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सात दशक की दोस्ती की बुनियाद होगी मजबूत, भारत-रूस के बीच होंगे 12 समझौते
amarujala.com- Presented by: संदीप भट्ट
Updated Thu, 01 Jun 2017 11:43 AM IST
प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी ने चार यूरोपीय देशों की यात्रा के तहत रूस पहुंच गए हैं। आज मोदी रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ 18वें भारत-रूस सालाना सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह 2 जून को सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करेंगे। मोदी इसे रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ संयुक्त रूप से संबंध करेंगे। फोरम में भारत इस बार मेहमान देश है। इसे दोनों देशों के 70 साल पुराने रिश्तों के जश्न के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत और रूस की दोस्ती के सत्तर साल हो चुके हैं। इस दौरान रूस भारत का सबसे बड़ा सहयोगी देश रहा। लेकिन दो ध्रुवीय विश्व व्यवस्था और सोवियत आर्थिक मॉडल के ढहते ही दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं।
वक्त के तकाजों ने भारत को अमेरिका से नजदीकियां बढ़ाने को प्रेरित किया। और इधर रूस का चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव बढ़ा। बहरहाल, भारत और रूस ने एक बार फिर अपने रिश्तों की अहमियत पहचानी है और इसकी बुनियाद मजबूत बनाने के मंसूबे बांधें हैं।
आजादी के पहले
13 अप्रैल, 1947 को सोवियत संघ और भारत की सरकारों ने मॉस्को और दिल्ली में सरकारी मिशन स्थापित करने का फैसला किया। भारत की आजादी के संघर्ष और स्वतंत्र राष्ट्र बनने की आकांक्षा को रूस का मजबूत समर्थन।
आजादी के बाद - नवनिर्माण का साथी
1. रूस ने भिलाई, विशाखापट्टनम और बोकारो में स्टील प्लांट समेत कई उद्योग स्थापित करने में मदद की। 2. बॉम्बे में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, देहरादून और अहमदाबाद में पेट्रोलियम इंडस्ट्री के रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे उच्च संस्थानों की स्थापना में मदद। भारत-रूस सहयोग से 1975 में देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट लांच। भारतीय नागरिक राकेश शर्मा 1984 में सोयुज टी-11 के चालक दल के सदस्य के रूप में अंतरिक्ष गए।
3. 1971 में शांति, मैत्री और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर। 1993 में, रूसी संघ और भारत की नई संधि में इन बुनियादी सिद्धांतों पर फिर जोर। वर्ष 2000 में सामरिक समझौता।
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4. शानदार सैन्य और तकनीकी सहयोग का रिकार्ड । रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार और सैनिक-साजोसामान सप्लायर।
रिश्तों को नए सिरे से समेटने की कोशिश
मौजूदा माहौल
नई वैश्विक कारोबारी व्यवस्था में और सामरिक जरूरतों की वजह से भारत, अमेरिका के नजदीक जाने को मजबूर हुआ है। वहीं रूस ने अपने हथियार और एनर्जी उद्योग की जरूरतों के लिए भारत के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और चीन को समर्थन देने की रणनीति बनाई है। इसने दोनों के रिश्तों में खिंचाव पैदा किया।
रिश्तों को नए सिरे से समेटने की कोशिश
नई आर्थिक औैर सामरिक जरूरतों ने भारत और रूस एक बार अपनी दोस्ती की बुनियाद मजबूत करने की ओर आगे बढ़े हैं। रूस ने भारत में परमाणु ऊर्जा विकसित करने में मदद देने की ठानी है तो भारत रूस के एनर्जी सेक्टर में साझेदार बनने में दिलचस्पी ले रहा है।
ब्रिक्स, संघाई सहयोग संगठन, जी-20 और अफगानिस्तान में रूस भारत का अहम सहयोगी है। दोस्ती को फिर परवान चढ़ाने के लिए मोदी 1 और 2 जून को पुतिन से शिखर सम्मेलन करेंगे। इस दौरान रूस से कई अहम कारोबारी समझौते हैं। भारत पहली बार सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकनॉमिक फोरम में भाग लेगा।
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