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Experts said India ranking in hunger index is based on wrong facts
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Hunger Index: विशेषज्ञ बोले- भूख सूचकांक में भारत की रैंकिंग गलत तथ्यों पर आधारित, कुपोषण नहीं, शाकाहार का असर
एजेंसी, केनबरा।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 18 Oct 2022 10:16 PM IST
सार
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने बयान जारी कर कहा है कि वैश्विक हंगर इंडेक्स-2022 में भारत की रैंकिंग गैरजिम्मेदाराना और शरारती है। मंच ने कहा है कि केंद्र सरकार को इसके प्रकाशकों के खिलाफ भारत की छवि बिगाड़ने के आरोप में कार्रवाई करनी चाहिए।
वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) में भारत 121 देशों की सूची में 107वें स्थान पर है जो कि पिछली बार से छह पायदान नीचे है। एक विशेषज्ञ का मानना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यह रैंकिंग देश में कद के अनुरूप कम वजन वाले बच्चों की संख्या में तेज उछाल, जिसे वेस्टिंग डाटा कहते हैं, के गलत तथ्य पर आधारित है। सिडनी यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सैल्वेटोर बेबोन्स ने यह तर्क दिया है। उनका पक्ष ऑस्ट्रेलियन टुडे में प्रकाशित हुआ है।
बेबोन्स ने कहा कि जिस वेस्टिंग डाटा का हवाला रिपोर्ट में है वह राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे पर आधारित भारत सरकार के डाटा के अनुरूप है। समस्या जीएचआई के 2014 के रिपोर्ट में प्रतीत होती है, जिसमें भारत के लिए गलत और कृत्रिम रूप से कम वेस्टिंग अनुमान लगाया गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि 2014 के बाद से जीएचआई वेस्टिंग में बढ़ोतरी दिखा रहा है जबकि असलियत में वेस्टिंग में उल्लेखनीय गिरावट आई है। बेबोन्स का मानना है कि भारत और जीएचआई के भूख का सूचकांक जिस पर आधारित हैं, जरूरी नहीं है कि वह भूख की वास्तविक स्थिति दिखा रहे हों।
कहा- कुपोषण नहीं, शाकाहार का असर
बेबोन्स ने कहा कि कई भारतीय बच्चों का कद के मुकाबले वजन दुनिया के अन्य देशों के बच्चों से कम हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ये बच्चे कुपोषित हैं। इसका यह भी अर्थ हो सकता है कि भारत में दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले शाकाहार ज्यादा प्रचलित है।
हंगर इंडेक्स रैंकिंग गैरजिम्मेदाराना और शरारती
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने बयान जारी कर कहा है कि वैश्विक हंगर इंडेक्स-2022 में भारत की रैंकिंग गैरजिम्मेदाराना और शरारती है। मंच ने कहा है कि केंद्र सरकार को इसके प्रकाशकों के खिलाफ भारत की छवि बिगाड़ने के आरोप में कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की विशेषज्ञ समिति ने भी बेबोन्स जैसा ही तर्क दिया है।
आईसीएमआर ने कहा है कि वह भूख को अर्धपोषण, बच्चों में विकास का रुकना, कम वजन के आधार पर नहीं मापती और बच्चों की मौत की दर सिर्फ भूख के कारण नहीं बढ़ती।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत के 107वें स्थान पर रहने को लेकर रविवार को सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने पूछा कि आरएसएस व भाजपा कब तक लोगों को वास्तविकता से गुमराह करते रहेंगे। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, भूख और कुपोषण में भारत 121 देशों में 107वें स्थान पर! अब प्रधानमंत्री और उनके मंत्री कहेंगे, भारत में भुखमरी नहीं बढ़ रही है, बल्कि दूसरे देशों में लोगों को भूख नहीं लग रही है। उन्होंने कहा, आरएसएस-भाजपा कब तक वास्तविकता से जनता को गुमराह कर, भारत को कमजोर करते रहेंगे। जीएचआई में भारत की स्थिति और खराब हुई है। वह 121 देशों में 107वें नंबर पर है, जबकि बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ 19.3 प्रतिशत है, जो दुनिया के किसी भी देश से अधिक है।
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आईसीएमआर ने किया रिपोर्ट को खारिज
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट को लेकर भारत में बयानबाजी हो रही है। सरकार और तमाम सरकारी एजेंसियां जहां इस रिपोर्ट को खारिज कर रही हैं। वहीं, विपक्ष इस रिपोर्ट में भारत को 107वें नंबर पर रखने को लेकर सरकार पर हमलावर है। वहीं, अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 को खारिज कर दिया है।भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने वैश्विक भूख सूचकांक में इस वर्ष भारत को 121 देशों में 107वें नंबर पर आने को लेकर कहा कि इसमें भूख के माप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। इसके अलावा विभिन्न विषयों में कई समस्याएं हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, अल्पपोषण, स्टंटिंग (नाटापन), वेस्टिंग (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) और बाल मृत्यु दर के संकेतक अपने आप में भूख मापने के लिए पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि अकेले ये भूख को नहीं दर्शाते हैं।
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