अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार सीबीआई के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार से पूछताछ के लिये एजेंसी को सात दिन का रिमांड दिया है। सीबीआई ने अपने ही अधिकारी देवेंद्र कुमार को सोमवार को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। देवेंद्र कुमार को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया है।
पटियाला हाउस अदालत की विशेष न्यायाधीश संतोष स्नेही मान ने सीबीआई की दलीलों से सहमति जताते हुये कहा मामले की जांच अभी शुरुआती दौर में है और केस व आरोपों की गंभीरता के मद्देनजर आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। अदालत ने बचाव पक्ष की उस दलील को खारिज कर दिया कि देवेंद्र कुमर को गिरफ्तार करने से पहले भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन अधिनियम 2018 के तहत जरूरी अनुमति नहीं ली गई। अदालत ने देवेंद्र कुमार को 30 अक्तूबर को दोपहर दो बजे पेश करने का निर्देश दिया है।
सीबीआई के तर्क-
सीबीआई ने आरोपी से पूछताछ के लिये दस दिन का रिमांड मांगते हुये कहा कि आरोपी पर मामले में शिकायतकर्ता सतीश बाबू सना से तीन करोड़ की उगाही करने तथा एक आरोपी के बयान में फेरबदल करने का आरोप है। इसके अलावा उसके 20 व 21 अक्तूबर को उसके घर व कार्यालय से ऐसे दस्तावेज बरामद हुये हैं जो उसके पास नहीं होने चाहिये थे।
एजेंसी की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजन अधिकारी विवेक सक्सेना ने कहा कि इस मामले में अन्य साक्ष्यों तथा उगाही की साजिश में शामिल अन्य अधिकारियों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। उसे केस की जांच के लिये हैदराबाद भी लेकर जाना है।
बचाव पक्ष के तर्क-
सीबीआई की रिमांड का विरोध करते हुये बचाव पक्ष के अधिवक्ता राहुल त्यागी ने कहा कि उनके मुव्वकिल को इस मामले में फंसाया गया है क्योंकि वह जिस मामले की जांच कर रहा था उसमें सीबीआई के दो पूर्व निदेशकों एपी सिंह व रंजीत सिन्हा के नाम आ रहे थे।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मीट कारोबारी मोइन अख्तर कुरेशी मामले में जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक करनैल सिंह ने सीबीआई को पत्र लिखकर इसकी जांच करने का अनुरोध किया था। तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक अरुण कुमार ने उस पत्र के आधार पर मोइन कुरेशी के बयानों के आधार पर केस दर्ज किया था।
सीबीआई का केस
ईडी की पूछताछ के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि मोइन कुरेशी ने अपनी राजनीतिक व सीबीआई अधिकारी का झांसा देकर पूर्व निदेशक एपी सिंह व रंजीत सिन्हा के नाम करोड़ों रुपये की उगाही सना से उसके भाई सुरेश सना के केस के निबटारे के लिये की थी। वह उसे लेकर रंजीत सिन्हा के आवास पर भी गया था।
सीबीआई ने इस आधार पर मोइन कुरेशी, आदित्य, प्रदीप कनेरू, एपी सिंह व अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। देवेंद्र कुमार इस केस की ईमानदारी से जांच कर रहा था। इन आरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रस्ताव भी देवेंद्र कुमार ने एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों को दिया था।
चाव पक्ष ने यह भी कहा कि केस की जांच के दौरान विशेष निदेशक व एसआईटी प्रमुख राकेश अस्थाना को पता चला कि मौजूदा निदेशक आलोक कुमार पर भी शक की सुई जा रही है। उन पर कार्रवाई के लिये अस्थाना ने केबिनेट सचिव को पत्र भी लिखा था। इसलिये इस केस की जांच को लटकाने के लिये अस्थाना, देवेंद्र कुमार व अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार सीबीआई के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार से पूछताछ के लिये एजेंसी को सात दिन का रिमांड दिया है। सीबीआई ने अपने ही अधिकारी देवेंद्र कुमार को सोमवार को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था। देवेंद्र कुमार को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया है।
पटियाला हाउस अदालत की विशेष न्यायाधीश संतोष स्नेही मान ने सीबीआई की दलीलों से सहमति जताते हुये कहा मामले की जांच अभी शुरुआती दौर में है और केस व आरोपों की गंभीरता के मद्देनजर आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। अदालत ने बचाव पक्ष की उस दलील को खारिज कर दिया कि देवेंद्र कुमर को गिरफ्तार करने से पहले भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन अधिनियम 2018 के तहत जरूरी अनुमति नहीं ली गई। अदालत ने देवेंद्र कुमार को 30 अक्तूबर को दोपहर दो बजे पेश करने का निर्देश दिया है।
सीबीआई के तर्क-
सीबीआई ने आरोपी से पूछताछ के लिये दस दिन का रिमांड मांगते हुये कहा कि आरोपी पर मामले में शिकायतकर्ता सतीश बाबू सना से तीन करोड़ की उगाही करने तथा एक आरोपी के बयान में फेरबदल करने का आरोप है। इसके अलावा उसके 20 व 21 अक्तूबर को उसके घर व कार्यालय से ऐसे दस्तावेज बरामद हुये हैं जो उसके पास नहीं होने चाहिये थे।
एजेंसी की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजन अधिकारी विवेक सक्सेना ने कहा कि इस मामले में अन्य साक्ष्यों तथा उगाही की साजिश में शामिल अन्य अधिकारियों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। उसे केस की जांच के लिये हैदराबाद भी लेकर जाना है।
बचाव पक्ष के तर्क-
सीबीआई की रिमांड का विरोध करते हुये बचाव पक्ष के अधिवक्ता राहुल त्यागी ने कहा कि उनके मुव्वकिल को इस मामले में फंसाया गया है क्योंकि वह जिस मामले की जांच कर रहा था उसमें सीबीआई के दो पूर्व निदेशकों एपी सिंह व रंजीत सिन्हा के नाम आ रहे थे।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मीट कारोबारी मोइन अख्तर कुरेशी मामले में जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक करनैल सिंह ने सीबीआई को पत्र लिखकर इसकी जांच करने का अनुरोध किया था। तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक अरुण कुमार ने उस पत्र के आधार पर मोइन कुरेशी के बयानों के आधार पर केस दर्ज किया था।
सीबीआई का केस
ईडी की पूछताछ के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि मोइन कुरेशी ने अपनी राजनीतिक व सीबीआई अधिकारी का झांसा देकर पूर्व निदेशक एपी सिंह व रंजीत सिन्हा के नाम करोड़ों रुपये की उगाही सना से उसके भाई सुरेश सना के केस के निबटारे के लिये की थी। वह उसे लेकर रंजीत सिन्हा के आवास पर भी गया था।
सीबीआई ने इस आधार पर मोइन कुरेशी, आदित्य, प्रदीप कनेरू, एपी सिंह व अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। देवेंद्र कुमार इस केस की ईमानदारी से जांच कर रहा था। इन आरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रस्ताव भी देवेंद्र कुमार ने एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों को दिया था।
चाव पक्ष ने यह भी कहा कि केस की जांच के दौरान विशेष निदेशक व एसआईटी प्रमुख राकेश अस्थाना को पता चला कि मौजूदा निदेशक आलोक कुमार पर भी शक की सुई जा रही है। उन पर कार्रवाई के लिये अस्थाना ने केबिनेट सचिव को पत्र भी लिखा था। इसलिये इस केस की जांच को लटकाने के लिये अस्थाना, देवेंद्र कुमार व अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।