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Uttarakhand : All self-employment schemes will be linked to the Chief Minister's Self-Employment Scheme
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उत्तराखंड : मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जुड़ेंगी सभी स्वरोजगार योजनाएं - त्रिवेंद्र सिंह रावत
न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Sat, 13 Jun 2020 11:41 AM IST
सार
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मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, 15 दिन में दी जाएगी भू उपयोग परिवर्तन की अनुमति
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में चल रही सभी स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जोड़ने के निर्देश दिए हैं। स्वरोजगार के लिए भूमि का भू उपयोग परिवर्तन का आवेदन 15 दिन के भीतर किया जाना है। स्वरोजगार योजना के तहत बेरोजगारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जिलाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और सोलर व पिरूल परियोजनाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में वास्तव में जरूरतमंदों और बेरोजगार को प्राथमिकता दी जाए। सोलर व पिरूल प्रोजेक्ट की आवश्यक प्रक्रियाएं समय से पूरी हों।
होप पोर्टल पर स्वरोजगार की सभी योजनाओं की सूचना अपलोड की जाए। एक प्लेटफार्म पर आने से लोगों को इन योजनाओं की जानकारी मिल पाएगी और इसका लाभ उठा सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपने उत्पादों की बिक्री के लिए निश्चिंत रहें, इसके लिए उनके उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था पर काम किया जाए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविंद्र दत्त, मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट, सचिव एल फैनई, अमित नेगी, आर मीनाक्षी सुंदरम, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल सहित अन्य अधिकारी व जिलाधिकारी उपस्थित रहे।
पिरूल एकत्रित करने पर प्रतिकिलो एक रुपया बढ़ाया
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में पिरूल प्रोजेक्ट में पिरूल एकत्रीकरण पर स्वयं सहायता समूहों को एक रूपया प्रति किलो वन विभाग और डेढ़ रुपये प्रति किलो विकासकर्ता द्वारा दिया जाता है। राज्य सरकार भी अतिरिक्त 1 रूपया प्रति किलो अर्थात 100 रूपए प्रति क्विंटल की राशि देगी। अब पिरूल एकत्रित करने वालों को साढ़े तीन सौ रुपये प्रति कुंतल मिलेंगे।
ट्रेडिंग बिजनेस भी स्वरोजगार योजना में जुड़ा
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में विनिर्माण व सेवा क्षेत्र के साथ ट्रेडिंग को भी लिया गया है। योजना की वेबसाइट पर मॉडल प्रोजेक्ट अपलोड किए गए हैं। सचिव राधिका झा ने बताया कि अभी तक सोलर में 283 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं, जिसमें 203 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा और 800 करोड़ रुपये का निवेश होगा। पिरूल के भी 38 प्रोजेक्ट आवंटित किए जा चुके हैं।
प्रत्येक जिले में दो-दो स्वरोजगार प्रेरक
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जिले में दो दो स्वरोजगार प्रेरक तैनात किए जाएंगे। यह सचिवालय में रखे गए सीएम फेलो की तरह जिले में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आवेदकों को प्रोजेक्ट बनाने के लिए सारी जानकारी दें। इसमें ऑफ लाइन आवेदन की भी व्यवस्था हो। डीएम हर जिले में कुछ मॉडल प्रोजेक्ट स्थापित करें। बैंकों से समन्वय स्थापित किया जाए और ऋण प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं का निस्तारण तुरंत किया जाए।
एक लाख लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की कोशिश
राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के जरिये अब सरकार की कोशिश प्रदेेश में एक लाख लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की है। परियोजना के तहत शुरू किए पायलट प्रोजेक्टों से यह उम्मीद भी बनी है। शुक्रवार को विधानसभा में सहकारिता मंत्री धन सिंह ने परियोजना के संबंधित पक्षों से बात भी की। परियोजना के प्रबंध निदेशक आनंद शुक्ला ने बताया कि परियोजना को अवधारणा (कान्सेप्ट) आधारित रखा गया है।
इसके तहत साइलेज (हरा चारा) उत्पादन, सेब, लैमनग्रास और फ्लोरीकल्चर, गुलाब की खेती, अदरक और डेयरी के विभिन्न प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। इनके अब परिणाम भी सामने आने लगे हैं। बैठक में शैलेश पंवार निदेशक हार्क, दिव्या रावत निदेशक मशरूम उत्पादन संस्थान, विशाल सेठी देवभूमि साइलेज, रतन असवाल संयोजक पर्वतीय आजीविका उन्नयन, शरद सुंद्रियाल सीईओ देव ऋषि सोसायटी, विपिन पैन्यूूली, अनिल पसबोला आदि शामिल रहे।
हमारी कोशिश है कि कम से कम एक लाख लोग इन परियोजनाओं के जरिए स्वरोजगार से जुड़े। साफ कह दिया गया है कि परियोजना के लिए पैसे की कमी नहीं है, ज्यादा से ज्यादा विचार चाहिए। -धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री
इनसे उपजेगा रोजगार
साइलेज उत्पादन : प्रदेश की डिमांड करीब 12 हजार मीट्रिक टन की है। अगले साल तक यह उत्पादन करीब 20 हजार मीट्रिक टन का हो जाएगा।
अदरक : चंपावत में यह योजना लागू की गई है। सौ एकड़ में एक हजार क्विंटल बीज तैयार किया। इससे सात हजार किसानों को जोड़कर करीब 48 हजार मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य
सेब : 100 करोड़ रुपये तक का टर्नओवर। 12500 किसान जुड़ेंगे। उत्तराखंड का अपना ब्रांड होगा। अभी यहां का सेब हिमाचल की पेटियों में जा रहा है।
गुलाब : 500 हेक्टेयर में अल्मोड़ा में होगी खेती। गर्व रोज वैली के नाम से विकसित होगी। इससे करीब दो हजार ग्रोअर जुड़ जाएंगे। पर्यटन आदि का भी विकास होगा। यहां डमस्क रोज का उत्पादन होगा।
लैमनग्रास : गैंडीखत्ता में यह प्रयोग किया गया। किसानों ने 70 एकड़ में उत्पादन किया। करीब 113 किसान इससे जुड़े हैं।
नोट : इस परियोजना में डेयरी, मशरूम सहित अन्य कुछ और सेक्टर भी शामिल किए गए हैं।
नर्सरी के लिए सीएसआर फंड देगा कोकाकोला
प्रदेश के सेब उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है। कोकाकोला प्रति यूनिट नर्सरी पर एक लाख रुपये देने को तैयार है। एक यूनिट में 250 पौध लगती हैं। कंपनी दस हजार यूनिट के लिए पैसा देगी
किसानों को तीन लाख का ब्याज मुक्त कर्ज
सहकारिता मंत्री धनसिंह रावत के मुताबिक किसानों को अभी एक और पांच लाख तक का ब्याज मुक्त कर्ज दिया जा रहा है। अब तीन लाख रुपये का इस तरह का कर्ज भी दिया जाएगा।
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