देश में हर चौथी महिला के साथ छेड़खानी होती है। घर से लेकर सड़कों और बाजार से लेकर ट्रेन और बसों में हमारे और आपके घर की महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं है। यह बात दीगर है कि इनमें से कुछ महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर के घरवालों से लेकर पुलिस स्टेशन तक में अपनी शिकायतें दर्ज कराती हैं। जबकि अधिसंख्य महिलाएं इस पूरे मामले में नजरें फेर कर आगे बढ़ जाती हैं। गैर सरकारी संस्था लोकल सर्कल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरे देशभर के साढ़े तीन सौ जिलों से ज्यादा शहरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक सर्वे कराया। सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई।
सर्वे में जब देश के अलग-अलग जिले की 8347 महिलाओं से यह पूछा गया कि घर-बाजार, सड़क, रेल, बस और मेट्रो में उनके साथ कभी कोई छेड़खानी हुई या नहीं। तो 20 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके साथ इन अलग-अलग जगहों पर दो बार से ज्यादा छेड़खानी हुई। जबकि नौ फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके साथ कई बार छेड़खानी की वारदात हुई। जबकि 17 फ़ीसदी महिलाओं ने इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। 54 फीसदी ने कहा न उनके साथ और न ही उनके परिवार की किसी अन्य महिला के साथ राह चलते कभी कोई छेड़खानी हुई।
सर्वे में छेड़खानी वाले स्थानों के बारे में 7966 महिलाओं से अलग-अलग जिलों में पूछताछ की गई। सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा छेड़खानी ट्रेन में हुई। महिलाओं ने बताया कि 30 फीसदी लोग उनको ट्रेन में छेड़ते हैं। जबकि 20 फ़ीसदी महिलाओं के साथ छेड़खानी भीड़भाड़ वाली जगहों पर हुई। 17 फ़ीसदी महिलाएं बताती है कि लोकल ट्रेनों और मेट्रो में उनके साथ छेड़खानी हुई। जबकि सात फीसदी महिलाओं ने बताया कि कई धार्मिक स्थलों पर जाने के वक्त उनके साथ वहां मौजूद लोग छेड़खानी करते हैं। 17 फीसदी महिलाओं ने बताया कि सड़क पर चलते वक्त उनके साथ छेड़खानी हुई। जबकि 10 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि जब वह बाजार में निकलती हैं तो उनके साथ छेड़खानी की जाती है।
सरेबाजार होने वाली छेड़खानी को लेकर 7697 महिलाओं से जब यह जानने की कोशिश की गई कि वह पुलिस में एफआईआर दर्ज कराती हैं या नहीं। 30 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। 15 फीसदी महिलाओं ने बताया कि पुलिस ने शिकायत के बाद कोई एक्शन नहीं लिया। जबकि 15 फीसदी महिलाओं ने अपने साथ हुई छेड़खानी के बाद यह सोचा कि उनको पुलिस में शिकायत करने की या घर में बताने की कोई जरूरत नहीं है।
एनसीआरबी 2019 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में चार लाख से ज्यादा महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार के मामले दर्ज हुए। इसमें 32033 मामले सिर्फ महिलाओं के साथ बलात्कार के हैं। फिफ्थ एडिशन ऑफ डेथ पेनल्टी इन इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में अब तक 77 लोगों को फांसी की सजा ट्रायल कोर्ट ने सुनाई है। हैरानी की बात है इनमें से 50 मामले ऐसे हैं जिन्हें मौत की सजा का फरमान महिलाओं के साथ हुए शारीरिक हिंसा के लिए दिया गया है।
लोकल सर्कल के फाउंडर चैयरमैन सचिन तापड़िया कहते हैं कि समाज को अभी बहुत बदलने की आवश्यकता है। जिस तरीके से महिलाओं के प्रति छेड़खानी और दुष्कर्म की वारदातें होती हैं वे चिंताजनक हैं। लोकल सर्कल की महिला दिवस पर तैयार की गई देशभर की इस रिपोर्ट को गृह मंत्रालय से लेकर समस्त राज्यों के पुलिस प्रमुख और मुख्य सचिवों को दी जाएगी। ताकि महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ किया जा सके।
विस्तार
देश में हर चौथी महिला के साथ छेड़खानी होती है। घर से लेकर सड़कों और बाजार से लेकर ट्रेन और बसों में हमारे और आपके घर की महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं है। यह बात दीगर है कि इनमें से कुछ महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर के घरवालों से लेकर पुलिस स्टेशन तक में अपनी शिकायतें दर्ज कराती हैं। जबकि अधिसंख्य महिलाएं इस पूरे मामले में नजरें फेर कर आगे बढ़ जाती हैं। गैर सरकारी संस्था लोकल सर्कल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरे देशभर के साढ़े तीन सौ जिलों से ज्यादा शहरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक सर्वे कराया। सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई।
सर्वे में जब देश के अलग-अलग जिले की 8347 महिलाओं से यह पूछा गया कि घर-बाजार, सड़क, रेल, बस और मेट्रो में उनके साथ कभी कोई छेड़खानी हुई या नहीं। तो 20 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके साथ इन अलग-अलग जगहों पर दो बार से ज्यादा छेड़खानी हुई। जबकि नौ फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके साथ कई बार छेड़खानी की वारदात हुई। जबकि 17 फ़ीसदी महिलाओं ने इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। 54 फीसदी ने कहा न उनके साथ और न ही उनके परिवार की किसी अन्य महिला के साथ राह चलते कभी कोई छेड़खानी हुई।
सर्वे में छेड़खानी वाले स्थानों के बारे में 7966 महिलाओं से अलग-अलग जिलों में पूछताछ की गई। सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा छेड़खानी ट्रेन में हुई। महिलाओं ने बताया कि 30 फीसदी लोग उनको ट्रेन में छेड़ते हैं। जबकि 20 फ़ीसदी महिलाओं के साथ छेड़खानी भीड़भाड़ वाली जगहों पर हुई। 17 फ़ीसदी महिलाएं बताती है कि लोकल ट्रेनों और मेट्रो में उनके साथ छेड़खानी हुई। जबकि सात फीसदी महिलाओं ने बताया कि कई धार्मिक स्थलों पर जाने के वक्त उनके साथ वहां मौजूद लोग छेड़खानी करते हैं। 17 फीसदी महिलाओं ने बताया कि सड़क पर चलते वक्त उनके साथ छेड़खानी हुई। जबकि 10 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि जब वह बाजार में निकलती हैं तो उनके साथ छेड़खानी की जाती है।
सरेबाजार होने वाली छेड़खानी को लेकर 7697 महिलाओं से जब यह जानने की कोशिश की गई कि वह पुलिस में एफआईआर दर्ज कराती हैं या नहीं। 30 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई है। 15 फीसदी महिलाओं ने बताया कि पुलिस ने शिकायत के बाद कोई एक्शन नहीं लिया। जबकि 15 फीसदी महिलाओं ने अपने साथ हुई छेड़खानी के बाद यह सोचा कि उनको पुलिस में शिकायत करने की या घर में बताने की कोई जरूरत नहीं है।
एनसीआरबी 2019 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में चार लाख से ज्यादा महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार के मामले दर्ज हुए। इसमें 32033 मामले सिर्फ महिलाओं के साथ बलात्कार के हैं। फिफ्थ एडिशन ऑफ डेथ पेनल्टी इन इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में अब तक 77 लोगों को फांसी की सजा ट्रायल कोर्ट ने सुनाई है। हैरानी की बात है इनमें से 50 मामले ऐसे हैं जिन्हें मौत की सजा का फरमान महिलाओं के साथ हुए शारीरिक हिंसा के लिए दिया गया है।
लोकल सर्कल के फाउंडर चैयरमैन सचिन तापड़िया कहते हैं कि समाज को अभी बहुत बदलने की आवश्यकता है। जिस तरीके से महिलाओं के प्रति छेड़खानी और दुष्कर्म की वारदातें होती हैं वे चिंताजनक हैं। लोकल सर्कल की महिला दिवस पर तैयार की गई देशभर की इस रिपोर्ट को गृह मंत्रालय से लेकर समस्त राज्यों के पुलिस प्रमुख और मुख्य सचिवों को दी जाएगी। ताकि महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ किया जा सके।