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Exit Poll Failed In MCD Election results 2022 Accurate assessment missed now wait for Gujarat Himachal pradesh
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MCD Results: MCD में चूक गए एग्जिट पोल के सटीक आकलन, इसलिए अब गुजरात और हिमाचल को लेकर बढ़ी उत्सुकता
गुजरात हिमाचल प्रदेश और दिल्ली एमसीडी चुनावों के बाद सोमवार देर शाम को जब एग्जिट पोल के अनुमान जारी हुए, तो उसमें एमसीडी के चुनावों में आम आदमी पार्टी को जबरदस्त सीटों के आधार पर बहुमत दिखाया गया। ज्यादातर एजेंसियों और टीवी चैनल के साथ हुए सर्वे में निकल कर आया कि भारतीय जनता पार्टी 70 से 94 सीटों के बीच में ही सिमट रही है। जबकि आम आदमी पार्टी को 146 से 175 सीटों के मिलने का अनुमान लगाया गया। सियासी मामलों में दखल रखने वालों का कहना है कि ऐसे एग्जिट पोल के बाद आए नतीजों से एग्जिट पोल की साख पर बट्टा तो लग ही रहा है।
दिल्ली नगर निगम के चुनावों से पहले जारी हुए एग्जिट पोल और बुधवार को आए नतीजों से इन अनुमानों की साख पर भी सवाल खड़े किए हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक जितनी सीटें आम आदमी पार्टी को मिलती हुई दिख रहीं थी, वह नतीजों में नहीं बदली। यह बात अलग है कि एग्जिट पोल ने जीत आम आदमी पार्टी की ही दिखाई थी, लेकिन सीटों का जो अंतर था, वह हकीकत में बहुत बदला हुआ दिखा। ऐसे में अब गुरुवार को आने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नतीजे और एग्जिट पोल के पहले से आए आकलन को लेकर रोचकता बढ़ गई है।
गुजरात हिमाचल प्रदेश और दिल्ली एमसीडी चुनावों के बाद सोमवार देर शाम को जब एग्जिट पोल के अनुमान जारी हुए, तो उसमें एमसीडी के चुनावों में आम आदमी पार्टी को जबरदस्त सीटों के आधार पर बहुमत दिखाया गया। ज्यादातर एजेंसियों और टीवी चैनल के साथ हुए सर्वे में निकल कर आया कि भारतीय जनता पार्टी 70 से 94 सीटों के बीच में ही सिमट रही है। जबकि आम आदमी पार्टी को 146 से 175 सीटों के मिलने का अनुमान लगाया गया। सियासी मामलों में दखल रखने वालों का कहना है कि ऐसे एग्जिट पोल के बाद आए नतीजों से एग्जिट पोल की साख पर बट्टा तो लग ही रहा है।
सियासी मामलों के जानकार चंद्रकांत शर्मा कहते हैं कि शुरुआती दौर में जिस तरीके से एमसीडी के रुझान आने शुरू हुए वहीं से एग्जिट पोल के आकलन की हवा निकलनी शुरू हो गई। शुरुआती दौर में भारतीय जनता पार्टी आगे चल रही थी। बाद में आम आदमी पार्टी ने लीड लेनी शुरू की। उनका कहना है कि एग्जिट पोल के अनुमानों में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच में इतना जबरदस्त अंतर दिखाया गया था जो कि हकीकत में आए परिणामों में बिल्कुल भिन्न हो चुका है।
दिल्ली नगर निगम के परिणामों के बीच एग्जिट पोल के सटीक आकलन पर सवाल उठे हैं। ऐसे में अब सबसे ज्यादा चर्चा गुरुवार को होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश की मतगणना और इन राज्यों के आए एग्जिट पोल को लेकर होने लगी है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के पूर्व निदेशक जेसी ओझा कहते हैं कि दिल्ली में एग्जिट पोल के आकलन बहुत सटीक नहीं हुए हैं, खासकर सीटों की संख्या के मामले में। इसलिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर रोचकता बनना स्वाभाविक भी है। वह कहते हैं कि दिल्ली एमसीडी के चुनावों में एग्जिट पोल एक तरफा आम आदमी पार्टी को तो जिता रहे थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच में सीटों का जो अंतर था, वह सटीक ना होना सवालिया निशान तो उठाता ही है। हालांकि, उनका कहना है कि एग्जिट पोल महज एक अनुमान होता है और जरूरी नहीं है कि हर अनुमान सही ही हो। इसलिए एग्जिट पोल करने वाली एजेंसी या उससे जुड़े हुए अन्य संबंधित पर सवाल उठाना ठीक नहीं है।
गुजरात के लिए हुए एग्जिट पोल में अलग-अलग सर्वे करने वाली एजेंसी और टीवी चैनल के माध्यम से 128 सीटों से लेकर 161 सीटों तक पहुंचने एक अनुमान भारतीय जनता पार्टी के लिए लगाया गया। कांग्रेस के लिए इन्हें एजेंसियों के एग्जिट पोल में 16 से 50 सीटों तक मिलने का अनुमान लगाया गया। जबकि आम आदमी पार्टी के लिए एग्जिट पोल में 2 से 21 के बीच अलग-अलग एजेंसियों ने अपने सर्वे में सीटों का आकलन किया। राजनीतिक विश्लेषण और वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश पांडे कहते हैं दिल्ली एमसीडी के नतीजों और एग्जिट पोल के अनुमानों से अब गुरुवार को दोनों राज्यों में होने वाली मतगणना से रोचकता तो बड़ी गई है। वो कहते हैं कि अगर एग्जिट पोल के कल भी ऐसे ही रहे तो नतीजे रोचक हो सकते हैं।
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दरअसल एग्जिट पोल को लेकर शुरुआत से ही कई तरह के सवाल भी उठते रहे हैं। एग्जिट पोल के आकलन कई बार गलत भी साबित हुए हैं और कई बार आंकड़ों में भारी फेरबदल भी देखा गया। देश में सर्वे करने वाली एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ संयोजक बताते हैं कि एग्जिट पोल पर सवाल जरूर लगते रहे हैं, लेकिन एग्जिट पोल की विश्वसनीयता नतीजों के ज्यादातर करीब ही रहती है। उनका कहना है कि यह जरूर हुआ है कि कई बार अनुमानों की संख्या में अंतर हो गया। कई बार ऐसा भी हुआ कि एग्जिट पोल में जो अनुमान लगाया गया, उसमें पूरी तरीके से परिवर्तन भी हो गया।
वह कहते हैं कि 2021 में हुए पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल सही साबित नहीं हुए। इसी तरह 2020 में हुए बिहार विधानसभा के चुनावों में भी एग्जिट पोल सही साबित नहीं हो पाए थे। राजनीतिक विश्लेषक हरिहर दत्त भारती कहते हैं कि 2004 के लोकसभा चुनावों में बताया जा रहा था कि कांग्रेस की सरकार रिपीट नहीं हो रही है और भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिलता हुआ दिखाया जा रहा था। लेकिन जब परिणाम आए तो एनडीए को 200 से कम सीटों पर संतोष करना पड़ा था। हालांकि दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल के आंकलन सही साबित हुए थे।
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