न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 25 Oct 2020 07:08 PM IST
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सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे अगले महीने तीन दिवसीय नेपाल दौरे पर जाएंगे। सेना प्रमुख का यह दौरा सीमा से जुड़े मामले पर द्विपक्षीय संबंधों के प्रभावित होने के बाद दोनों देशों को रक्षा और सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा। अधिकारियों ने रविवार को इसकी जानकारी दी।
सेना प्रमुख नेपाल के अपने समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा समेत नेपाल के शीर्ष सैन्य और असैन्य अधिकारियों से दोनों देशों के बीच लगभग 1,800 किलोमीटर लंबी सीमा के प्रबंधन को और बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक बातचीत करेंगे। मई में नेपाल द्वारा एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किए जाने के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में आए तनाव के बाद यह काठमांडू के लिए भारत की ओर से पहला उच्च स्तरीय दौरा होगा। इन नक्शों में नेपाल ने उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों को अपने भूभाग के हिस्से के रूप में दिखाया था।
एक उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने बताया कि सेना प्रमुख रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों समेत समग्र संबंधों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से 4 से 6 नवंबर तक नेपाल की यात्रा पर जाएंगे। इस दौरान वर्ष 1950 में शुरू हुई पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए काठमांडू में एक कार्यक्रम में नेपाली राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा जनरल नरवणे को ‘नेपाली सेना के जनरल’ की मानद रैंक से सम्मानित किया जाएगा। भारत भी नेपाल के सेना प्रमुख को ‘भारतीय सेना के जनरल’ की मानद रैंक देता है।
चीन के प्रभाव बढ़ाने के व्यापक प्रयासों के मद्देनजर म्यांमार, मालदीव, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और अफगानिस्तान के साथ संबंधों को फिर से जीवंत और मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी उद्देश्य से सेना प्रमुख को नेपाल भेजे जाने के फैसले को बड़ी कवायद के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में जनरल नरवणे ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ म्यांमार की यात्रा की थी। नेपाल इस क्षेत्र में समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं भारत और नेपाल के नेताओं ने अक्सर अपने पुराने ‘रोटी-बेटी’ के संबंध पर गौर किया है।
भारत-नेपाल के बीच इस वजह से आया तनाव
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड के धारचूला के साथ लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह उसके क्षेत्र से गुजरती है। इसके कुछ दिन बाद नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया, जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को उसने अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया।
भारत ने भी नवंबर, 2019 में एक नया नक्शा प्रकाशित किया था, जिसमें इन क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था। नेपाल द्वारा नक्शा जारी किए जाने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे ''एकतरफा कार्रवाई'' बताया था और काठमांडू को आगाह किया था कि इस तरह की कार्रवाई स्वीकार्य नहीं होगी।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे अगले महीने तीन दिवसीय नेपाल दौरे पर जाएंगे। सेना प्रमुख का यह दौरा सीमा से जुड़े मामले पर द्विपक्षीय संबंधों के प्रभावित होने के बाद दोनों देशों को रक्षा और सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा। अधिकारियों ने रविवार को इसकी जानकारी दी।
सेना प्रमुख नेपाल के अपने समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा समेत नेपाल के शीर्ष सैन्य और असैन्य अधिकारियों से दोनों देशों के बीच लगभग 1,800 किलोमीटर लंबी सीमा के प्रबंधन को और बढ़ावा देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक बातचीत करेंगे। मई में नेपाल द्वारा एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किए जाने के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में आए तनाव के बाद यह काठमांडू के लिए भारत की ओर से पहला उच्च स्तरीय दौरा होगा। इन नक्शों में नेपाल ने उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों को अपने भूभाग के हिस्से के रूप में दिखाया था।
एक उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने बताया कि सेना प्रमुख रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों समेत समग्र संबंधों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से 4 से 6 नवंबर तक नेपाल की यात्रा पर जाएंगे। इस दौरान वर्ष 1950 में शुरू हुई पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए काठमांडू में एक कार्यक्रम में नेपाली राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा जनरल नरवणे को ‘नेपाली सेना के जनरल’ की मानद रैंक से सम्मानित किया जाएगा। भारत भी नेपाल के सेना प्रमुख को ‘भारतीय सेना के जनरल’ की मानद रैंक देता है।
चीन के प्रभाव बढ़ाने के व्यापक प्रयासों के मद्देनजर म्यांमार, मालदीव, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और अफगानिस्तान के साथ संबंधों को फिर से जीवंत और मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी उद्देश्य से सेना प्रमुख को नेपाल भेजे जाने के फैसले को बड़ी कवायद के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में जनरल नरवणे ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ म्यांमार की यात्रा की थी। नेपाल इस क्षेत्र में समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं भारत और नेपाल के नेताओं ने अक्सर अपने पुराने ‘रोटी-बेटी’ के संबंध पर गौर किया है।
भारत-नेपाल के बीच इस वजह से आया तनाव
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड के धारचूला के साथ लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया था कि यह उसके क्षेत्र से गुजरती है। इसके कुछ दिन बाद नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया, जिसमें कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को उसने अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया।
भारत ने भी नवंबर, 2019 में एक नया नक्शा प्रकाशित किया था, जिसमें इन क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था। नेपाल द्वारा नक्शा जारी किए जाने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे ''एकतरफा कार्रवाई'' बताया था और काठमांडू को आगाह किया था कि इस तरह की कार्रवाई स्वीकार्य नहीं होगी।