गढ़वाली कोलावरी डी के जरिये धूम मचाने वाले श्रीनगर गढ़वाल के अमित सागर एक बार फिर यूट्यूब पर छाए हैं।
इस बार उन्होंने 1960-70 के दौरान आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले ‘चैत्वालि आछरी जागर’ को नया रंग दिया है। यूट्यूब पर उनके इस अंदाज को लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं। वीडियो अपलोड करने के बाद चार लाख से ज्यादा लोग इसे देख चुके हैं।
वर्षों पहले आकाशवाणी नजीबाबाद केंद्र निदेशक निदेशक स्व. केशव अनुरागी और महान लोक गायक रहे स्व. चंद्र सिंह राही के सुप्रसिद्ध चैत्वालि आछरी जागर को उन्होंने ढोल-दमौ, मोछंग जैसे परंपरागत वाद्य यंत्रों और आधुनिक तकनीक के साथ नया रूप दिया है।
शास्त्रीय संगीत का विधिवत प्रशिक्षण लेने वाले अमित कई सालों से संगीत सेवा कर रहे हैं। कई गढ़वाली एलबमों को अपने सुरों से सजाने के अलावा वह संगीत भी दे चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने सुप्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौड़वाल और राजा हसन के साथ भी काम किया है। टीनू आनंद के टीवी शो अपने पराये का संगीत भी उन्होंने दिया।
कुछ साल पहले उन्होंने साउथ के सुपरस्टार धनुष के कोलावरी डी को गढ़वाली अंदाज में बनाकर धूम मचाई थी। उस गीत को यूट्यूब पर 10 दिनों में पांच लाख से भी ज्यादा हिट्स मिले। उसके अलावा उनके ता छुमा छुम को दो लाख 19 हजार, नाच मेरी बीरा को एक लाख 57 हजार, बांद नी दिखे को एक लाख 43 हजार, मुला मुल हैंसदी को 89 हजार, मेरु बाजू रंगा को 61 हजार हिट्स मिले हैं।
अमित ने बताया कि चैत्वालि चैत के महीने में गाए जाने वाले विशेष गीत हैं। चैत के महीनों में खिले फूलों को देखकर आछरी (परी) नृत्य करने लगती है। इसलिए इसे आछरी जागर भी कहा जाता है।
गढ़वाली कोलावरी डी के जरिये धूम मचाने वाले श्रीनगर गढ़वाल के अमित सागर एक बार फिर यूट्यूब पर छाए हैं।
इस बार उन्होंने 1960-70 के दौरान आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले ‘चैत्वालि आछरी जागर’ को नया रंग दिया है। यूट्यूब पर उनके इस अंदाज को लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं। वीडियो अपलोड करने के बाद चार लाख से ज्यादा लोग इसे देख चुके हैं।
वर्षों पहले आकाशवाणी नजीबाबाद केंद्र निदेशक निदेशक स्व. केशव अनुरागी और महान लोक गायक रहे स्व. चंद्र सिंह राही के सुप्रसिद्ध चैत्वालि आछरी जागर को उन्होंने ढोल-दमौ, मोछंग जैसे परंपरागत वाद्य यंत्रों और आधुनिक तकनीक के साथ नया रूप दिया है।
शास्त्रीय संगीत का विधिवत प्रशिक्षण लेने वाले अमित कई सालों से संगीत सेवा कर रहे हैं। कई गढ़वाली एलबमों को अपने सुरों से सजाने के अलावा वह संगीत भी दे चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने सुप्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौड़वाल और राजा हसन के साथ भी काम किया है। टीनू आनंद के टीवी शो अपने पराये का संगीत भी उन्होंने दिया।
कुछ साल पहले उन्होंने साउथ के सुपरस्टार धनुष के कोलावरी डी को गढ़वाली अंदाज में बनाकर धूम मचाई थी। उस गीत को यूट्यूब पर 10 दिनों में पांच लाख से भी ज्यादा हिट्स मिले। उसके अलावा उनके ता छुमा छुम को दो लाख 19 हजार, नाच मेरी बीरा को एक लाख 57 हजार, बांद नी दिखे को एक लाख 43 हजार, मुला मुल हैंसदी को 89 हजार, मेरु बाजू रंगा को 61 हजार हिट्स मिले हैं।
अमित ने बताया कि चैत्वालि चैत के महीने में गाए जाने वाले विशेष गीत हैं। चैत के महीनों में खिले फूलों को देखकर आछरी (परी) नृत्य करने लगती है। इसलिए इसे आछरी जागर भी कहा जाता है।