बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 18 Aug 2020 02:20 PM IST
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नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज आत्मनिर्भर भारत पर हुए सीआईआई-वेबिनार में अहम घोषणा की। पुरी ने मोदी सरकार की 2030 तक की प्लानिंग बताई। उन्होंने कहा कि साल 2030 तक 40 फीसदी आबादी की अर्बन सेंटर्स में रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि बढ़ती अर्बन जनसंख्या की जरूरतों क मद्देनजर 2030 तक हर साल भारत में 600 से 800 स्क्वेयर मीटर का अर्बन स्पेस बनाना होगा।
इसके लिए 100 स्मार्ट सिटी में दो लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत की 5,151 योजनाओं की पहचान की गई है। इस योजना के तहत अब तक करीब 4700 स्कीम के टेंडर निकाले जा चुके हैं। इनकी कीमत 1.66 लाख करोड़ रुपये है। यह आंकड़ा पूरे प्रोजेक्ट का करीब 81 फीसदी है।
और हवाईअड्डों के निजीकरण का प्रस्ताव
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पुरी ने कहा कि कुछ और हवाईअड्डों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार के तहत फरवरी, 2019 में पहले दौर में लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलूरू, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी हवाई अड्डों के सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में परिचालन, प्रबंधन और विकास की मंजूरी दी गई थी। इसके बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने सितंबर, 2019 में नागर विमानन मंत्रालय से अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, इंदौर और रायपुर के हवाईअड्डों के निजीकरण की सिफारिश की थी।
उन्होंने कहा, 'हम कल कैबिनेट के समक्ष और हवाईअड्डों के निजीकरण का प्रस्ताव रखेंगे। करीब दर्जन हवाईअड्डों का और निजीकरण होगा। अब से 2030 तक हम 100 नए हवाईअड्डे बनाएंगे। नागर विमानन मंत्रालय के तहत आने वाले एएआई के पास देशभर में 100 से अधिक हवाईअड्डों का स्वामित्व है और वह इनका प्रबंधन करता है। अडाणी एंटरप्राइजेज ने 14 फरवरी, 2020 को एएआई के साथ तीन हवाईअड्डों - अहमदाबाद, मंगलूरू और लखनऊ के लिए रियायती करार पर हस्ताक्षर किए थे।
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज आत्मनिर्भर भारत पर हुए सीआईआई-वेबिनार में अहम घोषणा की। पुरी ने मोदी सरकार की 2030 तक की प्लानिंग बताई। उन्होंने कहा कि साल 2030 तक 40 फीसदी आबादी की अर्बन सेंटर्स में रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि बढ़ती अर्बन जनसंख्या की जरूरतों क मद्देनजर 2030 तक हर साल भारत में 600 से 800 स्क्वेयर मीटर का अर्बन स्पेस बनाना होगा।
इसके लिए 100 स्मार्ट सिटी में दो लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत की 5,151 योजनाओं की पहचान की गई है। इस योजना के तहत अब तक करीब 4700 स्कीम के टेंडर निकाले जा चुके हैं। इनकी कीमत 1.66 लाख करोड़ रुपये है। यह आंकड़ा पूरे प्रोजेक्ट का करीब 81 फीसदी है।
और हवाईअड्डों के निजीकरण का प्रस्ताव
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पुरी ने कहा कि कुछ और हवाईअड्डों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार के तहत फरवरी, 2019 में पहले दौर में लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलूरू, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी हवाई अड्डों के सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में परिचालन, प्रबंधन और विकास की मंजूरी दी गई थी। इसके बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने सितंबर, 2019 में नागर विमानन मंत्रालय से अमृतसर, वाराणसी, भुवनेश्वर, इंदौर और रायपुर के हवाईअड्डों के निजीकरण की सिफारिश की थी।
उन्होंने कहा, 'हम कल कैबिनेट के समक्ष और हवाईअड्डों के निजीकरण का प्रस्ताव रखेंगे। करीब दर्जन हवाईअड्डों का और निजीकरण होगा। अब से 2030 तक हम 100 नए हवाईअड्डे बनाएंगे। नागर विमानन मंत्रालय के तहत आने वाले एएआई के पास देशभर में 100 से अधिक हवाईअड्डों का स्वामित्व है और वह इनका प्रबंधन करता है। अडाणी एंटरप्राइजेज ने 14 फरवरी, 2020 को एएआई के साथ तीन हवाईअड्डों - अहमदाबाद, मंगलूरू और लखनऊ के लिए रियायती करार पर हस्ताक्षर किए थे।