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Supreme Court: बिल्किस बानो मामले में दोषियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, याचिका पर सुनवाई करेगा कोर्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Wed, 22 Mar 2023 12:32 PM IST
बिल्किस बानो मामले के दोषियों की रिहाई के खिलाफ दर्ज याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस पर सुनवाई के लिए नई पीठ बनाने का आश्वासन दिया है।
बिल्किस बानो मामले में रिहा चल रहे दोषियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट, दोषियों की समय पूर्व रिहाई के खिलाफ दर्ज याचिका पर सुनवाई हेतु नई पीठ के गठन के लिए तैयार हो गया है। बता दें कि साल 2002 में बिल्किस बानो के साथ गैंगरेप के मामले में सभी 11 दोषियों को समय पूर्व ही रिहा कर दिया गया था। दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई थी लेकिन 15 अगस्त 2022 को गुजरात की गोधरा जेल में सजा काट रहे इन कैदियों को गुजरात सरकार ने सजा माफी की नीति के तहत रिहा कर दिया था। रिहा किए गए लोगों में से कुछ 15 साल तो कुछ 18 साल की जेल काट चुके हैं।
नई पीठ का होगा गठन
दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिल्किस बानो ने अपनी वकील शोभा गुप्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए नई पीठ के गठन का बिल्किस बानो और उनकी वकील शोभा गुप्ता को आश्वासन दिया है। बिल्किस बानो की वकील शोभा गुप्ता ने मामले पर जल्द सुनवाई करने की जरूरत बताई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका भी लगाई
बिल्किस बानो ने बीती 24 जनवरी को दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ इन दिनों इच्छामृत्यु की मांग वाले मामले पर सुनवाई कर रही है, ऐसे में जिस जज को याचिका पर सुनवाई करनी थी, उनके संविधान पीठ का हिस्सा होने के चलते बिल्किस बानो की याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी। गौरतलब है कि दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका के साथ ही बिल्किस बानो ने 13 मई 2022 को दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी एक पुनर्विचार याचिका दायर की है।
15 अगस्त 2022 को हुई थी दोषियों की रिहाई
13 मई 2022 को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर विचार करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने गुजरात सरकार को 9 जुलाई 1992 की उसकी नीति पर विचार करने को कहा था। इसके बाद ही 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने दोषियों को समय पूर्व रिहा करने का आदेश दिया था। हालांकि 13 मई 2022 के फैसले के खिलाफ बिल्किस बानो की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल दिसंबर में खारिज कर दिया था। बता दें कि 2002 के दंगों के दौरान बिल्किस बानो के परिवार के सात लोगों की हत्या भी कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अदालतों की प्रथा को हरी झंडी दिखाई
सुप्रीम कोर्ट ने समन के जवाब में अभियुक्तों के पेश होने पर उन्हें जांच एजेंसी की हिरासत में भेजने की प्रथा का पालन करते हुए कुछ अदालतों के मुद्दे को उठाया और कहा कि इस अभ्यास की शुद्धता का परीक्षण करने की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले चार आरोपियों की अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही, जिसमें सीबीआई द्वारा जांच किए गए एक मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को सीबीआई के इशारे पर नहीं बल्कि ट्रायल कोर्ट के इशारे पर गिरफ्तारी का डर है। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि अपीलकर्ताओं को उनकी गिरफ्तारी की स्थिति में जमानत पर रिहा किया जाए, जो विशेष अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन हो, जिसमें पासपोर्ट जमा करने की शर्त भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई के इशारे पर काम करने वाली महिला को जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महिला को जमानत दे दी, जिस पर कथित तौर पर प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध होने का आरोप था और वह 28 जनवरी से इंदौर की एक अदालत में कार्यवाही का फिल्मांकन करने के कारण जेल में थी।
जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज की दलीलों पर ध्यान दिया कि उन्हें लॉ इंटर्न सोनू मंसूरी को जमानत दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
वकीलों के चैंबर के लिए भूमि आवंटन पर गुरुवार को फैसला सुनाएगा शीर्ष कोर्ट
वकीलों के चैंबर निर्माण के लिए शीर्ष अदालत को आवंटित 1.33 एकड़ भूमि को बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय गुरुवार को अपना फैसला सुना सकता है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के अपना आदेश देने की संभावना है।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 17 मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि वह वकीलों के कक्षों के लिए भूमि आवंटन का मुद्दा सरकार के समक्ष उठाएगी।
जस्टिस एस के कौल और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने भी SCBA के अध्यक्ष विकास सिंह से पूछा था कि चैंबरों के आवंटन के लिए जमीन लेने के लिए न्यायिक आदेश कैसे पारित किया जा सकता है। पीठ ने कहा था कि सरकार के साथ प्रशासनिक पक्ष पर इसे उठाने के लिए हमें अदालत पर भरोसा करना चाहिए। सरकार को यह संकेत नहीं जाना चाहिए कि हम न्यायिक आदेश पारित करके उनके अधिकार को खत्म कर सकते हैं।
सेना में जज महाधिवक्ता के लिए विवाहितों को आवेदन से रोकना सही
सेना में विधि अधिकारी जज महाधिवक्ता (जेएजी) पद के लिए विवाहित व्यक्ति को आवेदन से रोकना केंद्र सरकार ने सही बताया है। इस रोक को दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। जवाब में सरकार ने कहा कि ‘शादी के असर’ पर विचार करने के बाद यह तार्किक रोक ‘जनहित और देश की सुरक्षा के हित’ में लगाई है।
एक अतिरिक्त हलफनामे में सरकार ने यह भी बताया कि कमीशन पाने के लिए 21 से 27 साल के कैडेट्स के अविवाहित होने की शर्त केवल भर्ती और तैनाती से पहले की प्रशिक्षण अवधि के लिए है। इस दौरान कैडेट को बेहद कड़े तनाव व प्रशिक्षण से गुजरना होता है। कमीशन पाने के पहले विवाह पर रोक अभ्यर्थी और संस्थान दोनों के हित में है। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सचिन दत्ता ने केंद्र की सुनवाई के बाद याची को अपना पक्ष रखने को कहा, अगली सुनवाई 17 जुलाई को रखी गई है। हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष अविवाहित रहने की शर्त पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था।
कोर्ट में सुनवाई की रिकॉर्डिंग कर रही महिला को जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने बजरंग दल नेता की जमानत अर्जी पर सुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाली 23 वर्षीय विधि छात्रा को जमानत दे दी। छात्रा ने आरोप लगाया था कि इंदौर में सांप्रदायिक उन्माद उसे मध्य प्रदेश की अदालतों में जमानत अर्जी दाखिल करने से रोक रहा है। जस्टिस अजय रस्तोगी व जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ को मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने बताया कि अदालत आरोपी नूरजहां को जमानत पर रिहा कर सकती है।
वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी याचिकाओं पर 9 अप्रैल को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी याचिकाओं पर 9 मई को सुनवाई करेगा। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए बताया कि इस मामले में तर्कों और सामान्य संकलन को क्रमवार कर लिया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि केंद्र का जवाब भी तैयार है बस उसकी जांच की जानी बाकी है। इसके बाद पीठ ने सुनवाई की तारीख 9 मई तय कर दी। शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण से जुड़ी याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र से जवाब मांगा था। याचिकाओं में से एक इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट के विभाजित फैसले के संबंध में दायर की गई है। यह अपील दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक खुशबू सैफी ने दायर की है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल 11 मई को इस मुद्दे पर खंडित फैसला सुनाया था।
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