Hindi News
›
Columns
›
Blog
›
gandhi jayanti special, Mahatma Gandhi's influence on cinema
{"_id":"63318195a1b4a5162c1c81d8","slug":"gandhi-jayanti-special-mahatma-gandhi-s-influence-on-cinema","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"गांधी और विश्व सिनेमा (भाग-1): महात्मा गांधी का सिनेमा पर प्रभाव","category":{"title":"Blog","title_hn":"अभिमत","slug":"blog"}}
गांधी और विश्व सिनेमा (भाग-1): महात्मा गांधी का सिनेमा पर प्रभाव
आज पूरी दुनिया इस बात को स्वीकार करती है कि महात्मा गांधी के दिखाए राह पर चले बिना हमारा गुजारा नहीं है। उनका वैचारिक, रचनात्मक एवं मौलिक चिंतन न केवल भारत के लिए परिहार्य है बल्कि समस्त दुनिया के लिए एक सकारात्मक संदेश भी है।
महात्मा गांधी पर बनी फिल्में
- फोटो : Amarujala Creatives
इस वर्ष हम देश की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस अवसर पर हम उन लोगों को स्मरण कर रहे हैं जिनके त्याग-बलिदान के फ़लस्वरूप हम आज आजादी की आबोहवा में साँस ले रहे हैं। हमारी स्वतंत्रता में अनगिनत नामी-अनाम लोगों का योगदान रहा है। जब स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधाओं की बात आती है तो एक नाम सबसे ऊपर चमकता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि वह नाम है, गाँधी! गांधी को महात्मा और देश के राष्ट्रपिता के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है कि 153 साल के बाद भी गांधी जी वैश्विक पटल पर न केवल जीवित हैं वरन महत्वपूर्ण भी हैं। आज विश्व इस बात को स्वीकार करता है कि महात्मा गांधी के दिखाए राह पर चले बिना हमारा गुजारा नहीं है। उनका वैचारिक, रचनात्मक एवं मौलिक चिंतन न केवल भारत के लिए परिहार्य है बल्कि समस्त दुनिया के लिए एक सकारात्मक संदेश है।
हम 2 अक्टूबर को प्रतिवर्ष उनका जन्मदिन मनाते हैं। इस अवसर पर यह देखना रोचक होगा कि गाँधीजी के जीवन, उनके विचारों ने सिने-जगत को कैसी प्रभावित किया है? वे सिनेमा केलिए एक बहुत उर्वरक प्रेरणा रहे हैं।
गांधीजी ने जीवनकाल पर लेखन
गांधीजी ने अपने जीवनकाल में राजनैतिक तथा सामाजिक कर्म करते हुए जम कर लेखन किया। इसी तरह उन पर भी विपुल लिखित सामग्री उपलब्ध है। उनके जीते-जी उन पर लिखा जाता रहा, उनके बाद उन पर तथा उनके विभिन्न कार्यों पर लिखा जाता रहा है और भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। विभिन्न भाषाओं में उन पर किताबें लिखी गई हैं। उन पर नाटक लिखे और खेले गए हैं। और जब सिनेमा की बात आती है तो हमें सिनेमा में गांधी विभिन्न रूप में दिखाई पड़ते हैं।
मगर जितना सिनेमा उनको लेकर बना है, वह काफ़ी नहीं है। गांधी का सिनेमा में सम्यक मूल्यांकन होना अभी शेष है। देसी-विदेशी सिने-निर्देशकों ने मोहनदास करमचंद गांधी को लेकार फ़िल्में बनाई हैं, उन पर कई डॉक्यूमेंट्री बनी हैं।
1954 में सत्येन बोस ने बाँग्ला भाषा में एक फ़िल्म बनाई थी, ‘परिवर्तन’। उन्होंने इसी फ़िल्म को आधार रख कर, गाँधीजी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हिन्दी में फ़िल्म बनाई, ‘जागृति’। एक समय इस फ़िल्म को भारत सरकार द्वारा स्कूलों में दिखाया जाता था। फ़िल्म में गांधी के राजनैतिक जीवन तथा स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया गया है। फ़िल्म के गीत कवि प्रदीप ने लिए थे जिन्हें आज भी हम स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंति एवं अन्य राष्ट्रीय अवसरों पर बजाते और सुनते हैं।
विज्ञापन
हेमंत कुमार के संगीत से सजे ये गीत गांधी की भाँति अमर हो गए हैं। भला कौन भूल सकता है, आशा भोंसले का गाया, ‘दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढ़ाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल’, अभि भट्टाचार्य का गाया, ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी’ तथा मोहम्मद रफ़ी के स्वर से सजा गीत, ‘हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के’।
ये आमजन के हृदय को छूने वाले गीत गाँधीजी से जुड़े हैं। बच्चों के लिए बनी फ़िल्म ‘जागृति’ बड़ों को भी मूल्यवान संदेश देती है।
फिल्मों में गांधी जी
- फोटो : Pixabay
सत्य-अहिंसा-न्याय के प्रतीक गांधी जी
विभिन्न फ़िल्मों में गाँधीजी की उपस्थिति हमें नजर आती है। अक्सर वे सरकारी कार्यालयों, खासकर थाना एवं अदालत में तस्वीर में लटके दिखते हैं। यहाँ तस्वीर सत्य-अहिंसा-न्याय-ईमानदारी की प्रतीक होती है। जबकि विडम्बना है इन्हीं जगहों पर सर्वाधिक भ्रष्टाचार होता है। नोट पर छपे गांधी का रिश्वत के लिए खूब आदान-प्रदान होता है। अगर आपके पास नोट नहीं है तो आप जिंदगी भर धक्के खाते हैं। आपको न्याय पाने के लिए इन्हीं नोटों की आवश्यकता होती है। वैसे फ़िल्मों में अक्सर न्याय, सत्य, अहिंसा, ईमानदारी की जीत दिखाई जाती है। गाँधीजी की मूर्ति हर चौराहे पर खड़ी दीखती है। कई फ़िल्मों में भी इस मूर्ति का उपयोग हुआ है।
बिमल राय की अंतिम फ़िल्मों में से एक है ‘सुजाता’, फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित। सुजाता की भूमिका निभा रही ‘डस्की ब्यूटी’ नूतन की अदाकारी वाली इस फ़िल्म में गाँधीजी की मूर्ति और उनकी सूक्तियों का बहुत प्रेरणादयक प्रयोग हुआ है। नदी के घाट पर बनी उनकी मूर्ति और वहाँ लिखा सूक्त कहानी को न केवल आगे बढ़ाता है वरन उसे अर्थवत्ता भी प्रदान करता है।
फ़िल्म कई बार सूक्तियों का उपयोग करती है। कभी गांधी के विचार दिखाती है, कभी अधीर सुजाता के मन को ऊँचा उठाने के लिए कहता है, ‘आत्मनिन्दा आत्महत्या से भी बड़ा पाप है।’ सुजाता बार-बार गांधी की शरण में जाती है।
गांधी जी पर फिल्में
फ़िल्मों में महात्मा गांधी कभी वेशभूषा के प्रतीक में तो कभी उनके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों जैसे चश्मा, लाठी, चरखा के प्रतीकों में दीखते हैं। कभी उनके विचारों के रूप में फ़िल्में उन्हें प्रस्तुत करती हैं, जैसे सत्यजित राय ने ‘घरे-बाइरे’ फ़िल्म में नायक निखिल चौधुरी (विक्टर बैनर्जी) को टैगोर के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है। प्रतिनायक उग्र स्वदेशी आंदोलन के समर्थक संदीप (सौमित्र चटर्जी) को महात्मा के विचारों का वाहक बनाया है।
ठीक बंगाल विभाजन की घटना के बाद के समय को दिखाती फ़िल्म रवींद्रनाथ टैगोर के इसी नाम (‘घरे-बाइरे’) के उपन्यास पर आधारित है। इस उपन्यास के प्रकाशन पर टैगोर की खूब आलोचना हुई थी और जब सत्यजित राय ने ‘घरे-बाइरे’ बनाई तो उन्हें भी आलोचना झेलनी पड़ी। फ़िल्मों में गांधी कभी प्रत्यक्ष नजर आते हैं, कभी परोक्ष रूप से पात्रों को प्रभावित करते हैं।
‘गाँधी’, ‘गर्म हवा’, ‘भगत सिंह’, ‘अर्थ’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘तमस’, ‘गदर: एक प्रेम कथा’, ‘किस्सा’, ‘पिंजर’, ‘हे राम’, ‘पार्टीशन’ और जितनी भी फ़िल्में विभाजन पर बनी हैं, उनमें प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से गांधी आते हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें [email protected] पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।