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म्यूचुअल फंड कंपनियों की प्रबंधन के तहत संपत्तियों (एयूएम) में 2019 में 4.2 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के अनुसार, इस साल नवंबर अंत तक ऐसी संपत्तियां 18 फीसदी बढ़कर 27 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई हैं। यह इसका सर्वकालिक उच्चतम स्तर है। दिसंबर, 2018 के अंत तक म्यूचुअल फंड कंपनियों की प्रबंधन के तहत संपत्तियां 22.86 लाख करोड़ रुपये थी।
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निवेशकों में भरोसा कायम करने के लिए उठाए गए कदमों और ऋण योजनाओं में मजबूत प्रवाह से म्यूचुल फंड उद्योग की यह तेजी नए साल यानी 2020 में भी जारी रहेगी। ऋण आधारित योजनाओं में भारी निवेश से 2019 म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए अच्छा साल साबित हुआ है। बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण इक्विटी कोषों में इस साल निवेश प्रवाह घटा है। एम्फी के सीईओ एनएस वेंकटेश ने कहा कि 2020 में यह उद्योग 17 से 18 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज करेगा। शेयर बाजारों में सुधार की उम्मीद के बीच इक्विटी कोषों में निवेश का प्रवाह सुधरेगा।
लगातार सातवें साल बढ़ीं संपत्तियां
एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, 2019 लगातार सातवां साल रहा है, जब म्यूचुअल फंड उद्योग की प्रबंधन के संपत्तियां बढ़ी हैं। नवंबर, 2009 में उद्योग की प्रबंधन के तहत संपत्तियां 8.22 लाख करोड़ रुपये थी, जो नवंबर, 2019 तक 27 लाख करोड़ रुपये हो गई। इसका मतलब है कि 10 साल में प्रबंधन के तहत संपत्तियां तीन गुना हो गई हैं। इस साल इक्विटी से संबंधित योजनाओं में निवेश का प्रवाह 70,000 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले साल के 1.3 लाख करोड़ रुपये की तुलना में काफी कम है। नवंबर में इन योजनाओं में निवेश 41 महीने के निचले स्तर यानी 1,312 करोड़ रुपये रहा।
निराशावादी माहौल में वृद्धि सराहनीय
मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के डायरेक्टर मैनेजर (रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद म्यूचुअल फंड उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, 2019 में उल्लेखनीय तेजी नहीं बल्कि स्थिरता रही है। लेकिन आर्थिक विकास के धीमा रहने, ऋण संकट और अस्थिर बाजारों की वजह से निराशावादी माहौल रहने के बावजूद यह वृद्धि सराहनीय है।’ क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीईओ जिमी पटेल ने कहा कि ऋण आधारित योजनाओं की वजह से प्रबंधन के तहत संपत्तियों में वृद्धि दर्ज की गई है। वास्तव में ऋण आधारित योजनाओें में निवेश आश्चर्यजनक रूप से अधिक रही है और इसने 2019 को ‘निवेशकों के लिए अंधेरा-सुस्त’ रहने से बचा लिया।
तेजी के लिए तीन कारक जिम्मेदार
कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी एवं सीईओ निलेश शाह ने कहा कि इस तेजी के लिए तीन कारक जिम्मेदार हैं। पहला, एक नियामक के रूप में सेबी ने लगातार नियम बनाए, जिसने उद्योग में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया। दूसरा, वितरकों ने अच्छे पॉलिसी बेचे। तीसरा, इस बीच ऐसी म्यूचुअल फंड कंपनियां आईं, जिन्होंने जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन बनाए रखा। उन्होंने कहा कि एक लाख ज्यादा वितरकों ने ‘म्यूचुअल फंड सही है’ संदेश को भारत के हर कोने से लेकर नुक्कड़ तक पहुंचाया, जिससे उद्योग में 2.1 करोड़ से अधिक निवेशक जुड़े।
सार
- ऋण आधारित योजनाओं में भारी निवेश से अच्छा रहा 2019
- 27 लाख करोड़ हो गईं उद्योग की एयूएम 18 फीसदी बढ़कर
- सेबी के उपायों और ऋण योजनाओं में मजबूत प्रवाह से 2020 में भी रहेगी तेजी
विस्तार
म्यूचुअल फंड कंपनियों की प्रबंधन के तहत संपत्तियों (एयूएम) में 2019 में 4.2 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के अनुसार, इस साल नवंबर अंत तक ऐसी संपत्तियां 18 फीसदी बढ़कर 27 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई हैं। यह इसका सर्वकालिक उच्चतम स्तर है। दिसंबर, 2018 के अंत तक म्यूचुअल फंड कंपनियों की प्रबंधन के तहत संपत्तियां 22.86 लाख करोड़ रुपये थी।
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निवेशकों में भरोसा कायम करने के लिए उठाए गए कदमों और ऋण योजनाओं में मजबूत प्रवाह से म्यूचुल फंड उद्योग की यह तेजी नए साल यानी 2020 में भी जारी रहेगी। ऋण आधारित योजनाओं में भारी निवेश से 2019 म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए अच्छा साल साबित हुआ है। बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण इक्विटी कोषों में इस साल निवेश प्रवाह घटा है। एम्फी के सीईओ एनएस वेंकटेश ने कहा कि 2020 में यह उद्योग 17 से 18 फीसदी की दर से वृद्धि दर्ज करेगा। शेयर बाजारों में सुधार की उम्मीद के बीच इक्विटी कोषों में निवेश का प्रवाह सुधरेगा।
लगातार सातवें साल बढ़ीं संपत्तियां
एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, 2019 लगातार सातवां साल रहा है, जब म्यूचुअल फंड उद्योग की प्रबंधन के संपत्तियां बढ़ी हैं। नवंबर, 2009 में उद्योग की प्रबंधन के तहत संपत्तियां 8.22 लाख करोड़ रुपये थी, जो नवंबर, 2019 तक 27 लाख करोड़ रुपये हो गई। इसका मतलब है कि 10 साल में प्रबंधन के तहत संपत्तियां तीन गुना हो गई हैं। इस साल इक्विटी से संबंधित योजनाओं में निवेश का प्रवाह 70,000 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछले साल के 1.3 लाख करोड़ रुपये की तुलना में काफी कम है। नवंबर में इन योजनाओं में निवेश 41 महीने के निचले स्तर यानी 1,312 करोड़ रुपये रहा।
निराशावादी माहौल में वृद्धि सराहनीय
मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के डायरेक्टर मैनेजर (रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद म्यूचुअल फंड उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, 2019 में उल्लेखनीय तेजी नहीं बल्कि स्थिरता रही है। लेकिन आर्थिक विकास के धीमा रहने, ऋण संकट और अस्थिर बाजारों की वजह से निराशावादी माहौल रहने के बावजूद यह वृद्धि सराहनीय है।’ क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीईओ जिमी पटेल ने कहा कि ऋण आधारित योजनाओं की वजह से प्रबंधन के तहत संपत्तियों में वृद्धि दर्ज की गई है। वास्तव में ऋण आधारित योजनाओें में निवेश आश्चर्यजनक रूप से अधिक रही है और इसने 2019 को ‘निवेशकों के लिए अंधेरा-सुस्त’ रहने से बचा लिया।
तेजी के लिए तीन कारक जिम्मेदार
कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी एवं सीईओ निलेश शाह ने कहा कि इस तेजी के लिए तीन कारक जिम्मेदार हैं। पहला, एक नियामक के रूप में सेबी ने लगातार नियम बनाए, जिसने उद्योग में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया। दूसरा, वितरकों ने अच्छे पॉलिसी बेचे। तीसरा, इस बीच ऐसी म्यूचुअल फंड कंपनियां आईं, जिन्होंने जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन बनाए रखा। उन्होंने कहा कि एक लाख ज्यादा वितरकों ने ‘म्यूचुअल फंड सही है’ संदेश को भारत के हर कोने से लेकर नुक्कड़ तक पहुंचाया, जिससे उद्योग में 2.1 करोड़ से अधिक निवेशक जुड़े।