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Delhi : New ground ready for tussle between Lieutenant Governor and Kejriwal
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Battleground Delhi : उपराज्यपाल सक्सेना और केजरीवाल में तकरार की नई जमीन तैयार, पार्षदों के मनोनयन पर होगी जंग
विनोद डबास, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 10 Dec 2022 03:39 AM IST
सार
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Delhi : मौजूदा परंपरा से इतर जाते हुए अगर उपराज्यपाल केंद्र सरकार की सिफारिश पर मनोनीत पार्षदों का नाम तय करते हैं तो उन्हें दिल्ली सरकार के हमले का सामना करना पड़ सकता है।
एमसीडी चुनाव बीतने के साथ उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच तकरार की नई जमीन तैयार हो गई है। इसकी शुरुआत निगम में पार्षद के मनोनयन से हो सकती है। मौजूदा परंपरा से इतर जाते हुए अगर उपराज्यपाल केंद्र सरकार की सिफारिश पर मनोनीत पार्षदों का नाम तय करते हैं तो उन्हें दिल्ली सरकार के हमले का सामना करना पड़ सकता है।
भाजपा की मांग भी यही है कि केंद्र सरकार के अधीन आने से उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सिफारिश की जगह केंद्र की सलाह पर एमसीडी में 10 पार्षद मनोनीत करें। दरअसल, दिल्ली नगर निगम एक्ट में प्रावधान है कि दस व्यक्तियों को उपराज्यपाल मनोनीत कर सकते हैं। वही इसके पात्र होंगे, जिनकी उम्र 25 साल से अधिक होने के साथ एमसीडी प्रशासन का अनुभव होगा। सियासी गलियारे में इस वक्त मनोनीत सदस्यों की चर्चा भी आम है।
भाजपा नेताओं ने तर्क दिया है कि एनडीएमसी व दिल्ली छावनी बोर्ड भी केंद्र सरकार के अधीन है और उनमें केंद्र सरकार ही सदस्य व अन्य नियुक्ति करती है। इस तरह अब एमसीडी भी दिल्ली सरकार के बजाय केंद्र सरकार के अधीन आ गई है और एमसीडी में दिल्ली सरकार के पास पार्षद मनोनीत करने की सिफारिश करने का अधिकार नहीं रहा है। अब केंद्र सरकार ही 10 पार्षद मनोनीत करेगी।
उधर, सूत्र बताते है कि दिल्ली सरकार के बाद अब एमसीडी की सत्ता हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी भी एमसीडी में 10 पार्षद मनोनीत कराने की तैयारी में जुट गई है। वह भी एमसीडी के विशेषज्ञों की सूची तैयार करने में लग गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि आप की दिल्ली सरकार जल्द ही एमसीडी में 10 पार्षद मनोनीत करने की प्रक्रिया आरंभ करेगी, क्योंकि वह भी इन मनोनीत पार्षदों की मदद से नजफगढ़ जोन में बहुमत हासिल करना चाहती है। इसके अलावा उसकी मध्य जोन में अपनी स्थिति मजबूत करने की मंशा है। सदन की पहली बैठक होने के एक सप्ताह बाद जोनल कमेटियों के चुनाव होंगे।
भाजपा को मिलेगा फायदा
प्रदेश भाजपा एमसीडी में 10 पार्षद मनोनीत कराने के मामले में काफी सक्रिय हो चुकी है और वह एमसीडी में पार्षद मनोनीत कराने के लिए विशेषज्ञों की सूची बनाने में जुट गई है। भाजपा की कोशिश है कि एमसीडी के सदन की पहली बैठक से पहले केंद्र सरकार की सिफारिश पर उपराज्यपाल पार्षद मनोनीत कर दें। इन मनोनीत पार्षदों के माध्यम से उसकी एमसीडी के नरेला, मध्य और सिविल लाइन जोन में बहुमत हासिल करने की मंशा है। मनोनीत पार्षदों को केवल जोनल कमेटियों के चुनाव में मतदान करने का अधिकार है और भाजपा इसका लाभ उठाना चाहती है। भाजपा का एमसीडी के 12 में से चार जोन में पहले ही बहुमत है। इस मामले में भाजपा के कामयाब होने पर वह स्थायी समिति के अध्यक्ष पद पर कब्जा कर सकती है।
पहले भी केंद्र के अधीन थी एमसीडी
वर्ष 1997 में केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार थी और भाजपा मुख्य विपक्षी दल था। इस दौरान दिल्ली में भाजपा की सरकार थी। तब एमसीडी की कमान केंद्र सरकार के अधीन थी, लेकिन उपराज्यपाल ने दिल्ली की भाजपा सरकार की सिफारिश पर पार्षद मनोनीत किए थे। वर्ष 1998 में दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उसने भाजपा सरकार की सिफारिश पर 10 मनोनीत पार्षदों को हटाकर अपनी पसंद के पार्षद मनोनीत करने की सिफारिश की, लेकिन हाईकोर्ट ने उसके निर्णय पर रोक लगा दी थी। वर्ष 2002 में एमसीडी में कांग्रेस सरकार बन गई, लेकिन प्रदेश कांग्रेस व उसकी दिल्ली सरकार के बीच टकराव होने के कारण कई साल तक पार्षद मनोनीत नहीं हो सके, जबकि इस दौरान 2004 तक केंद्र में भाजपा की सरकार थी। 2012 में भी दिल्ली सरकार ने तीनों एमसीडी में पार्षद मनोनीत किए थे।
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एमसीडी के मुखिया भी उपराज्यपाल
केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम करने वाले उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के साथ एमसीडी के भी मुखिया हैं। दिल्ली की आप सरकार व उपराज्यपाल के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। उपराज्यपाल की ओर से दिल्ली सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप ही नहीं किया जाता, बल्कि वह दिल्ली सरकार के खिलाफ विभिन्न मामलों में आदेश भी देते रहते हैं। अब उनके बीच एमसीडी के संबंध में भी टकराव देखने को मिलने के आसार है। वे पहले से ही एमसीडी के मामलों में दिशा-निर्देश दे रहे है। इस कारण एमसीडी में आप की सरकार बनने के बाद भी उनका यह सिलसिला जारी रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
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