अगर आप भी कारों में दिचलस्पी रखते हैं तो आपको यह बात पता होगी कि कार में इंजन काफी महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। आजकल कारों में कई तरह के इंजन दिए जाते हैं लेकिन मुख्य तौर पर नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन और टर्बोचार्ज्ड इंजन मिलते हैं। दोनों तरह के इंजन में क्या फर्क होता है और कौन से इंजन वाली कार आपके लिए बेहतर साबित हो सकती है। हम इसकी जानकारी आपको इस खबर में दे रहे हैं।
किस तरह के इंजन का चलन ज्यादा
भारतीय कार बाजार में आमतौर पर कई तरह के वाहनों की बिक्री होती है। इनमें कई तरह के इंजन ऑफर किए जाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन की कारों की बिक्री होती है। इसके अलावा टर्बोचार्ज्ड इंजन को भी काफी ज्यादा पसंद किया जाता है।
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पड़ती है इनकी जरूरत
नेचुरल एस्पिरेटिड और टर्बोचार्ज्ड इंजन को चलाने के लिए मुख्य तौर पर तीन चीजों की जरूरत पड़ती है। इनमें स्पार्क, फ्यूल और हवा शामिल हैं। यह तीन चीजों के कारण ही इंजन को चलाया जाता है।
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नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन
इस तरह के इंजन की सबसे ज्यादा बाजार में मौजूद हैं। नेचुरली एस्पिरेटिड इंजन के गैस सिलेंडर में नेचुरल तरीके से हवा को भेजा जाता है। इसमें हवा को किसी भी तरह से फोर्स के जरिए सिलेंडर तक नहीं पहुंचाया जाता। ऐसे इंजन ज्यादातर फोर स्ट्रोक के होते हैं। जिसके जरिए चार चरणों में ऊर्जा बनाई जाती है। पहले स्ट्रोक में पिस्टन नीचे की ओर जाता है और चैंबर में हवा और ईंधन भरता है। दूसरे स्ट्रोक में पिस्टन ऊपर आता है और तीसरे स्ट्रोक में स्पार्क प्लग के जरिए ईंधन और हवा को जलाया जाता है और पावर जनरेट होती है। चौथे और आखिरी चरण में गैस बाहर निकल जाती हैं।
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टर्बोचार्ज्ड इंजन
नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन में अगर छोटे टर्बाइन लगाए जाएं तो वह टर्बोचार्ज्ड इंजन की तरह काम करता है। इन छोटे टर्बाइन के जरिए इंजन में जाने वाली हवा के दबाव को बढ़ाया जाता है। यह चैंबर में ज्यादा हवा को रोक सकते हैं जिससे इंजन की शक्ति बढ़ जाती है। हवा का दबाव ज्यादा होने के कारण इंजन ज्यादा ऊर्जा जनरेट करता है। इस तरह के इंजन से बिना वेट बढ़ाए ही ज्यादा पावर जनरेट की जाती है। यह नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन की तुलना में ज्यादा आउटपुट देता है।
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