वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Updated Wed, 29 Jul 2020 11:56 PM IST
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नेपाल के स्वास्थ्यकर्मी इस बात को लेकर खासे परेशान हैं कि कहीं 30 जुलाई से बस सेवाएं बहाल किए जाने के बाद देश में कोरोना का संक्रमण और न बढ़ जाए। उनका मानना है कि भारत में जिस तरह कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे नेपाल को भी खतरा है, क्योंकि नेपाल लौटने वाले लोगों की जांच अब सीमा पर पहले की तरह नहीं हो रही है।
अब न तो उन्हें क्वारंटीन किया जा रहा है और न ही तापमान लेने के अलावा कोई और जांच हो रही है। वैसे कुछ समय से सीमाएं सील होने से मामला काबू में है और फिलहाल नेपाल लौटने वालों की संख्या नहीं के बराबर है। भारत में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ने के साथ ही नेपाल ने अपनी सीमाएं लगभग सील कर रखी हैं।
अब वहां वापस लौटने वालों की भीड़ लगभग खत्म सी हो गई है। पहले जिस तेजी से भारत में काम करने वाले नेपाली नागरिक लौट रहे थे, अब उनकी संख्या इक्का दुक्का रह गई है और सीमाएं खाली हैं। यहां तक कि सीमा पार से आ रहे नागरिकों के लिए बनाए गए क्वारंटीन सेंटर भी पूरी तरह खाली हैं।
बेहालिया चेक प्वाइंट पर सन्नाटा पसरा है। जो इक्का दुक्का लोग आ रहे हैं, उनका केवल तापमान लिया जा रहा है और अगर कोई लक्षण नहीं पाया जा रहा है तो उन्हें बगैर क्वारंटीन के उनके घर भेजा जा रहा है।
जांच अधिकारियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही दिनों पहले तक यहां के हालात बदतर थे और उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, कई पॉजिटिव मामले सामने आ रहे थे। कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद पर्याप्त इलाज से ठीक होने के मामले भी काफी थे, लेकिन अब सीमा सील होने के बाद से मामलों में कमी आई है।
उधर नेपाल के एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ रवीन्द्र पांडे का दावा है कि नेपाल के 95 फीसदी कोरोना के मामले उन्हीं लोगों के हैं जो भारत में काम करते थे और वहां से लौटे हैं। अब ये डर सता रहा है कि उन लोगों से ये महामारी कहीं नेपाल के दूसरे इलाकों में न फैल जाए।
दरअसल, नेपाल में 30 जुलाई से सारी सीमाएं खोले जाने की बात कही जा रही है और हर रूट की बस सेवा भी शुरू करने की चर्चा है। इससे नेपाल के स्वास्थ्यकर्मी परेशान हैं और उन्हें लग रहा है कि इतनी मुश्किलों से जो मामले काबू में किए गए हैं, कहीं इसके बाद ये फिर से बढ़ न जाएं और संक्रमण का खतरा दूसरे इलाकों तक न फैल जाए।
सार
- सीमाएं सील रहने से मामले काबू में, अब क्वारंटीन और जांच में भी ढिलाई
- नेपाल में 95 फीसदी कोरोना मामले भारत से लौटे नागरिकों की वजह से: स्वास्थ्य विशेषज्ञ
विस्तार
नेपाल के स्वास्थ्यकर्मी इस बात को लेकर खासे परेशान हैं कि कहीं 30 जुलाई से बस सेवाएं बहाल किए जाने के बाद देश में कोरोना का संक्रमण और न बढ़ जाए। उनका मानना है कि भारत में जिस तरह कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे नेपाल को भी खतरा है, क्योंकि नेपाल लौटने वाले लोगों की जांच अब सीमा पर पहले की तरह नहीं हो रही है।
अब न तो उन्हें क्वारंटीन किया जा रहा है और न ही तापमान लेने के अलावा कोई और जांच हो रही है। वैसे कुछ समय से सीमाएं सील होने से मामला काबू में है और फिलहाल नेपाल लौटने वालों की संख्या नहीं के बराबर है। भारत में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ने के साथ ही नेपाल ने अपनी सीमाएं लगभग सील कर रखी हैं।
अब वहां वापस लौटने वालों की भीड़ लगभग खत्म सी हो गई है। पहले जिस तेजी से भारत में काम करने वाले नेपाली नागरिक लौट रहे थे, अब उनकी संख्या इक्का दुक्का रह गई है और सीमाएं खाली हैं। यहां तक कि सीमा पार से आ रहे नागरिकों के लिए बनाए गए क्वारंटीन सेंटर भी पूरी तरह खाली हैं।
बेहालिया चेक प्वाइंट पर सन्नाटा पसरा है। जो इक्का दुक्का लोग आ रहे हैं, उनका केवल तापमान लिया जा रहा है और अगर कोई लक्षण नहीं पाया जा रहा है तो उन्हें बगैर क्वारंटीन के उनके घर भेजा जा रहा है।
जांच अधिकारियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ ही दिनों पहले तक यहां के हालात बदतर थे और उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, कई पॉजिटिव मामले सामने आ रहे थे। कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद पर्याप्त इलाज से ठीक होने के मामले भी काफी थे, लेकिन अब सीमा सील होने के बाद से मामलों में कमी आई है।
उधर नेपाल के एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ रवीन्द्र पांडे का दावा है कि नेपाल के 95 फीसदी कोरोना के मामले उन्हीं लोगों के हैं जो भारत में काम करते थे और वहां से लौटे हैं। अब ये डर सता रहा है कि उन लोगों से ये महामारी कहीं नेपाल के दूसरे इलाकों में न फैल जाए।
दरअसल, नेपाल में 30 जुलाई से सारी सीमाएं खोले जाने की बात कही जा रही है और हर रूट की बस सेवा भी शुरू करने की चर्चा है। इससे नेपाल के स्वास्थ्यकर्मी परेशान हैं और उन्हें लग रहा है कि इतनी मुश्किलों से जो मामले काबू में किए गए हैं, कहीं इसके बाद ये फिर से बढ़ न जाएं और संक्रमण का खतरा दूसरे इलाकों तक न फैल जाए।