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CAPF: क्यों जॉब छोड़ रहे ITBP के सहायक कमांडेंट? लोकसभा में सरकार ने दिया ये जवाब

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Tue, 07 Feb 2023 03:43 PM IST
सार

CAPF:  लोकसभा सांसद रवनीत सिंह ने पूछा कि क्या सरकार को जानकारी है कि हाल के वर्षों में सीमा प्रहरी बल, 'आईटीबीपी' में विशेषकर सहायक कमांडेंट 'एसी' के स्तर पर बड़ी संख्या में सैनिकों ने नौकरी छोड़ी है। इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, आईटीबीपी में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या अधिक नहीं है...

CAPF: ITBP
CAPF: ITBP - फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)

विस्तार

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में सीधी भर्ती के जरिए 'सहायक कमांडेंट' बनने वाले युवा अधिकारी आखिर नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं। यह गंभीर मुद्दा, विभिन्न माध्यमों के द्वारा पहले भी उठाया जाता रहा है। मंगलवार को संसद की कार्यवाही के दौरान लोकसभा सांसद रवनीत सिंह ने पूछा कि क्या सरकार को जानकारी है कि हाल के वर्षों में सीमा प्रहरी बल, 'आईटीबीपी' में विशेषकर सहायक कमांडेंट 'एसी' के स्तर पर बड़ी संख्या में सैनिकों ने नौकरी छोड़ी है। इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, आईटीबीपी में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या अधिक नहीं है। पिछले दस वर्षों के दौरान नौकरी छोड़ने की औसत दर आमतौर पर एक समान रही है। यह देखा गया है कि अधिकारी बेहतर करियर के अवसरों का लाभ उठाने के लिए अथवा कुछ बाध्य करने वाली घरेलू परिस्थितियों के कारण त्यागपत्र देते हैं।

रवनीत सिंह ने अपने सवाल में पूछा कि हाल के वर्षों में ऐसे कितने सैनिकों ने नौकरी छोड़ी है। यदि ऐसा है तो दस वर्षों में प्रत्येक वर्ष के दौरान इसका ब्यौरा क्या है। इसके क्या कारण है। क्या नौकरी छोड़ने की इस प्रवत्ति से गुणवत्ता और पर्यवेक्षण के मामले में प्रचालनात्मक इकाइयों के लिए समस्याएं पैदा हो रही हैं। क्या सरकार, विशेषकर सहायक कमांडेंट के स्तर पर आईटीबीपी कर्मियों द्वारा नौकरी छोड़ने की इस प्रवृत्ति को कम करने के लिए कोई उपाय कर रही है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, हाल के वर्षों में आईटीबीपी में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या अधिक नहीं है। बल से त्यागपत्र देने वाले सहायक कमांडेंट की संख्या में अचानक कोई वृद्धि नहीं हुई है। पिछले दस वर्षों के दौरान नौकरी छोड़ने की औसत दर आमतौर पर एक समान रही है। इससे बल की परिचालन और प्रशासनिक आवश्यकताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। रिक्तियों को सीधी भर्ती, सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा और पदोन्नति के माध्यम से नियमित तौर पर भरा जाता है।

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