लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   World ›   If political and military cooperation between Russia and China continuous, worrying situation will arise for USA

अमेरिका से टकराव: चीन के साथ बने नए रिश्ते ने बढ़ा दिया है रूस का हौसला

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मास्को Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 10 Feb 2022 12:47 PM IST
सार

विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन के सुर तेजी से बदले हैं। दस साल पहले वे अमेरिका के साथ शीत युद्ध की संभावना से सीधे इनकार करते थे। तब उन्होंने कहा था कि इस बारे में कल्पना करना भी मुश्किल है। लेकिन हाल की बीजिंग यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद जारी साझा बयान में दोनों नेताओं ने आक्रामक रुख दिखाया...

व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग
व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

हाल में घटनाएं ने जो मोड़ लिया है, उससे रूसी रणनीतिकार संतुष्ट नजर आते हैं। उनका आकलन है कि अमेरिका ने एक साथ कई मोर्चे खोल लिए हैं, जिससे रूस के लिए अनुकूल स्थिति बन रही है। इस आकलन के पक्ष में पश्चिमी विश्लेषकों की राय का भी हवाला दिया जा रहा है। एक रिपोर्ट में वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक- डिफेंस प्रायोरिटीज में पहले प्रोफेसर रह चुके विशेषज्ञ लाइल गोल्डस्टीन की इस राय का जिक्र किया गया है कि अगर रूस और चीन के बीच राजनीतिक और सैनिक सहयोग बढ़ता रहा, तो अमेरिका के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा हो जाएगी।



विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि राष्ट्रपति पुतिन के सुर तेजी से बदले हैं। दस साल पहले वे अमेरिका के साथ शीत युद्ध की संभावना से सीधे इनकार करते थे। तब उन्होंने कहा था कि इस बारे में कल्पना करना भी मुश्किल है। लेकिन हाल की बीजिंग यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद जारी साझा बयान में दोनों नेताओं ने आक्रामक रुख दिखाया।

चीन को बताया अपनी रणनीतिक ढाल

रूसी विशेषज्ञों का आकलन है कि चीन और रूस के बीच बने नए गहरे रिश्ते से अमेरिका के सैन्य योजनाकारोँ के सामने नई चुनौती पैदा हो गई है। रूसी संस्था काउंसिल ऑन फॉरेन एंड डिफेंस पॉलिसी के प्रमुख सर्गेई कारागेनोव ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘चीन हमारी रणनीतिक ढाल है। हम जानते हैं कि किसी कठिन स्थिति में हम सैनिक, राजनीतिक, या आर्थिक मदद के लिए उसका सहारा ले सकते हैं।’ कारागेनोव क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय) के सलाहकार की भूमिका भी निभाते हैं।

उधर रूस के सांसद व्लादिमीर झारबोव ने रूसी संसद के बुलेटिन पार्लियामेंत्सकाया गजेटा से कहा- ‘हमारे लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि चीन के राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से रूस के सुरक्षा प्रस्तावों का समर्थन किया। यह एक शक्तिशाली समर्थन है। हमें अब महसूस होता है कि हमारा दोस्त हमारे पास है, वह हमारा साथ देने के लिए तैयार है।’ रूस की संसद ड्यूमा की सुरक्षा एवं भ्रष्टाचार निरोधक कमेटी के सदस्य अदाल्बी शखागोशेव ने रूसी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती से बातचीत में रूस और चीन के बीच जारी साझा बयान को ‘एक भारी सियासी तोपखाना’ करार दिया।

चीन ने रिश्ते को बताया नए दौर की शुरुआत

उधर चीन में भी ऐसी भावनाएं जताई गई हैं। चीन के सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक संपादकीय में कहा है- रूस और चीन के बीच बने रिश्ते को ‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक ऐसे नए दौर की शुरुआत, जिसे अमेरिका ने परिभाषित नहीं किया है।’ शंघाई स्थित सेंटर फॉर रशियन स्टडीज में रिसर्च फेलॉ झांग शिन ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘यूरोप में अभी जो रहा है, उससे अमेरिका के वैश्विक संसाधनों में महत्त्वपूर्ण सेंध लगेगी। अगर अमेरिका को अपने ज्यादातर संसाधन यूरोप में लगाने पड़े, तो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भूमिका सीमित हो जाएगी।’

रूसी विश्लेषकों का कहना है कि चीन और रूस की दोस्ती फिलहाल दोनों के फायदे में है, क्योंकि दोनों का मुख्य टकराव अमेरिका से है। उनका आकलन है कि अमेरिका दोनों मोर्चों पर एक साथ निर्णायक ताकत लगाने की स्थिति में नहीं है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;

Followed

;