राज्यसभा में मानसून सत्र के सातवें दिन रविवार को भारी हंगामे के बीच दो कृषि विधेयकों को पास कर दिया गया। लेकिन, इन दोनों विधेयकों को पास करवाने के दौरान जो राज्यसभा में हुआ उसे लेकर मोदी सरकार के छह दिग्गज मंत्रियों ने शाम 7.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उल्लेख किया। आइए आपको बताते हैं कि आखिर आज राज्यसभा में ऐसा क्या हुआ, जो छह कैबिनेट मंत्रियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका उल्लेख करना पड़ा। हालांकि, लोकसभा में तो ऐसे दृश्य कई बार देखे गए हैं, लेकिन राज्यसभा में ऐसा कभी नहीं हुआ था।
राज्यसभा में हुई घटना को लेकर रविवार शाम करीब 7.30 बजे मोदी सरकार के छह दिग्गज मंत्रियों राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रह्लाद जोशी, पीयूष गोयल, थावरचंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिर्फ दो मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी ने ही अपनी बात रखी, बाकी मंत्रियों के बोले बिना ही प्रेस वार्ता को खत्म कर दिया गया।
विपक्षी सांसदों ने फाड़ी रूल बुक
राज्यसभा में कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने विधेयक के टुकड़े हवा में उछाल दिए और रूल बुक फाड़ दी। साथ ही उन्होंने उपसभापति के सामने लगा माइक भी तोड़ दिया। इस हंगामे को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुखद, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार से लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंची है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 'राज्यसभा में कृषि से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा चल रही थी उस समय राज्यसभा में जो हुआ वह दुखद था, दुर्भाग्यपूर्ण भी था और उससे भी आगे जाकर मैं कहना चाहूंगा कि वो अत्यधिक शर्मनाक था।' उन्होंने कहा कि राज्यसभा में उप सभापति के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, उसे सभी ने देखा। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार से लोकतंत्र की गरिमा पर आंच आई है। उन्होंने कहा कि जब-जब संसद की मर्यादा टूटती है, तब-तब लोकतंत्र की गरिमा पर आंच आती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 'सदन में चर्चा कराना सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है, लेकिन विपक्ष का भी यह भी कर्तव्य है कि सदन की गरिमा बनाए रखें।'
राज्यसभा में क्या हुआ?
कृषि से जुड़े दो विधेयकों पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जब राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे, तभी अभूतपूर्व हंगामा हुआ। दरअसल, केंद्रीय मंत्री तोमर के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद वेल में पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने माइक तोड़ा और कागज फाड़े। साथ ही उपसभापति से विधेयक छीनने की कोशिश भी की।
विधेयकों पर बहस के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपना जवाब दे रहे थे, लेकिन उनके जवाबों से असंतुष्ट टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन वेल में पहुंच गए और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को हाउस रूल बुक दिखाई। इसके अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्य भी वेल में पहुंच गए।
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यसभा का समय नहीं बढ़ाया जाए। मंत्री का जवाब कल हो, क्योंकि अधिकतर सदस्यों का यही मानना है। इस दौरान हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया। इसके अलावा वेल के पास पहुंचकर उपसभापति से विधेयक छीनने की कोशिश भी की।
कांग्रेस ने एमएसपी खत्म करने का लगाया आरोप
कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कॉरपोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आई है। हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं।
'विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा'
राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना है कि ये उनकी आत्मा पर हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है।
शिवसेना ने सरकार से मांगा आश्वासन
शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा में कहा कि 'क्या सरकार देश के किसानों को आश्वस्त कर सकती है कि कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा? इन विधेयकों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।'
वाईएसआर कांग्रेस ने किसान विधेयकों का समर्थन किया। सदन में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने विधेयकों के विरोध को बेतुका करार दिया और कांग्रेस की जमकर आलोचना की। रेड्डी ने सदन में कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र लहराया और कहा कि यह पार्टी किसान हित के नाम पर पाखंड कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी इसी तरह के वादे अपने घोषणापत्र में किए थे। वर्तमान विधेयकों में भी इन वादों को रखा गया है।
वाईएसआर सांसद ने अपने भाषण के दौरान कांग्रेस को लेकर तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे पार्टी नेता हमलावर हो गए। भाषण के दौरान सदन में हंगामा मच गया। हालांकि, पीठासीन डॉ एल हनुमंतय्या ने उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकालने का निर्देश दिया। दूसरी तरफ, कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने रेड्डी को अपने बयानों के लिए माफी मांगने को कहा।
कृषि मंत्री ने पेश किए बिल
इससे पहले, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि संबंधित तीन विधेयक- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पेश किए।
कृषि मंत्री ने विधेयकों को पेश करते हुए कहा कि 'दो विधेयक ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में बदलाव लाएंगे। किसान देश में कहीं भी अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकेंगे। मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये विधेयक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबंधित नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने भी ने कहा है कि एमएसपी जारी है और आगे भी जारी रहेगी।'
राज्यसभा में मानसून सत्र के सातवें दिन रविवार को भारी हंगामे के बीच दो कृषि विधेयकों को पास कर दिया गया। लेकिन, इन दोनों विधेयकों को पास करवाने के दौरान जो राज्यसभा में हुआ उसे लेकर मोदी सरकार के छह दिग्गज मंत्रियों ने शाम 7.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उल्लेख किया। आइए आपको बताते हैं कि आखिर आज राज्यसभा में ऐसा क्या हुआ, जो छह कैबिनेट मंत्रियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका उल्लेख करना पड़ा। हालांकि, लोकसभा में तो ऐसे दृश्य कई बार देखे गए हैं, लेकिन राज्यसभा में ऐसा कभी नहीं हुआ था।
राज्यसभा में हुई घटना को लेकर रविवार शाम करीब 7.30 बजे मोदी सरकार के छह दिग्गज मंत्रियों राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रह्लाद जोशी, पीयूष गोयल, थावरचंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिर्फ दो मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी ने ही अपनी बात रखी, बाकी मंत्रियों के बोले बिना ही प्रेस वार्ता को खत्म कर दिया गया।
विपक्षी सांसदों ने फाड़ी रूल बुक
राज्यसभा में कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने विधेयक के टुकड़े हवा में उछाल दिए और रूल बुक फाड़ दी। साथ ही उन्होंने उपसभापति के सामने लगा माइक भी तोड़ दिया। इस हंगामे को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि राज्यसभा में जो कुछ भी हुआ वह बेहद दुखद, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार से लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंची है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 'राज्यसभा में कृषि से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा चल रही थी उस समय राज्यसभा में जो हुआ वह दुखद था, दुर्भाग्यपूर्ण भी था और उससे भी आगे जाकर मैं कहना चाहूंगा कि वो अत्यधिक शर्मनाक था।' उन्होंने कहा कि राज्यसभा में उप सभापति के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, उसे सभी ने देखा। उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार से लोकतंत्र की गरिमा पर आंच आई है। उन्होंने कहा कि जब-जब संसद की मर्यादा टूटती है, तब-तब लोकतंत्र की गरिमा पर आंच आती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 'सदन में चर्चा कराना सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है, लेकिन विपक्ष का भी यह भी कर्तव्य है कि सदन की गरिमा बनाए रखें।'
राज्यसभा में क्या हुआ?
कृषि से जुड़े दो विधेयकों पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जब राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे, तभी अभूतपूर्व हंगामा हुआ। दरअसल, केंद्रीय मंत्री तोमर के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद वेल में पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने माइक तोड़ा और कागज फाड़े। साथ ही उपसभापति से विधेयक छीनने की कोशिश भी की।
विधेयकों पर बहस के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपना जवाब दे रहे थे, लेकिन उनके जवाबों से असंतुष्ट टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन वेल में पहुंच गए और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को हाउस रूल बुक दिखाई। इसके अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्य भी वेल में पहुंच गए।