अमर उजाला पोल में करीब 65 फीसदी लोगों ने इस आशंका से सहमति जताई है कि दिल्ली एनसीआर में इन दिनों फैले भयावह प्रदूषण से कोरोना फैल सकता है।
पोल में यह था सवाल
एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण से कोरोना फैलने की आशंका जताई। क्या आप इससे सहमत हैं?
अमर उजाला पोल में शामिल हुए लोगों में से 64.99 फीसदी ने इस आशंका से सहमति जताई है। उनके अनुसार यह आशंका सच हो सकती है। वहीं 35.01 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनका मानना है कि यह आशंका सही नहीं है।
जानिए डॉ. गुलेरिया को क्या है आशंका
दिवाली के बाद दिल्ली की आबोहवा बेहद खराब हो गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। लोगों की सांस और आंखों में खुजली की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने आगाह करते हुए कहा कि प्रदूषण से कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा सिगरेट के धुएं से ज्यादा हानिकारक हो गई है। प्रदूषण के चलते लोगों का जीवनकाल भी काफी कम हो गया है।
अध्ययनों से पता चला है कि दिल्ली के निवासियों की जीवन अवधि काफी कम हो गई है। एक अंग्रेजी चैनल से खास बातचीत में एम्स निदेशक ने कहा कि प्रदूषित क्षेत्रों में कोविड की गंभीरता काफी बढ़ जाती है। मरीजों के फेफड़ों में अधिक सूजन हो जाती है। जिससे कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, दिल्ली की हवा लोगों के गले में खराश, आंखों में जलन, सांस में तकलीफ दे रही है। खासकर बुजुर्ग, छोटे बच्चे और हाल ही में कोरोना से ठीक हुए गंभीर मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को बताया कि हर साल दिवाली और सर्दियों के समय उत्तरी भारत में पराली जलाने, पटाखों, दूसरी वजहों से दिल्ली और पूरे गांगेय इलाके में स्मॉग होता है। इसका स्वास्थ्य पर बहुत असर होता है। एम्स के निदेशक ने कहा कि हमने एक अध्ययन किया है। इसमें हमने देखा कि जब भी प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है तो उसके कुछ दिन बाद बच्चों और वयस्कों में सांस की समस्या बढ़ जाती है। ये तय है कि प्रदूषण से सांस की समस्या बढ़ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषण के कारण दिल्ली के सभी अस्पतालों में मरीज पहुंच रहे हैं।
विस्तार
अमर उजाला पोल में करीब 65 फीसदी लोगों ने इस आशंका से सहमति जताई है कि दिल्ली एनसीआर में इन दिनों फैले भयावह प्रदूषण से कोरोना फैल सकता है।
पोल में यह था सवाल
एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण से कोरोना फैलने की आशंका जताई। क्या आप इससे सहमत हैं?
अमर उजाला पोल में शामिल हुए लोगों में से 64.99 फीसदी ने इस आशंका से सहमति जताई है। उनके अनुसार यह आशंका सच हो सकती है। वहीं 35.01 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनका मानना है कि यह आशंका सही नहीं है।
जानिए डॉ. गुलेरिया को क्या है आशंका
दिवाली के बाद दिल्ली की आबोहवा बेहद खराब हो गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। लोगों की सांस और आंखों में खुजली की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने आगाह करते हुए कहा कि प्रदूषण से कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा सिगरेट के धुएं से ज्यादा हानिकारक हो गई है। प्रदूषण के चलते लोगों का जीवनकाल भी काफी कम हो गया है।
अध्ययनों से पता चला है कि दिल्ली के निवासियों की जीवन अवधि काफी कम हो गई है। एक अंग्रेजी चैनल से खास बातचीत में एम्स निदेशक ने कहा कि प्रदूषित क्षेत्रों में कोविड की गंभीरता काफी बढ़ जाती है। मरीजों के फेफड़ों में अधिक सूजन हो जाती है। जिससे कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, दिल्ली की हवा लोगों के गले में खराश, आंखों में जलन, सांस में तकलीफ दे रही है। खासकर बुजुर्ग, छोटे बच्चे और हाल ही में कोरोना से ठीक हुए गंभीर मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को बताया कि हर साल दिवाली और सर्दियों के समय उत्तरी भारत में पराली जलाने, पटाखों, दूसरी वजहों से दिल्ली और पूरे गांगेय इलाके में स्मॉग होता है। इसका स्वास्थ्य पर बहुत असर होता है। एम्स के निदेशक ने कहा कि हमने एक अध्ययन किया है। इसमें हमने देखा कि जब भी प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है तो उसके कुछ दिन बाद बच्चों और वयस्कों में सांस की समस्या बढ़ जाती है। ये तय है कि प्रदूषण से सांस की समस्या बढ़ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषण के कारण दिल्ली के सभी अस्पतालों में मरीज पहुंच रहे हैं।