आगरा। जेल की चारदीवारी में कैद भाई की कलाई सूनी न रह जाए, इसलिए सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही बहनें राखी और घेवर लेकर जेल पहुंच गई। भाई से मिलने की बेताबी में पल-पल उनको घंटे की तरह लग रहा था। भाई को सामने देख बहनों की आंखें भर आईं। जैसे-जैसे समय गुजरता गया, भीड़ बढ़ती गई। शाम तक करीब दो हजार बहनों ने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधा। भीड़ को देखते हुए जेल प्रशासन ने भी कड़ी व्यवस्था की थी।
जिला कारागार में रक्षाबंधन की सुबह से ही बहनों का पहुंचना शुरू हो गया। बहनें अपने भाई को राखी बांध सकें इसके लिए परिसर में अलग से व्यवस्था की गई थी। कैदियों को एक जगह पर राखी बंधवाई जा रही थी।
अधीक्षक संत लाल यादव ने बताया कि महिलाओं को घेवर और राखी अंदर ले जाने की इजाजत थी। राखी बंधवाने के दौरान किसी तरह की अव्यवस्था न फैले इसके लिए जेलर हरिशंकर अवस्थी के निर्देशन में तीन डिप्टी जेलर, चार प्रधान बंदीरक्षक, 18 बंदी रक्षक, तीन महिला बंदीरक्षक, दो होमगार्ड पर मुलाकातियों का जिम्मा सौंपा गया था।
दोपहर करीब तीन बजे तक 1800 महिलाएं अपने भाइयों को राखी बांधने पहुंचीं। प्रवेश के लेकर काफी धक्का-मुक्की हुई। वहीं सेंट्रल जेल में महिलाओं की भीड़ कम रही है। सुबह दस बजे से ढाई बजे तक करीब 400 बहनें जेल पहुंची।