दिल्ली विश्वविद्यालय में 15 मई से 7 जून तक चली आवेदन प्रक्रिया के दौरान अधिक से अधिक कोर्स भरने की सलाह को छात्रों ने गंभीरता से नहीं लिया। इस लापरवाही की वजह से अब कई छात्र कटऑफ में जगह बनाने के बाद भी दाखिले से वंचित हैं। वजह यह है कि फॉर्म भरते समय उन्होंने कोर्स के लिए आवेदन नहीं किया। ऐसे छात्र अब कोर्स को फॉर्म में जुड़वाने के लिए डीन स्टूडेंट वेलफेयर कार्यालय पहुंच रहे हैं। जबकि आवेदन फॉर्म में कोर्स जुड़वाने का प्रावधान ही नहीं है।
डीयू के कई कॉलेजों में काफी कोर्स में पहली कटऑफ व्यवहारिक रखी गई है। कई छात्रों ने सीमित विकल्प भरे थे। अब कटऑफ जारी होने के बाद कुछ अन्य कोर्स में भी वह दाखिले के योग्य हैं। वह उस कोर्स को फॉर्म में जुड़वाना चाहते हैं ताकी उसमें दाखिला ले सकें। मसलन यदि इतिहास ऑनर्स का विकल्प नहीं भरा है और उसके योग्य बनने के बाद वह फॉर्म में जुड़वाना चाह रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, एक बार आवेदन प्रक्रिया खत्म होने के बाद फॉर्म में कोर्स नहीं जुड़वाया जा सकता है। आवेदन के समय सभी कोर्सेज में आवेदन की सलाह दी गई थी। लेकिन कई छात्रों ने महज एक तो किसी ने तीन से चार ही कोर्स का विकल्प भरा। वहीं, अब नाम नहीं आने पर कोर्स जुड़वाने को लेकर छात्रों के कैंपस पहुंचने का सिलसिला अंतिम कटऑफ तक जारी रहेगा।
डीयू के कॉलेजों में पहली कट ऑफ में तेलंगाना व केरल बोर्ड के हाई स्कोर वाले छात्र बड़ी संख्या में दाखिला ले रहे हैं। कटऑफ बीट करने के कारण कॉलेजों को इन्हें दाखिला देना पड़ रहा है। वहीं, दोनों बोर्ड की मार्कशीट कॉलेजों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। दरअसल, दोनों बोर्ड में 11वीं व 12वीं की मार्कशीट संयुक्त रूप से दी जाती है। ऐसे में कॉलेजों को केवल बारहवीं के अंक प्रतिशत निकालने में समय लग रहा है।
एक प्रिंसिपल के मुताबिक, तेलंगाना व केरल बोर्ड के छात्रों की मार्कशीट के कारण दाखिले में समय ज्यादा लग रहा है। इन छात्रों के अंक भी ज्यादा होते हैं लिहाजा इन्हें दाखिले से मना भी नहीं किया जा सकता है। केलकुलेशन करने में प्रो-रेटा फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह समस्या उन कॉलेजों के सामने ज्यादा आ रही है जहां इन बोर्ड के छात्र दाखिला ले रहे हैं। चूंकि कई कॉलेज चार स्तर की वेरिफेकेशन कर दाखिला दे रहे हैं लिहाजा उन्हें ज्यादा समय लगाना पड़ रहा है। इस कारण से दूसरे बोर्ड के छात्रों के दाखिले मंजूर करने में भी समय लग रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में 15 मई से 7 जून तक चली आवेदन प्रक्रिया के दौरान अधिक से अधिक कोर्स भरने की सलाह को छात्रों ने गंभीरता से नहीं लिया। इस लापरवाही की वजह से अब कई छात्र कटऑफ में जगह बनाने के बाद भी दाखिले से वंचित हैं। वजह यह है कि फॉर्म भरते समय उन्होंने कोर्स के लिए आवेदन नहीं किया। ऐसे छात्र अब कोर्स को फॉर्म में जुड़वाने के लिए डीन स्टूडेंट वेलफेयर कार्यालय पहुंच रहे हैं। जबकि आवेदन फॉर्म में कोर्स जुड़वाने का प्रावधान ही नहीं है।
डीयू के कई कॉलेजों में काफी कोर्स में पहली कटऑफ व्यवहारिक रखी गई है। कई छात्रों ने सीमित विकल्प भरे थे। अब कटऑफ जारी होने के बाद कुछ अन्य कोर्स में भी वह दाखिले के योग्य हैं। वह उस कोर्स को फॉर्म में जुड़वाना चाहते हैं ताकी उसमें दाखिला ले सकें। मसलन यदि इतिहास ऑनर्स का विकल्प नहीं भरा है और उसके योग्य बनने के बाद वह फॉर्म में जुड़वाना चाह रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, एक बार आवेदन प्रक्रिया खत्म होने के बाद फॉर्म में कोर्स नहीं जुड़वाया जा सकता है। आवेदन के समय सभी कोर्सेज में आवेदन की सलाह दी गई थी। लेकिन कई छात्रों ने महज एक तो किसी ने तीन से चार ही कोर्स का विकल्प भरा। वहीं, अब नाम नहीं आने पर कोर्स जुड़वाने को लेकर छात्रों के कैंपस पहुंचने का सिलसिला अंतिम कटऑफ तक जारी रहेगा।