भारत के संविधान को पहली बार साल 1951 में संशोधित किया गया था। यह संशोधन अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए किया गया था। मौजूदा समय में सबसे नया संविधान संशोधन (103वां) आरक्षण को लेकर किया गया है। इसके तहत शैक्षणिक संस्थानों और नियुक्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है। बता दें राज्यसभा सचिवालय की ओर से प्रकाशित 'राज्यसभा जर्नी सिंस 1992' (Rajya Sabha : Journey Since 1992) में सभी संशोधनों के बारे में जानकारी दी गई है।
सरकार मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में संविधान को अंगीकृत करने की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर संविधान दिवस मना रही है। इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को संबोधित किया। राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि साल 1951 में संसद ने पहला संशोधन किया था, तब राज्यसभा अस्तित्व में नहीं थी। उसके बाद अब तक संविधान को 103 बार संशोधित किया गया है। इन 103 संशोधनों में से, राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की स्थापना के लिए 99 वें संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया था।
संविधान में ज्यादातर (32) संशोधन राज्यों के मामलों से संबंधित रहे हैं, जिनमें राज्य पुनर्गठन, क्षेत्रों का हस्तांतरण, संविधान की आठवीं अनुसूची में कुछ भाषाओं को शामिल करना आदि शामिल हैं। बारह संशोधनों का उद्देश्य संसद में एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण का विस्तार करना रहा है। शैक्षिक संस्थानों, रोजगार और पदोन्नति प्रत्येक में आरक्षण के लिए आठ संशोधन किए गए। छह संशोधन टैक्स ने संबंधित रहे हैं, जिसमें वस्तुऔर सेवा कर (जीएसटी) भी शामिल है।
उच्च सदन साल 1952 में अस्तित्व में आया जिसके बाद सदन ने 107 संविधान संशोधन बिल पेश किए हैं। जिनमें से एक विधेयक को लोकसभा द्वारा निरस्त कर दिया गया था। जबकि चार बार लोकसभा भंग होने के कारण इन पर चर्चा ही नहीं हो सकी। इसके अनुसार 102 संविधान संशोधन ऐसे हैं, जो राज्यसभा द्वारा लाए गए हैं। साल 1990 में पंजाब में राष्ट्रपति शासन के लिए राज्यसभा द्वारा पारित किया गया विधेयक, एकमात्र ऐसा विधेयक है जो लोकसभा द्वारा नकारा गया है। लोकसभा ने अब तक 106 संविधान संशोधन बिल पास किए हैं।
भारत के संविधान को पहली बार साल 1951 में संशोधित किया गया था। यह संशोधन अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए किया गया था। मौजूदा समय में सबसे नया संविधान संशोधन (103वां) आरक्षण को लेकर किया गया है। इसके तहत शैक्षणिक संस्थानों और नियुक्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है। बता दें राज्यसभा सचिवालय की ओर से प्रकाशित 'राज्यसभा जर्नी सिंस 1992' (Rajya Sabha : Journey Since 1992) में सभी संशोधनों के बारे में जानकारी दी गई है।
सरकार मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में संविधान को अंगीकृत करने की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर संविधान दिवस मना रही है। इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को संबोधित किया। राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि साल 1951 में संसद ने पहला संशोधन किया था, तब राज्यसभा अस्तित्व में नहीं थी। उसके बाद अब तक संविधान को 103 बार संशोधित किया गया है। इन 103 संशोधनों में से, राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की स्थापना के लिए 99 वें संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया था।
संविधान में ज्यादातर (32) संशोधन राज्यों के मामलों से संबंधित रहे हैं, जिनमें राज्य पुनर्गठन, क्षेत्रों का हस्तांतरण, संविधान की आठवीं अनुसूची में कुछ भाषाओं को शामिल करना आदि शामिल हैं। बारह संशोधनों का उद्देश्य संसद में एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण का विस्तार करना रहा है। शैक्षिक संस्थानों, रोजगार और पदोन्नति प्रत्येक में आरक्षण के लिए आठ संशोधन किए गए। छह संशोधन टैक्स ने संबंधित रहे हैं, जिसमें वस्तुऔर सेवा कर (जीएसटी) भी शामिल है।
उच्च सदन साल 1952 में अस्तित्व में आया जिसके बाद सदन ने 107 संविधान संशोधन बिल पेश किए हैं। जिनमें से एक विधेयक को लोकसभा द्वारा निरस्त कर दिया गया था। जबकि चार बार लोकसभा भंग होने के कारण इन पर चर्चा ही नहीं हो सकी। इसके अनुसार 102 संविधान संशोधन ऐसे हैं, जो राज्यसभा द्वारा लाए गए हैं। साल 1990 में पंजाब में राष्ट्रपति शासन के लिए राज्यसभा द्वारा पारित किया गया विधेयक, एकमात्र ऐसा विधेयक है जो लोकसभा द्वारा नकारा गया है। लोकसभा ने अब तक 106 संविधान संशोधन बिल पास किए हैं।