डाक सेवाएं फिलहाल महंगी नहीं होंगी। डाक सेवाओं को महंगा बनाने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय संचार मंत्री, स्वतंत्र प्रभार मनोज सिन्हा ने खारिज कर दिया है। डाक सेवा के दामों की पुर्नसमीक्षा के लिए बनी समिति ने सिन्हा के सामने पोस्ट कार्ड, अंतर्देशीय पत्र, पार्सल और भारतीय पोस्ट आर्डर में मिलने वाले कमीशन का लाभ बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। मगर सिन्हा ने समिति के प्रस्तावों को न सिर्फ खारिज किया बल्कि विभाग की जानकारी न रहने पर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को फटकार भी लगाई।
सूत्र बताते हैं कि डाक सेवा मूल्य पुर्ननिर्धारण समिति की शुक्रवार को अहम बैठक हुई। इसमें समिति की ओर से अगले एक वर्ष में डाक विभाग को 1000 करोड़ के मुनाफे वाला संस्थान बनाने का रोडमैप मंत्री के सामने रखा गया।
वर्तमान में डाक विभाग का कुल घाटा करीब 6000 करोड़ रूपया है। समिति द्वारा पेश रोडमैप में पोस्ट कार्ड की दर को 50 पैसे से 2 रूपया, प्रींटेड पोस्कार्ड की दर को 6 से 9 रूपए करने, मेघदूत पोस्टकार्ड की दर को 25 पैसे से 2 रूपया करने, पार्सल दर (500 ग्राम) को 19 से 30 रूपए करने, अंतर्देशीय पत्र को 5 से 7 रूपये करने और 10 व 20 रूपए के भारतीय पोस्टल आर्डर के कमीशन को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था।
मगर मनोज सिंहा ने डाक विभाग से गीरबों की सेवा जुड़ी होने का हवाला देते हुए समिति के प्रभाव को खारिज कर दिया। हालांकि पार्सल की दर 19 से 30 रूपए करने के मामले में ढ़ील देते हुए उन्होंने शर्त जोड़ दी है कि कोरियर कंपनियों की तरह पार्सल की डिलिवरी समय सीमा भी निर्धारित हो।
अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सिंह ने कहा की देश में कोरियर और पार्सल सेवा का कारोबार करीब 1.25 लाख करोड़ से 1.50 लाख करोड़ के बीच है। जिसमें भारतीय डाक की भागीदारी केवल 129 करोड़ की है।
केंद्रीय मंत्री ने मंत्रालय के सामने लक्ष्य रखा कि इस वर्ष वे इस क्षेत्र में डाक विभाग की हिस्सेदारी बढ़ाकर 1000 करोड़ तक ले जाएं। वहीं डाक विभाग सेवाओं का रेट निर्धारण के मामले में भी कड़े शब्द इस्तेमाल करते हुए सिन्हा ने कहा कि अब वित्त मंत्रालय के बाबू नहीं बल्कि डाक विभाग के लोग दर तय करेंगे। इसके लिए उन्होंने एक कमेटी बनाने के निर्देश भी दिए हैं।
हालांकि डाक सेवा बढ़ाने की दलिल रखते हुए समिति के सदस्यों ने सरकार के सामने जो तस्वीर रखी उसमें डाक सेवा का खर्च 265 प्रतिशत बढ़ गया है। जबकि सेवा की दर जस की तस है। 70 पैसे में बिकने वाले एक अंतर्देशीय पत्र पर ही सरकार का करीब 11.68 रूपया खर्च आता है। तो डाक विभाग की ओर से 7 करोड़ 98 लाख पोस्टकार्ड हर वर्ष छपवाए जाते हैं।
वहीं अखबार और मैगजिनों के डिलिवरी की संख्या 6.12 करोड़ है। अधिकारियों की ओर से इसका भी शूल्क बढ़ाने का सुझाव था। मगर मीडिय़ा से जुड़े होने के मामले की वजह से मंत्री से इससे भी इंकार कर दिया।
डाक सेवाएं फिलहाल महंगी नहीं होंगी। डाक सेवाओं को महंगा बनाने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय संचार मंत्री, स्वतंत्र प्रभार मनोज सिन्हा ने खारिज कर दिया है। डाक सेवा के दामों की पुर्नसमीक्षा के लिए बनी समिति ने सिन्हा के सामने पोस्ट कार्ड, अंतर्देशीय पत्र, पार्सल और भारतीय पोस्ट आर्डर में मिलने वाले कमीशन का लाभ बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। मगर सिन्हा ने समिति के प्रस्तावों को न सिर्फ खारिज किया बल्कि विभाग की जानकारी न रहने पर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को फटकार भी लगाई।
सूत्र बताते हैं कि डाक सेवा मूल्य पुर्ननिर्धारण समिति की शुक्रवार को अहम बैठक हुई। इसमें समिति की ओर से अगले एक वर्ष में डाक विभाग को 1000 करोड़ के मुनाफे वाला संस्थान बनाने का रोडमैप मंत्री के सामने रखा गया।
वर्तमान में डाक विभाग का कुल घाटा करीब 6000 करोड़ रूपया है। समिति द्वारा पेश रोडमैप में पोस्ट कार्ड की दर को 50 पैसे से 2 रूपया, प्रींटेड पोस्कार्ड की दर को 6 से 9 रूपए करने, मेघदूत पोस्टकार्ड की दर को 25 पैसे से 2 रूपया करने, पार्सल दर (500 ग्राम) को 19 से 30 रूपए करने, अंतर्देशीय पत्र को 5 से 7 रूपये करने और 10 व 20 रूपए के भारतीय पोस्टल आर्डर के कमीशन को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था।
मगर मनोज सिंहा ने डाक विभाग से गीरबों की सेवा जुड़ी होने का हवाला देते हुए समिति के प्रभाव को खारिज कर दिया। हालांकि पार्सल की दर 19 से 30 रूपए करने के मामले में ढ़ील देते हुए उन्होंने शर्त जोड़ दी है कि कोरियर कंपनियों की तरह पार्सल की डिलिवरी समय सीमा भी निर्धारित हो।