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Afghanistan: India will not start commercial flight to Kabul, still 'wait and watch' policy on relations with Taliban
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अफगानिस्तान: भारत नहीं शुरू करेगा काबुल की फ्लाइट, तालिबान से संबंधों पर अभी भी 'वेट एंड वॉच' की नीति
अफगानिस्तान ने भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन से भी चिट्ठी लिखकर काबुल की कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने की गुजारिश की। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल भारत से अफगानिस्तान की कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने का कोई मतलब ही नहीं बनता। भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों को चलाने के लिए किसी भी तरीके का कोई कूटनीतिक रोड मैप तैयार नहीं हुआ है...
काबुल एयरपोर्ट
- फोटो : Agency (File Photo)
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अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार की ओर से दुनिया भर के मुल्कों में पत्र लिखकर कमर्शियल फ्लाइट को शुरू करने की गुजारिश की जा रही है। ऐसी ही गुजारिश भारत से भी की गई है लेकिन भारत में फिलहाल उस पर कोई भी जवाब नहीं दिया है। जानकारी के मुताबिक फिलहाल डीजीसीए ने काबुल के लिए कमर्शियल फ्लाइट नहीं चलाने का फैसला किया है। क्योंकि भारत अभी अफगानिस्तान के रिश्तों को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
तुर्की और कतर के विशेषज्ञों ने ठीक किया एयरपोर्ट
15 अगस्त को अफगानिस्तान में हुए तख्तापलट के बाद तालिबानियों ने पूरे देश में कब्जा कर लिया। इसी के साथ समूची दुनिया से अफगानिस्तान का राजनयिक संपर्क कट गया। हालांकि कुछ देश अपने दूतावासों को अफगानिस्तान में चला रहे थे, लेकिन वायु मार्ग के माध्यम से अफगानिस्तान का पूरी दुनिया से संपर्क कट गया था। काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के बाद में रनवे से लेकर हैंगर और एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम समेत एयरपोर्ट का ज्यादातर एरिया ध्वस्त हो गया था। अफगनिस्तान के सिविल एविएशन विभाग की सूचना के मुताबिक तुर्की और कतर के एयरपोर्ट विशेषज्ञों ने पूरे एयरपोर्ट को बनाकर दोबारा तैयार कर दिया है। अफगानिस्तान ने दुनिया भर के देशों से संपर्क कर काबुल के लिए कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने के लिए चिट्ठियां लिखनी शुरू कर दीं।
इसी कड़ी में अफगानिस्तान ने भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन से भी चिट्ठी लिखकर काबुल की कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने की गुजारिश की। लेकिन तालिबान के इस गुजारिश पर फिलहाल कोई भी जवाब नहीं दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल भारत से अफगानिस्तान की कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने का कोई मतलब ही नहीं बनता। भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों को चलाने के लिए किसी भी तरीके का कोई कूटनीतिक रोड मैप तैयार नहीं हुआ है।
पाकिस्तान से आई पहली फ्लाइट
अफगानिस्तान ने दुनिया भर के देशों में भेजी गई चिट्ठी में इस बात का जिक्र किया है कि सभी देश उनकी सरकार को सपोर्ट करें और काबुल से अपने देशों को हवाई मार्ग के जरिए जोड़ें। तालिबानियों ने इस बात का भी जिक्र किया है कि बहुत से अफगानी नागरिक दुनिया भर में फंसे हुए हैं जो वापस अपने मुल्क आना चाहते हैं। ऐसे में कमर्शियल फ्लाइट को शुरू करके उनके लोगों को उनके देश भेजा जाना चाहिए। इसके अलावा तालिबानियों का कहना है कि उनके मुल्क के बहुत से लोग विदेश आकर पढ़ाई करना चाहते हैं और इलाज के लिए जाना चाहते हैं। ऐसे में कमर्शियल फ्लाइट शुरू करके इन लोगों की मदद की जानी चाहिए। हालांकि अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर काबुल की कमर्शियल फ्लाइट को शुरू करने की घोषणा नहीं की है लेकिन काबुल के हवाई अड्डे पर पहली कमर्शियल फ्लाइट 15 सितंबर को पाकिस्तान से लैंड कर चुकी है।
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के पत्रकारों का एक दल जहाज में था। जो अफगानिस्तान के हालात का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। तालिबानी सरकार के प्रवक्ता तारिक ग़ज़नीवाल ने अमर उजाला को बताया कि उनकी सरकार हर मुल्क को पत्र भेजकर कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने की मांग कर रही है। उनका कहना है कि 15 अगस्त से पहले जिस तरीके से काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कमर्शियल फ्लाइट का आवागमन था, उसे दोबारा सुचारू रूप से चालू किया जाए। ग़ज़नीवाल का कहना है कि भारत के साथ भी इस तरीके का पत्राचार किया गया है।
विस्तार
अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार की ओर से दुनिया भर के मुल्कों में पत्र लिखकर कमर्शियल फ्लाइट को शुरू करने की गुजारिश की जा रही है। ऐसी ही गुजारिश भारत से भी की गई है लेकिन भारत में फिलहाल उस पर कोई भी जवाब नहीं दिया है। जानकारी के मुताबिक फिलहाल डीजीसीए ने काबुल के लिए कमर्शियल फ्लाइट नहीं चलाने का फैसला किया है। क्योंकि भारत अभी अफगानिस्तान के रिश्तों को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
तुर्की और कतर के विशेषज्ञों ने ठीक किया एयरपोर्ट
15 अगस्त को अफगानिस्तान में हुए तख्तापलट के बाद तालिबानियों ने पूरे देश में कब्जा कर लिया। इसी के साथ समूची दुनिया से अफगानिस्तान का राजनयिक संपर्क कट गया। हालांकि कुछ देश अपने दूतावासों को अफगानिस्तान में चला रहे थे, लेकिन वायु मार्ग के माध्यम से अफगानिस्तान का पूरी दुनिया से संपर्क कट गया था। काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के बाद में रनवे से लेकर हैंगर और एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम समेत एयरपोर्ट का ज्यादातर एरिया ध्वस्त हो गया था। अफगनिस्तान के सिविल एविएशन विभाग की सूचना के मुताबिक तुर्की और कतर के एयरपोर्ट विशेषज्ञों ने पूरे एयरपोर्ट को बनाकर दोबारा तैयार कर दिया है। अफगानिस्तान ने दुनिया भर के देशों से संपर्क कर काबुल के लिए कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने के लिए चिट्ठियां लिखनी शुरू कर दीं।
इसी कड़ी में अफगानिस्तान ने भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन से भी चिट्ठी लिखकर काबुल की कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने की गुजारिश की। लेकिन तालिबान के इस गुजारिश पर फिलहाल कोई भी जवाब नहीं दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल भारत से अफगानिस्तान की कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने का कोई मतलब ही नहीं बनता। भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों को चलाने के लिए किसी भी तरीके का कोई कूटनीतिक रोड मैप तैयार नहीं हुआ है।
पाकिस्तान से आई पहली फ्लाइट
अफगानिस्तान ने दुनिया भर के देशों में भेजी गई चिट्ठी में इस बात का जिक्र किया है कि सभी देश उनकी सरकार को सपोर्ट करें और काबुल से अपने देशों को हवाई मार्ग के जरिए जोड़ें। तालिबानियों ने इस बात का भी जिक्र किया है कि बहुत से अफगानी नागरिक दुनिया भर में फंसे हुए हैं जो वापस अपने मुल्क आना चाहते हैं। ऐसे में कमर्शियल फ्लाइट को शुरू करके उनके लोगों को उनके देश भेजा जाना चाहिए। इसके अलावा तालिबानियों का कहना है कि उनके मुल्क के बहुत से लोग विदेश आकर पढ़ाई करना चाहते हैं और इलाज के लिए जाना चाहते हैं। ऐसे में कमर्शियल फ्लाइट शुरू करके इन लोगों की मदद की जानी चाहिए। हालांकि अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर काबुल की कमर्शियल फ्लाइट को शुरू करने की घोषणा नहीं की है लेकिन काबुल के हवाई अड्डे पर पहली कमर्शियल फ्लाइट 15 सितंबर को पाकिस्तान से लैंड कर चुकी है।
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के पत्रकारों का एक दल जहाज में था। जो अफगानिस्तान के हालात का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। तालिबानी सरकार के प्रवक्ता तारिक ग़ज़नीवाल ने अमर उजाला को बताया कि उनकी सरकार हर मुल्क को पत्र भेजकर कमर्शियल फ्लाइट शुरू करने की मांग कर रही है। उनका कहना है कि 15 अगस्त से पहले जिस तरीके से काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कमर्शियल फ्लाइट का आवागमन था, उसे दोबारा सुचारू रूप से चालू किया जाए। ग़ज़नीवाल का कहना है कि भारत के साथ भी इस तरीके का पत्राचार किया गया है।
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