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देहरादून: पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए भी 50% भत्ते की मांग, सौतेले व्यवहार से आक्रोश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 30 Nov 2022 12:04 PM IST
सार

पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती अलग-अलग माध्यम से की जाती है। टीएनएम से आउटसोर्स पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपये का वेतन दिया जा रहा है। वहीं पीपीपी मोड के अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को भी प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपये का वेतन मिल रहा है।

Uttarakhand news Demand for 50 percent allowance for specialist doctors in hilly areas
डॉक्टर - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

पर्वतीय मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं देने वाली फैकल्टी को 50 प्रतिशत अतिरिक्त भत्ता देने के फैसले पर प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ मुखर है। संघ ने मांग की है कि पर्वतीय क्षेत्र के विशेषज्ञ चिकित्सकों को 50 प्रतिशत और एमबीबीए, बीडीएस चिकित्सकों को 20 प्रतिशत पर्वतीय भत्ता दिया जाए।



मंगलवार को संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. मनोज वर्मा की अध्यक्षता में आपात बैठक हुई। इसमें कहा गया कि पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती अलग-अलग माध्यम से की जाती है। टीएनएम से आउटसोर्स पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपये का वेतन दिया जा रहा है। वहीं पीपीपी मोड के अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को भी प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपये का वेतन मिल रहा है।


अब मेडिकल कालेजों में कार्यरत चिकित्सकों को भी प्रतिमाह डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक का वेतन दिया जाएगा, जबकि स्वास्थ्य विभाग के तहत सेवा दे रहे चिकित्सक, जो कि जिला चिकित्सालयों से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक तैनात हैं और अपनी विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

ये चिकित्सक पोस्टमार्टम, वीआईपी ड्यूटी से लेकर आपातकालीन सेवाएं दे रहे हैं। कोरोनाकाल में भी सरकार के हर आदेश का पालन करते हुए कंधा से कंधा मिलाकर लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया। राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सूचकांकों में सुधार के लिए भी वह दिन-रात काम कर रहे हैं। पर इन विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार से संघ क्षुब्ध व आक्रोशित है। उन्होंने कहा कि जब सरकारी चिकित्सक पीजी करते हैं तो उनका वेतन भी आधा कर दिया जा रहा है।

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वहीं, जो चिकित्सक पहले मात्र 96,000 रुपये वेतन पा रहे थे, पीजी के दौरान उन्हे मात्र 48,000 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि वे पर्वतीय क्षेत्र में सेवा देने का बांड भी भरते हैैं। एक तरफ अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमीं बनी हुई हैं।

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वहीं जो चिकित्सक अपनी विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी भी उन्होंने दी है। संघ ने मांग की है कि पीजी में अध्ययनरत चिकित्सकों को भी अध्ययन अवधि में पूर्ण वेतन दिया जाए। बैठक में महासचिव डॉ. रमेश कुंवर, डॉ. पीयूष त्रिपाठी, डॉ. आलोक जैन, डॉ. सचिन चौबे, डॉ. प्रदीप राणा, डॉ. प्रताप रावत आदि मौजूद रहे।

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