ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस की उस नोटिस को चुनौती दी है जिसमें उन्हें कथित घृणा वाले अपराध के एक वीडियो के संबंध में जारी किया गया गया था। गाजियाबाद में यह वीडियो जून में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। एएनआई के मुताबिक पिछले मंगलवार को कोर्ट ने फैसला 20 जुलाई तक के लिए टाल दिया था। गाजियाबाद के लोनी में बुजुर्ग की पिटाई के वायरल हुए वीडियो के मामले में उन्हें नोटिस भेजा गया था। यूपी पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत मनीष माहेश्वरी को नोटिस जारी किए थे।
24 जून को अदालत ने माहेश्वरी को दिया था अंतरिम संरक्षण
इससे पहले 24 जून को अदालत ने माहेश्वरी को अंतरिम संरक्षण देते हुए निर्देश दिया था कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। यूपी पुलिस ने इस आदेश को 29 जून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, इस कदम की आशंका जताते हुए, माहेश्वरी ने एक दिन पहले ही शीर्ष अदालत में एक कैविएट दायर की थी, जिसमें उनका पक्ष भी सुनने का आग्रह किया गया था।
बुजुर्ग का वीडियो वायरल होने के बाद दर्ज करवाई गई शिकायत को लेकर पूछताछ करने के लिए यूपी पुलिस ने मनीष माहेश्वरी को नोटिस भेजा था। पुलिस ने माहेश्वरी को लोनी बुलाकर पूछताछ में शामिल होने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि पिछले दिनों गाजियाबाद के लोनी के रहने वाले एक बुजुर्ग अब्दुल समद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उसमें कुछ लोग उसकी पिटाई करते हुए उनकी दाढ़ी काटते हुए दिख रहे थे। बाद में पुलिस ने बताया कि ताबीज को लेकर यह अनबन हुई थी। गाजियाबाद पुलिस ने मामले की छानबीन की और सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों को गलत बताया था। पुलिस ने इस मामले में ट्विटर, ट्विटर इंडिया समेत अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दिया, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था।
विस्तार
ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस की उस नोटिस को चुनौती दी है जिसमें उन्हें कथित घृणा वाले अपराध के एक वीडियो के संबंध में जारी किया गया गया था। गाजियाबाद में यह वीडियो जून में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। एएनआई के मुताबिक पिछले मंगलवार को कोर्ट ने फैसला 20 जुलाई तक के लिए टाल दिया था। गाजियाबाद के लोनी में बुजुर्ग की पिटाई के वायरल हुए वीडियो के मामले में उन्हें नोटिस भेजा गया था। यूपी पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत मनीष माहेश्वरी को नोटिस जारी किए थे।
24 जून को अदालत ने माहेश्वरी को दिया था अंतरिम संरक्षण
इससे पहले 24 जून को अदालत ने माहेश्वरी को अंतरिम संरक्षण देते हुए निर्देश दिया था कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। यूपी पुलिस ने इस आदेश को 29 जून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, इस कदम की आशंका जताते हुए, माहेश्वरी ने एक दिन पहले ही शीर्ष अदालत में एक कैविएट दायर की थी, जिसमें उनका पक्ष भी सुनने का आग्रह किया गया था।
बुजुर्ग का वीडियो वायरल होने के बाद दर्ज करवाई गई शिकायत को लेकर पूछताछ करने के लिए यूपी पुलिस ने मनीष माहेश्वरी को नोटिस भेजा था। पुलिस ने माहेश्वरी को लोनी बुलाकर पूछताछ में शामिल होने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि पिछले दिनों गाजियाबाद के लोनी के रहने वाले एक बुजुर्ग अब्दुल समद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उसमें कुछ लोग उसकी पिटाई करते हुए उनकी दाढ़ी काटते हुए दिख रहे थे। बाद में पुलिस ने बताया कि ताबीज को लेकर यह अनबन हुई थी। गाजियाबाद पुलिस ने मामले की छानबीन की और सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों को गलत बताया था। पुलिस ने इस मामले में ट्विटर, ट्विटर इंडिया समेत अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज कर दिया, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था।