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कोरोना महामारी और गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे इटली में अब राजनीतिक अस्थिरता की समस्या भी खड़ी हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री मेतियो रेन्जी की पार्टी के सत्ताधारी गठबंधन से हट जाने के कारण पहले से ही मुश्किलों में फंसे इस देश की मुसीबत और बढ़ गई है। रेन्जी ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में एलान किया कि उनकी इटालिया वीवा पार्टी गठबंधन सरकार से अलग हो रही है। गठबंधन में शामिल दलों में सबसे छोटी पार्टी यही थी। इस पार्टी के दो मंत्री थे। लेकिन उसका साथ छोड़ देने के कारण अब सत्ताधारी गठबंधन का बहुमत नहीं रह गया है।
यह मध्यमार्गी पार्टी है। बताया जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बनाई जा रही योजना पर मतभेदों के कारण इसने गठबंधन सरकार छोड़ने का फैसला किया है। गौरतलब है कि यूरोप में कोरोना महामारी की सबसे पहली तगड़ी मार इटली पर ही पड़ी थी। वहां बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। पिछले दो महीनों में इटली को कोरोना महामारी के दूसरे दौर का सामना करना पड़ा है। देश की अर्थव्यवस्था लगभग साल भर से ठहरी हुई है।
मेतियो रेन्जी देश के प्रमुख नेताओं में एक हैं। सितंबर 2019 में उन्होंने इटालिया वीवा पार्टी का गठन किया था। उसके पहले वे डेमोक्रेटिक पार्टी में थे। डेमोक्रेटिक पार्टी को वामपंथी रूझान वाली पार्टी समझा जाता है। रेन्जी के समर्थन के कारण ही तब प्रधानमंत्री गुइसेपे कोन्ते की दूसरी गठबंधन सरकार बन सकी थी। इसके पहले धुर दक्षिणपंथी लीग पार्टी के गठबंधन छोड़ देने के पहले कोन्ते के नेतृत्व वाली पहली गठबंधन सरकार गिर गई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि इटालिया वीवा पार्टी के साथ बहुत कम जन समर्थन है। हाल के जनमत सर्वेक्षणों में इसे सिर्फ तीन फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया। लेकिन मौजूदा संसद में निचले सदन में उसके 30 और उच्च सदन में 18 सदस्य हैं। इसलिए मौजूदा संसद के भीतर उसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
अब सत्ताधारी गठबंधन में फाइव स्टार पार्टी, डेमोक्रेटिक पार्टी और फ्री एंड इक्वल संसदीय समूह बचे रह गए हैं। फाइव स्टार पार्टी को वामपंथी पोपुलिस्ट पार्टी माना जाता है। फ्री एंड इक्वल संसदीय समूह भी वामपंथी रूझान वाला है। इस तरह सत्ताधारी गठबंधन में इटालिया वीवा पार्टी अकेली थी, जिसका रूझान वामपंथी नहीं है। इसलिए अर्थव्यवस्था को संभालने के मुद्दे पर उसका गठबंधन के बाकी दलों से मतभेद खड़ा हो गया।
इटली को यूरोपियन यूनियन से कोरोना राहत पैकेज के तहत 750 अरब यूरो मिलने हैं। इसे किन मदों में खर्च किया जाए, रेन्जी और कोन्ते इस पर सहमत नहीं हो सके। ईयू पैकेज के मुताबिक ये रकम अनुदान और कम दरों वाले ब्याज दोनों रूपों में खर्च की जा सकती है। रेन्जी की राय है कि इटली को यूरोपियन स्टैबिलिटी मेकेनिज्म के तहत मिल सकने वाले धन का उपयोग भी करना चाहिए। इस कोष से निम्न ब्याज दर पर कर्ज लिया जा सकता है। लेकिन कोन्ते और फाइव स्टार मूवमेंट की राय है कि ऐसा करने पर देश के ऊपर कर्ज का बोझ और बढ़ जाएगा। इसलिए उन्होंने रेन्जी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना राहत पैकेज को लेकर मतभेद ही गठबंधन टूटने का अकेला कारण नहीं है। असली वजह यह है कि पिछले एक साल में रेन्जी हाशिये पर पहुंच गए हैं। उनकी पार्टी का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है। इसलिए उन्होंने सरकार से अलग होने का दांव खेला है।
जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री कोन्ते के पास अब दो विकल्प हैं। पहला यह कि वे सदन की बैठक बुलाएं और विश्वास मत प्राप्त करें। इसमें उनकी सरकार का गिरना तय है। उसके बाद उनकी सरकार की हैसियत कार्यवाहक की रह जाएगी, जिस दौरान वे कोई नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। दूसरा विकल्प चुनाव कराने का है। इसके अलावा वे इस्तीफा देकर तीसरे गठबंधन की संभावना भी तलाश सकते हैं। इसमें उन्हें तभी सफलता मिल सकती है, जब कुछ छोटे दल उनका समर्थन करें। फिलहाल, ये तय नहीं है कि कोन्ते का अगला कदम क्या होगा। लेकिन ज्यादा संभावना यह है कि वे नए गठबंधन की संभावना तलाश करेंगे, क्योंकि महामारी के बीच चुनाव कराना या कार्यवाहक सरकार चलाना उचित विकल्प नहीं है।
सार
डेमोक्रेटिक पार्टी को वामपंथी रूझान वाली पार्टी समझा जाता है। रेन्जी के समर्थन के कारण ही तब प्रधानमंत्री गुइसेपे कोन्ते की दूसरी गठबंधन सरकार बन सकी थी...
विस्तार
कोरोना महामारी और गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे इटली में अब राजनीतिक अस्थिरता की समस्या भी खड़ी हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री मेतियो रेन्जी की पार्टी के सत्ताधारी गठबंधन से हट जाने के कारण पहले से ही मुश्किलों में फंसे इस देश की मुसीबत और बढ़ गई है। रेन्जी ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में एलान किया कि उनकी इटालिया वीवा पार्टी गठबंधन सरकार से अलग हो रही है। गठबंधन में शामिल दलों में सबसे छोटी पार्टी यही थी। इस पार्टी के दो मंत्री थे। लेकिन उसका साथ छोड़ देने के कारण अब सत्ताधारी गठबंधन का बहुमत नहीं रह गया है।
यह मध्यमार्गी पार्टी है। बताया जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बनाई जा रही योजना पर मतभेदों के कारण इसने गठबंधन सरकार छोड़ने का फैसला किया है। गौरतलब है कि यूरोप में कोरोना महामारी की सबसे पहली तगड़ी मार इटली पर ही पड़ी थी। वहां बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। पिछले दो महीनों में इटली को कोरोना महामारी के दूसरे दौर का सामना करना पड़ा है। देश की अर्थव्यवस्था लगभग साल भर से ठहरी हुई है।
मेतियो रेन्जी देश के प्रमुख नेताओं में एक हैं। सितंबर 2019 में उन्होंने इटालिया वीवा पार्टी का गठन किया था। उसके पहले वे डेमोक्रेटिक पार्टी में थे। डेमोक्रेटिक पार्टी को वामपंथी रूझान वाली पार्टी समझा जाता है। रेन्जी के समर्थन के कारण ही तब प्रधानमंत्री गुइसेपे कोन्ते की दूसरी गठबंधन सरकार बन सकी थी। इसके पहले धुर दक्षिणपंथी लीग पार्टी के गठबंधन छोड़ देने के पहले कोन्ते के नेतृत्व वाली पहली गठबंधन सरकार गिर गई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि इटालिया वीवा पार्टी के साथ बहुत कम जन समर्थन है। हाल के जनमत सर्वेक्षणों में इसे सिर्फ तीन फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया। लेकिन मौजूदा संसद में निचले सदन में उसके 30 और उच्च सदन में 18 सदस्य हैं। इसलिए मौजूदा संसद के भीतर उसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
अब सत्ताधारी गठबंधन में फाइव स्टार पार्टी, डेमोक्रेटिक पार्टी और फ्री एंड इक्वल संसदीय समूह बचे रह गए हैं। फाइव स्टार पार्टी को वामपंथी पोपुलिस्ट पार्टी माना जाता है। फ्री एंड इक्वल संसदीय समूह भी वामपंथी रूझान वाला है। इस तरह सत्ताधारी गठबंधन में इटालिया वीवा पार्टी अकेली थी, जिसका रूझान वामपंथी नहीं है। इसलिए अर्थव्यवस्था को संभालने के मुद्दे पर उसका गठबंधन के बाकी दलों से मतभेद खड़ा हो गया।
इटली को यूरोपियन यूनियन से कोरोना राहत पैकेज के तहत 750 अरब यूरो मिलने हैं। इसे किन मदों में खर्च किया जाए, रेन्जी और कोन्ते इस पर सहमत नहीं हो सके। ईयू पैकेज के मुताबिक ये रकम अनुदान और कम दरों वाले ब्याज दोनों रूपों में खर्च की जा सकती है। रेन्जी की राय है कि इटली को यूरोपियन स्टैबिलिटी मेकेनिज्म के तहत मिल सकने वाले धन का उपयोग भी करना चाहिए। इस कोष से निम्न ब्याज दर पर कर्ज लिया जा सकता है। लेकिन कोन्ते और फाइव स्टार मूवमेंट की राय है कि ऐसा करने पर देश के ऊपर कर्ज का बोझ और बढ़ जाएगा। इसलिए उन्होंने रेन्जी के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना राहत पैकेज को लेकर मतभेद ही गठबंधन टूटने का अकेला कारण नहीं है। असली वजह यह है कि पिछले एक साल में रेन्जी हाशिये पर पहुंच गए हैं। उनकी पार्टी का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है। इसलिए उन्होंने सरकार से अलग होने का दांव खेला है।
जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री कोन्ते के पास अब दो विकल्प हैं। पहला यह कि वे सदन की बैठक बुलाएं और विश्वास मत प्राप्त करें। इसमें उनकी सरकार का गिरना तय है। उसके बाद उनकी सरकार की हैसियत कार्यवाहक की रह जाएगी, जिस दौरान वे कोई नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। दूसरा विकल्प चुनाव कराने का है। इसके अलावा वे इस्तीफा देकर तीसरे गठबंधन की संभावना भी तलाश सकते हैं। इसमें उन्हें तभी सफलता मिल सकती है, जब कुछ छोटे दल उनका समर्थन करें। फिलहाल, ये तय नहीं है कि कोन्ते का अगला कदम क्या होगा। लेकिन ज्यादा संभावना यह है कि वे नए गठबंधन की संभावना तलाश करेंगे, क्योंकि महामारी के बीच चुनाव कराना या कार्यवाहक सरकार चलाना उचित विकल्प नहीं है।