एनटीपीसी ने देश की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना का काम पूरा कर लिया। तेलंगाना के रामागुंडम की इस परियोजना से 100 मेगावाट बिजली मिलेगी। इसके शुरू होने से दक्षिण भारत में तैरती सौर क्षमता का वाणिज्यिक उत्पादन बढ़कर 217 मेगावाट हो गया है। इससे पहले एनटीपीसी ने केरल के कायमकुलम में 92 मेगावाट व आंध्र प्रदेश के सिम्हाद्री में 25 मेगावाट की तैरती सौर ऊर्जा परियोजना से विद्युत उत्पादन शुरू किया था।
एनटीपीसी की इस परियोजना में 423 करोड़ की लागत आई है। यह एक जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली है। परियोजना को 40 खंडों में बांटा गया है, प्रत्येक खंड 2.5 मेगावाट बिजली बनाता है। तैरते हुए सौर पैनलों के कारण प्रति वर्ष लगभग 32.5 लाख क्यूबिक मीटर पानी के वाष्पीकरण को रोका जा सकेगा।
कार्बन उत्सर्जन कम होगा
यह प्रणाली जलनिकाय सौर मॉड्यूल के तापमान को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करेगी। उत्पादित बिजली परोक्ष रूप से प्रतिवर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत कम करेगी, जिससे प्रतिवर्ष 2,10,000 टन कार्बन डाईऑक्साइड कम उत्सर्जित होगी।
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एनटीपीसी ने देश की सबसे बड़ी तैरती सौर ऊर्जा परियोजना का काम पूरा कर लिया। तेलंगाना के रामागुंडम की इस परियोजना से 100 मेगावाट बिजली मिलेगी। इसके शुरू होने से दक्षिण भारत में तैरती सौर क्षमता का वाणिज्यिक उत्पादन बढ़कर 217 मेगावाट हो गया है। इससे पहले एनटीपीसी ने केरल के कायमकुलम में 92 मेगावाट व आंध्र प्रदेश के सिम्हाद्री में 25 मेगावाट की तैरती सौर ऊर्जा परियोजना से विद्युत उत्पादन शुरू किया था।
एनटीपीसी की इस परियोजना में 423 करोड़ की लागत आई है। यह एक जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली है। परियोजना को 40 खंडों में बांटा गया है, प्रत्येक खंड 2.5 मेगावाट बिजली बनाता है। तैरते हुए सौर पैनलों के कारण प्रति वर्ष लगभग 32.5 लाख क्यूबिक मीटर पानी के वाष्पीकरण को रोका जा सकेगा।
कार्बन उत्सर्जन कम होगा
यह प्रणाली जलनिकाय सौर मॉड्यूल के तापमान को संतुलित बनाए रखने में भी मदद करेगी। उत्पादित बिजली परोक्ष रूप से प्रतिवर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत कम करेगी, जिससे प्रतिवर्ष 2,10,000 टन कार्बन डाईऑक्साइड कम उत्सर्जित होगी।