्सपो 2020 को लेकर काफी उत्साहित हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षा उत्तर प्रदेश में डिफेंस कारिडोर विकसित करने की है। केंद्र और राज्य सरकार इस योजना को अंतिम रूप दे रही है।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी डेफ एक्सपो 2020 को खास तरीके से देख रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद रुचि ले रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय चाहता है कि डेफ एक्सपो में मेक इन इंडिया की पूरी झलक दिखाई जाए। इसके लिए रक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों से कमर कसकर तैयार रहने को कहा गया है।
उच्च पदस्थ सूत्र की माने तो प्रधानमंत्री कार्यालय 30 जनवरी के बाद 5-9 फरवरी तक मीडिया में लगातार मेक इन इंडिया से जुडी खबरों, रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में हुई प्रगति को देखने का इच्छुक है। हालांकि अभी तक रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में मेक इन इंडिया की स्थति बहुत अच्छी नहीं है। अभी भारत अपनी रक्षा जरूरतों का अधिकतम सामान विदेशों से आयात करता है।
डाआरडीओ, टाटा डिफेंस, कल्याणी ग्रुप की भारत फोर्ज जैसी कंपनियों को अपने रक्षा उत्पादों को तीन सैन्य बलों के सामने इंट्रोड्यूस करने, उन्हें ट्रायल या सैन्य बलों का आर्डर पाने की स्थिति में ला पाने में पसीना आ जाता है। डीआरडीओ ने देश की दो बड़ी रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर 155 एमएम और 52 कैलिबर की अत्याधुनिक तोप विकसित की है। डीआरडीए के एक वैज्ञानिक का दावा है कि आटो सिस्टम से लैस यह विश्व की अपने आप में बेजोड़ तोप है, लेकिन वह यह नहीं बता सकते कि भारतीय सेना में कब इसे स्थान मिलेगा।
डेफ एक्सपो 2018 से बड़ा होगा 2020
रक्षा मंत्रालय सूत्रों के अनुसार डेफ एक्सपो 2020 दो साल पहले 2018 में चेन्नई में हुए डेफ एक्सपो से बड़ा होगा। 2018 में देश की 702 देश की कंपनियों ने हिस्सा लिया था। 284 विदेशी डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया था। 160 अंतरराषट्रीय कंपनियों ने इसमें अपने रक्षा उत्पादों का प्रदर्शन किया था। 492 स्टार्ट अप ने भी अपने हुनर दिखाए थे। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार 900 देश की रक्षा कंपनियों ने डेफ एक्सपो में खुद का पंजीकरण कराया है।
रूस, अमेरिका, फ्रांस, इ,स्राइल, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों की रक्षा कंपनियां अपने साजो-सामान, तकनीक का प्रदर्शन करेंगी। भारतीय वायुसेना 110 मध्यम बहुउद्देश्यीय अत्याधुनिक फाइटर जेटों की जरूरत बताई है। केन्द्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय आमंत्राण प्रस्ताव मंगाए जा रहे हैं। वैसे भी भारत चीन और पाकिस्तान दोनों ही अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में निगरानी, सतर्कता के उपकरणों की मांग बढ़ी है। इस लिहाज से डेफ एक्सपो 2020 काफी अहम है।