Hindi News
›
India News
›
INS Vela Indian Navy's fourth Scorpene-class submarine commissioned, Vela has the ability to undertake an entire spectrum of submarine operations
{"_id":"619f65d0f097bb03fb050273","slug":"ins-vela-indian-navy-s-fourth-scorpene-class-submarine-commissioned-vela-has-the-ability-to-undertake-an-entire-spectrum-of-submarine-operations","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"INS Vela: कैसे बढ़ेगी नौसेना की ताकत, दुश्मन जान भी न पाएगा और हो जाएगा उसका काम तमाम","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
INS Vela: कैसे बढ़ेगी नौसेना की ताकत, दुश्मन जान भी न पाएगा और हो जाएगा उसका काम तमाम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली,
Published by: प्रतिभा ज्योति
Updated Thu, 25 Nov 2021 04:02 PM IST
चीन समुद्री क्षेत्र में लगातार अपनी पनडुब्बी ताकत बढ़ा रहा है। चीन अपनी पनडुब्बी ताकत को इसलिए भी बढ़ा रहा है ताकि वह असानी से हिंद महासागर तक जासूसी कर सके और उन देशों को डरा-धमका सके जिसके साथ उसका सीमा विवाद चल रहा है। ऐसे समय में वेला के आने से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र में भारत की सुरक्षा क्षमता बढ़ेगी।
आईएनएस वेला
- फोटो : PTI
Link Copied
विस्तार
Follow Us
दक्षिण चीन सागर से लेकर लद्दाख तक अपनी हेकड़ी दिखा रहा चीन अपनी नौसेना की भी ताकत बढ़ा रहा है। चीनी नौसेना के बेड़े में कई घातक पनडुब्बियां शामिल की जा रही हैं। ऐसे समय में भारत ने भी नौसैन्य शक्ति में इजाफा करते हुए पनडुब्बी आईएनएस वेला को सेवा में शामिल किया है। गुरुवार को नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने नौसेना डॉकयार्ड में इसे हासिल किया। भारतीय नौसेना को कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी परियोजना-75 के तहत कुल छह पनडुब्बियों को सेवा में शामिल करना है।
आईएनएस वेला सेवा में शामिल की गई इस श्रेणी की यह चौथी पनडुब्बी है। इसे दो साल की ट्रायल के बाद नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। इस पनडुब्बी को रक्षा बेड़े में शामिल करने से पहले नौसेना इसकी कई दौर के परीक्षण करेगी। इससे पहले, नौसेना ने 21 नवंबर को युद्धपोत आईएनएस विशाखापट्टनम को सेवा में शमिल किया था। इस प्रकार नौसेना को एक सप्ताह में आईएनएस विशाखापट्टनम के बाद आईएनएस वेला के रूप में दो ‘उपलब्धियां’ हासिल हुई हैं।
चीन की नजर हिंद महासागर पर
विशेषज्ञ कहते हैं कि दक्षिण चीन सागर पर दबदबा कायम करने के बाद अब चीन की नजर हिंद महासागर पर है। इसलिए भारत को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि चीन तेजी से दक्षिण चीन सागर के बाहर अपनी समुद्र के अंदर युद्ध लड़ने की क्षमता को बढ़ा रहा है। इससे भारत जैसे देशों के लिए ज्यादा खतरा पैदा हो गया है क्योंकि चीन के साथ हमारा सीमा विवाद है।
आईएनएस वेला के कमिशन के मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह
- फोटो : ANI
इसी बात को समझते हुए आईएनएस वेला के भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने के मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ पर हमारी पैनी निगाह है। उन्होंने कहा चीन से काफी हथियार पाकिस्तान को निर्यात हो रहे हैं। इससे यहां के क्षेत्रीय सुरक्षा पर काफी फर्क पड़ेगा। इसके लिए हमें सतर्क रहना पड़ेगा।
कैसे पड़ा नाम वेला
वेला का नाम एक सेवामुक्त पनडुब्बी वेला के नाम पर रखा गया है। जिसने 1973 से 2010 तक नौसेना की सेवा की थी। इसने करीब 37 सालों तक राष्ट्र की महत्वपूर्ण सेवा की थी।
कहां हुआ निर्माण
पनडुब्बी का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से किया है। कंपनी ने स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों के निर्माण और तकनीक ट्रांसफर को लेकर फ्रांस की कंपनी के साथ अनुबंध किया था। वेला से पहले एमडीएल कालवरी, खंडेरी और करंज पनडुब्बियों को लांच किया जा चुका है। पांचवीं पनडुब्बी वागीर के लिए समुद्री परीक्षण चल रहे हैं, जबकि छठी पनडुब्बी वाग्शीर निर्माणाधीन है। बताया जा रहा है कि इस पनडुब्बी में आठ अधिकारियों सहित 35 लोग बैठ सकते हैं।
आईएनएस वेला
- फोटो : ANI
प्रोजेक्ट 75 क्या है?
आईके गुजराल सरकार ने 25 पनडुब्बियों के अधिग्रहण का फैसला किया था। पी 75 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 30 साल की योजना बनाई गई। 2005 में, भारत और फ्रांस ने छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 3.75 बिलियन डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। भारत में मझगांव डॉक्स शिपबिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस में डीसीएनएस इसका काम देखती है। छह में से पहला, आईएनएस कलवरी, 2017 में निर्धारित समय से पांच साल पीछे कमीशन किया गया था।
नौसेना की क्षमता बढ़ेगी
पनडुब्बी आईएनएस वेला के नौसेना में शामिल होने से नौसेना की क्षमता बढ़ेगी। वेला को भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान में शामिल किया जाएगा और यह मुंबई में रहेगी। 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची और 1565 टन वजनी है। यह एक डीजल-इलेक्ट्रिक पावर्ड अटैक पनडुब्बी है। इसकी खासियत यह है कि इसे रडार से ट्रैक नहीं किया जा सकेगा। यह दुश्मन की निगाह से छिपी रहेगी, पर दुश्मन के छक्के छुड़ा सकती है। नौसेना ने कहा कि नया 'वेला' शक्तिशाली है और समुद्री युद्ध के पूरे स्पेक्ट्रम में आक्रामक अभियानों में सक्षम बनेगा।
पनडुब्बी C303 एंटी टारपीडो काउंटरमेजर सिस्टम से लैस है। यह माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस आदि का काम कर सकती है। यह 350 मीटर तक की गहराई में भी जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है। आईएनएस वेला के अंदर अत्याधुनिक तकनीक वाले हथियार हैं जो, जो युद्ध के समय आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।