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चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 3.8 फीसदी का संशोधित लक्ष्य भी महत्वाकांक्षी है। इस लक्ष्य को पाना सरकार के लिए आसान नहीं नजर आ रहा है। एसबीआई रिसर्च ने रविवार को एक रिपोर्ट में कहा कि यह लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के आखिरी दो महीनों में विनिवेश से करीब 65,000 करोड़ रुपये मिलने और कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में 18 फीसदी की वृद्धि के अनुमान पर आधारित है।
हालांकि, दिसंबर तक कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में महज 5.1 फीसदी की वृद्धि रही है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में विनिवेश से सिर्फ 17,800 करोड़ ही मिल सके हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर जीडीपी के 3.8 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया। पहले के अनुमान में राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।
इसके अलावा, सरकार की ओर से बताए गए 2.60 लाख करोड़ के राजस्व गिरावट में राज्यों की हिस्सेदारी 1.09 लाख करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खर्च में 88,000 करोड़ रुपये की कटौती के समायोजन के बाद 2019-20 के लिए संशोधित राजकोषीय घाटा बजटीय संख्या के मुकाबले 63,086 करोड़ हो गया है। एजेंसी
अंतरिम लाभांश से मिली राहत
रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार कंपनियों पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आरबीआई से मिले अंतिरम लाभांश ने राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की मदद की है। अगर यह नहीं मिलती तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर 3.8 फीसदी की जगह चार फीसदी करना पड़ सकता था। अगर एजीआर से मिलने वाली रकम 90 हजार करोड़ रुपये तक हो जाती है तो राजकोषीय घाटा 3.8 फीसदी से भी कम रह सकता है।
चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 3.8 फीसदी का संशोधित लक्ष्य भी महत्वाकांक्षी है। इस लक्ष्य को पाना सरकार के लिए आसान नहीं नजर आ रहा है। एसबीआई रिसर्च ने रविवार को एक रिपोर्ट में कहा कि यह लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के आखिरी दो महीनों में विनिवेश से करीब 65,000 करोड़ रुपये मिलने और कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में 18 फीसदी की वृद्धि के अनुमान पर आधारित है।
हालांकि, दिसंबर तक कर संग्रह से राजस्व प्राप्ति में महज 5.1 फीसदी की वृद्धि रही है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में विनिवेश से सिर्फ 17,800 करोड़ ही मिल सके हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर जीडीपी के 3.8 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया। पहले के अनुमान में राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।
इसके अलावा, सरकार की ओर से बताए गए 2.60 लाख करोड़ के राजस्व गिरावट में राज्यों की हिस्सेदारी 1.09 लाख करोड़ रुपये है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खर्च में 88,000 करोड़ रुपये की कटौती के समायोजन के बाद 2019-20 के लिए संशोधित राजकोषीय घाटा बजटीय संख्या के मुकाबले 63,086 करोड़ हो गया है। एजेंसी
अंतरिम लाभांश से मिली राहत
रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार कंपनियों पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आरबीआई से मिले अंतिरम लाभांश ने राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की मदद की है। अगर यह नहीं मिलती तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर 3.8 फीसदी की जगह चार फीसदी करना पड़ सकता था। अगर एजीआर से मिलने वाली रकम 90 हजार करोड़ रुपये तक हो जाती है तो राजकोषीय घाटा 3.8 फीसदी से भी कम रह सकता है।