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महान क्रिकेटर जैक्स कैलिस का कहना है कि रंगभेद नीति के कारण देश में हो रही राजनीति से उन्हें खुद को दक्षिण अफ्रीकी कहलाने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
हाल के दिनों में दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उन चार खेल संगठनों पर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में इसलिए भाग लेने पर रोक लगा दी क्योंकि उन्होंने अपनी टीम में पर्याप्त संख्या में अश्वेत खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया था।
सरकार के इस फैसले के बाद क्रिकेट जगत के महान ऑलराउंडर ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बतौर दक्षिण अफ्रीकी कहलाने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
दक्षिण अफ्रीका के खेल मंत्री ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह क्रिकेट, रग्बी, नेटबॉल और एथलेटिक्स संघों के बहुराष्ट्रीय आयोजनों में श्वेत-अश्वेत खिलाड़ियों की असमानता के बनाए रखने के किसी भी प्रयास का वीटो करेंगे।
इस अफ्रीकी देश में 90 फीसदी लोग अश्वेत हैं, लेकिन इतनी बड़ी आबादी के बावजूद कई राष्ट्रीय टीमों में इस समुदाय के लोगों की संख्या बेहद कम है। खासकर रग्बी और क्रिकेट में। रंगभेद नीति खत्म होने के 2 दशक से भी ज्यादा समय के बाद भी यह असमानता बनी हुई है।
लेकिन जैक्स कैलिस जो खुद एक श्वेत हैं ने सरकार के इस निर्णय की जमकर आलोचना की। उन्होंने अपनी निराशा ट्विटर पर पोस्ट की जाहिर की। फिलहाल वह इस समय भारत में आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स (केकेआर) टीम के साथ बतौर कोच जुड़े हुए हैं।
केकेआर के कोच कैलिस ने कहा, "यह बहुत बुरा है और मैं इन दिनों खुद को एक दक्षिण अफ्रीकी के रूप में कहने से बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं। खेल में राजनीति की कोई जगह नहीं है।"
सरकार का वीटो, जिसका एक साल के बाद रिव्यू किया जाएगा, इसलिए अभी इसका असर तुरंत दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम पर नहीं पड़ेगा। हालांकि इसका असर रग्बी संघ को पड़ सकता है, क्योंकि 2023 में होने वाले रग्बी वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल करने के अभियान पर असर पड़ सकता है जिसकी प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में शुरू होगा।
हालांकि रग्बी की राष्ट्रीय बॉडी और सरकार के बीच समझौता हो चुका है कि 2019 में होने वाले वर्ल्ड कप में कम से कम 50 फीसदी खिलाड़ी अश्वेत रखे जाएंगे। जबकि पिछले साल 2015 में हुए वर्ल्ड कप में इस अफ्रीकी टीम में सिर्फ 3 अश्वेत खिलाड़ी ही शामिल किए गए थे।
फिलहाल क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका इस योजना पर काम कर रहा है कि 11 खिलाड़ियों में से 7 खिलाड़ी अश्वेत रखे जाएं जिसमें अश्वेत अफ्रीकन, मिक्स रेस और भारतीय मूल के खिलाड़ी शामिल किए जा सकते हैं। इस समय इस टीम में भारतीय मूल के हाशिम अमला खेल रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट टीम में कभी भी एक समय में 5 से ज्यादा अश्वेत खिलाड़ी नहीं रखे गए हैं।
महान क्रिकेटर जैक्स कैलिस का कहना है कि रंगभेद नीति के कारण देश में हो रही राजनीति से उन्हें खुद को दक्षिण अफ्रीकी कहलाने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
हाल के दिनों में दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उन चार खेल संगठनों पर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में इसलिए भाग लेने पर रोक लगा दी क्योंकि उन्होंने अपनी टीम में पर्याप्त संख्या में अश्वेत खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया था।
सरकार के इस फैसले के बाद क्रिकेट जगत के महान ऑलराउंडर ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बतौर दक्षिण अफ्रीकी कहलाने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
दक्षिण अफ्रीका के खेल मंत्री ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह क्रिकेट, रग्बी, नेटबॉल और एथलेटिक्स संघों के बहुराष्ट्रीय आयोजनों में श्वेत-अश्वेत खिलाड़ियों की असमानता के बनाए रखने के किसी भी प्रयास का वीटो करेंगे।
इस अफ्रीकी देश में 90 फीसदी लोग अश्वेत हैं, लेकिन इतनी बड़ी आबादी के बावजूद कई राष्ट्रीय टीमों में इस समुदाय के लोगों की संख्या बेहद कम है। खासकर रग्बी और क्रिकेट में। रंगभेद नीति खत्म होने के 2 दशक से भी ज्यादा समय के बाद भी यह असमानता बनी हुई है।
लेकिन जैक्स कैलिस जो खुद एक श्वेत हैं ने सरकार के इस निर्णय की जमकर आलोचना की। उन्होंने अपनी निराशा ट्विटर पर पोस्ट की जाहिर की। फिलहाल वह इस समय भारत में आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स (केकेआर) टीम के साथ बतौर कोच जुड़े हुए हैं।
केकेआर के कोच कैलिस ने कहा, "यह बहुत बुरा है और मैं इन दिनों खुद को एक दक्षिण अफ्रीकी के रूप में कहने से बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं। खेल में राजनीति की कोई जगह नहीं है।"
अफ्रीकी क्रिकेट टीम में कभी 5 से ज्यादा अश्वेत खिलाड़ी नहीं रखे गए
सरकार का वीटो, जिसका एक साल के बाद रिव्यू किया जाएगा, इसलिए अभी इसका असर तुरंत दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम पर नहीं पड़ेगा। हालांकि इसका असर रग्बी संघ को पड़ सकता है, क्योंकि 2023 में होने वाले रग्बी वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल करने के अभियान पर असर पड़ सकता है जिसकी प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में शुरू होगा।
हालांकि रग्बी की राष्ट्रीय बॉडी और सरकार के बीच समझौता हो चुका है कि 2019 में होने वाले वर्ल्ड कप में कम से कम 50 फीसदी खिलाड़ी अश्वेत रखे जाएंगे। जबकि पिछले साल 2015 में हुए वर्ल्ड कप में इस अफ्रीकी टीम में सिर्फ 3 अश्वेत खिलाड़ी ही शामिल किए गए थे।
फिलहाल क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका इस योजना पर काम कर रहा है कि 11 खिलाड़ियों में से 7 खिलाड़ी अश्वेत रखे जाएं जिसमें अश्वेत अफ्रीकन, मिक्स रेस और भारतीय मूल के खिलाड़ी शामिल किए जा सकते हैं। इस समय इस टीम में भारतीय मूल के हाशिम अमला खेल रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट टीम में कभी भी एक समय में 5 से ज्यादा अश्वेत खिलाड़ी नहीं रखे गए हैं।