महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ थप्पड़ वाला विवादित बयान देकर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे फंस गए हैं। महाराष्ट्र में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। एक समय में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के प्रिय रहे नारायण राणे के उद्धव ठाकरे के खिलाफ बयान देने से शिवसेना में आक्रोश है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता और राज्य सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने भी राणे के बयान को महाराष्ट्र का अपमान बताया है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री के इस बयान से भारतीय जनता पार्टी भी असहज हो गई है।
पावर सेंटर थी स्मिता ठाकरे
राणे का सियासी सफर युवावस्था में ही शिवसेना से शुरु हो गया था। शिवसेना में वे युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय थे और उनकी यही खूबी बालासाहेब ठाकरे को बहुत पसंद आई थी। राणे पर ठाकरे परिवार को इतना भरोसा था कि बाल ठाकरे की बहू स्मिता ठाकरे ने ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में अहम भूमिका निभाई थी। फरवरी 1999 को शिवसेना-भाजपा गठबंधन वाली सरकार में नारायण राणे मुख्यमंत्री बने थे। बाल ठाकरे के दूसरे बेटे जयदेव से स्मिता ठाकरे की शादी हुई थी। स्मिता, जयदेव की दूसरी पत्नी थीं। जयदेव और स्मिता के बीच तलाक हो गया। जयदेव ने मातोश्री छोड़ दिया, लेकिन स्मिता मातोश्री में ही रहती थीं।
महाराष्ट्र की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने बताया कि दरअसल एक समय में स्मिता ठाकरे शिवसेना की पावर सेंटर मानी जाती थीं और उन्हीं के कहने पर बाल ठाकरे ने नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन जब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो पूरा ठाकरे परिवार आहत हुआ। खासकर बाल ठाकरे को बहुत दुख पहुंचा।
इस तरह खराब होते गए ठाकरे परिवार से रिश्ते
वानखेड़े बताते हैं कि जब राणे ने शिवसेना छोड़ दी, उसके बाद बाल ठाकरे और उनके बीच खूब आरोप-प्रत्यारोप हुए और ठाकरे परिवार और शिवसेना के साथ राणे के रिश्ते खराब होते गए। शिवसेना से उनके रिश्तों में तब खटास और बढ़ने लगी जब उद्धव ठाकरे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई। उन्होंने उद्धव की प्रशासनिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे। राणे को बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
वैसे शिवेसना छोड़ने वालों में छगन भुजबल भी शामिल थे। उनका पार्टी छोड़ना भी शिवसेना के लिए बड़ा झटका था। लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद भी भुजबल ने कभी भी ठाकरे परिवार के लिए कोई अपशब्द नहीं कहा। जबकि बाल ठाकरे अक्सर उनके विरोध में कुछ न कुछ कहते रहते थे और भुजबल इसे हंस कर टाल देते थे। इसलिए भुजबल के शिवसेना के साथ संबंध बने रहे। उस वजह से भुजबल का राजनीतिक करियर हमेशा सफल रहा आज वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं।
जबकि शिवसेना और राणे के बीच रिश्तों में ऐसी खटास आ गई है कि पिछले सप्ताह जब राणे ने शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के मेमोरियल पर श्रृद्धांजलि अर्पित की तो उसके बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मेमोरियल स्थल की शुद्धिकरण के लिए उसे गोमूत्र से धोया और ठाकरे की प्रतिमा को शुद्ध करने के लिए उस पर दूध उड़ेला।
आपराधिक पृष्ठभूमि होने के लगते हैं आरोप
राणे पर अक्सर आपराधिक पृष्ठभूमि होने के आरोप लगते रहे हैं। वानखेड़े के मुताबिक ऐसे आरोप हैं कि के टी थापा गैंगस्टर से राणे के संबंध रहे। उसने ही राणे को शिवसेना का कॉरपोरेटर बनने में मदद की थी। कॉरपोरेटर बनने के बाद यहीं से नारायण राणे का राजनीति में उदय हुआ।
भाजपा असहज
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लेकर दिए गए केंद्रीय मंत्री के आपत्तिजनक बयान को पार्टी ने अच्छा नहीं माना है। पार्टी का मानना है कि इससे मराठी समाज में भी अच्छा संदेश नहीं गया है। जबकि भाजपा यह उम्मीद लगाए बैठी है कि राणे कोंकण में पार्टी की स्थिति मजबूत करेंगे, ऐसे में पार्टी को लग रहा है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी बयानबाजी से मराठा समाज की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
महाराष्ट्र की राजनीति व्यंग्य के लिए जानी जाती है। बाल ठाकरे और शरद पवार राजनीति में एक दूसरे के विरोधी थे, लेकिन उनके बीच अच्छी दोस्ती थी। उनमें विचारों का मतभेद होते हुए भी कभी दिल का मतभेद नहीं देखा गया। जबकि नारायण राणे अक्सर उद्धव ठाकरे पर वार करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं।
बताया जाता है कि हाल में ही कोंकण के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा करने की बात पर भी राणे ने मुख्यमंत्री को लेकर अपमानजनक बात कही थी। भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि निश्चित तौर पर पार्टी ऐसी भाषा से असहज महसूस कर रही है। केंद्रीय मंत्री को अपनी भाषा संयमित रखनी चाहिए।
विस्तार
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ थप्पड़ वाला विवादित बयान देकर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे फंस गए हैं। महाराष्ट्र में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। एक समय में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के प्रिय रहे नारायण राणे के उद्धव ठाकरे के खिलाफ बयान देने से शिवसेना में आक्रोश है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता और राज्य सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने भी राणे के बयान को महाराष्ट्र का अपमान बताया है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री के इस बयान से भारतीय जनता पार्टी भी असहज हो गई है।
पावर सेंटर थी स्मिता ठाकरे
राणे का सियासी सफर युवावस्था में ही शिवसेना से शुरु हो गया था। शिवसेना में वे युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय थे और उनकी यही खूबी बालासाहेब ठाकरे को बहुत पसंद आई थी। राणे पर ठाकरे परिवार को इतना भरोसा था कि बाल ठाकरे की बहू स्मिता ठाकरे ने ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में अहम भूमिका निभाई थी। फरवरी 1999 को शिवसेना-भाजपा गठबंधन वाली सरकार में नारायण राणे मुख्यमंत्री बने थे। बाल ठाकरे के दूसरे बेटे जयदेव से स्मिता ठाकरे की शादी हुई थी। स्मिता, जयदेव की दूसरी पत्नी थीं। जयदेव और स्मिता के बीच तलाक हो गया। जयदेव ने मातोश्री छोड़ दिया, लेकिन स्मिता मातोश्री में ही रहती थीं।
महाराष्ट्र की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े ने बताया कि दरअसल एक समय में स्मिता ठाकरे शिवसेना की पावर सेंटर मानी जाती थीं और उन्हीं के कहने पर बाल ठाकरे ने नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन जब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो पूरा ठाकरे परिवार आहत हुआ। खासकर बाल ठाकरे को बहुत दुख पहुंचा।
इस तरह खराब होते गए ठाकरे परिवार से रिश्ते
वानखेड़े बताते हैं कि जब राणे ने शिवसेना छोड़ दी, उसके बाद बाल ठाकरे और उनके बीच खूब आरोप-प्रत्यारोप हुए और ठाकरे परिवार और शिवसेना के साथ राणे के रिश्ते खराब होते गए। शिवसेना से उनके रिश्तों में तब खटास और बढ़ने लगी जब उद्धव ठाकरे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई। उन्होंने उद्धव की प्रशासनिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे। राणे को बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
वैसे शिवेसना छोड़ने वालों में छगन भुजबल भी शामिल थे। उनका पार्टी छोड़ना भी शिवसेना के लिए बड़ा झटका था। लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद भी भुजबल ने कभी भी ठाकरे परिवार के लिए कोई अपशब्द नहीं कहा। जबकि बाल ठाकरे अक्सर उनके विरोध में कुछ न कुछ कहते रहते थे और भुजबल इसे हंस कर टाल देते थे। इसलिए भुजबल के शिवसेना के साथ संबंध बने रहे। उस वजह से भुजबल का राजनीतिक करियर हमेशा सफल रहा आज वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं।
जबकि शिवसेना और राणे के बीच रिश्तों में ऐसी खटास आ गई है कि पिछले सप्ताह जब राणे ने शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के मेमोरियल पर श्रृद्धांजलि अर्पित की तो उसके बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मेमोरियल स्थल की शुद्धिकरण के लिए उसे गोमूत्र से धोया और ठाकरे की प्रतिमा को शुद्ध करने के लिए उस पर दूध उड़ेला।
आपराधिक पृष्ठभूमि होने के लगते हैं आरोप
राणे पर अक्सर आपराधिक पृष्ठभूमि होने के आरोप लगते रहे हैं। वानखेड़े के मुताबिक ऐसे आरोप हैं कि के टी थापा गैंगस्टर से राणे के संबंध रहे। उसने ही राणे को शिवसेना का कॉरपोरेटर बनने में मदद की थी। कॉरपोरेटर बनने के बाद यहीं से नारायण राणे का राजनीति में उदय हुआ।
भाजपा असहज
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लेकर दिए गए केंद्रीय मंत्री के आपत्तिजनक बयान को पार्टी ने अच्छा नहीं माना है। पार्टी का मानना है कि इससे मराठी समाज में भी अच्छा संदेश नहीं गया है। जबकि भाजपा यह उम्मीद लगाए बैठी है कि राणे कोंकण में पार्टी की स्थिति मजबूत करेंगे, ऐसे में पार्टी को लग रहा है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसी बयानबाजी से मराठा समाज की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
महाराष्ट्र की राजनीति व्यंग्य के लिए जानी जाती है। बाल ठाकरे और शरद पवार राजनीति में एक दूसरे के विरोधी थे, लेकिन उनके बीच अच्छी दोस्ती थी। उनमें विचारों का मतभेद होते हुए भी कभी दिल का मतभेद नहीं देखा गया। जबकि नारायण राणे अक्सर उद्धव ठाकरे पर वार करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं।
बताया जाता है कि हाल में ही कोंकण के बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा करने की बात पर भी राणे ने मुख्यमंत्री को लेकर अपमानजनक बात कही थी। भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि निश्चित तौर पर पार्टी ऐसी भाषा से असहज महसूस कर रही है। केंद्रीय मंत्री को अपनी भाषा संयमित रखनी चाहिए।