पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने मंगलवार को चीन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की और हमेशा की तरह कश्मीर राग अलापा। अब्बासी ने गुतारेस से कहा कि कश्मीर में कथित भारतीय अत्याचारों को रोकने के लिए वह अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने विश्व संगठन से आग्रह किया कि कश्मीर में कथित भारतीय अत्याचारों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
पाक पीएम ने भारत पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया। पाक पीएमओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक, अब्बासी ने गुतारेस से चीनी शहर बोआओ में आयोजित बोआओ फॉरम फॉर एशिया (बीएफए) बैठक से इतर बातचीत की। बयान में कहा गया है कि अब्बासी ने कश्मीर में बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
अब्बासी ने पाकिस्तान और चीन को आयरन ब्रदर्स बताया और कहा कि उनकी ये दोस्ती हमारे क्षेत्र की सामरिक स्थिरता के लिए आधार है। अब्बासी ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे (
सीपीईसी) की सराहना करते हुए कहा कि 50 बिलियन डॉलर में बनने वाले इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान की चीन के साथ भागीदारी प्राकृतिक है। इससे एशिया में शांति और समृद्धि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ने का एक नया दौर शुरू होगा।
अब्बासी ने
ग्वादर पोर्ट पर कहा कि यह जल्द ही एक आर्थिक केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा ग्वादर पोर्ट से पाकिस्तान के साथ ही पश्चिमी चीन, सेंट्रल और दक्षिण एशिया और मिडल ईस्ट तक समुद्री पहुंच आसान हो जाएगी। इससे व्यापार बढ़ेगा जिससे सभी के लिए विकास का रास्ता खुलेगा।
बता दें ग्वादर पोर्ट का निर्माण पाकिस्तान ने अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया था। इस प्रोजेक्ट पर उसने एक समझौते पर चीन के साथ हस्ताक्षर किए हैं। भारत इसका लगातार विरोध कर रहा है क्योंकि यह
बलूचिस्तान में स्थित है। इसमें चीन ने बहुत बड़ा निवेश किया है। इससे चीन को एक छोटा और अंतररार्ष्ट्रीय ट्रोड रूट मिलेगा। इसके साथ ही यह सीपीईसी के लिए गेटवे के रूप में उभरेगा। यहीं से होकर जिनपिंग सिल्क रोड का विस्तार करेंगे जो एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 60 देशों को जोड़ेगा।
यह पहली बार 2002 में लॉन्च हुआ था तभी से भारत इसका विरोध कर रहा है। 2059 तक चीन ग्वादर में बैठक कर भारत पर पूरी नजर रखेगा। यह बीजिंग की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' यानि भारत को घेरने की पॉलिसी का एक हिस्सा है।
अब्बासी ने कहा कि चीन की सीपीईसी परियोजना पाकिस्तानियों को लगातार नौकरी के अवसर दे रही है। साथ ही आर्थिक गलियारे ने राष्ट्रीय पावर सेक्टर में 10,000 मेगावाट की बिजली भी जोड़ दी है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वार्षिक रूप से 6 फीसदी तक बढ़ गई है जो कि इस दशक में सबसे उंचे स्तर पर है, 2050 तक हम दुनिया की 15वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे।
जिनपिंग को दी बधाई
अब्बासी ने जिनपिंग को एक बार फिर राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जिनपिंग की बीआरआई परियोजना सभी के लिए फायदेमंद साबित होगी और एक असमानता वाली दुनिया में समानता लाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि यह विकासशील देशों की कमियों को पूरा करेगी जिससे सभी के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
वहीं चीनी राष्ट्रपति
शी जिनपिंग ने फोरम में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से गुजरने को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना का बचाव करते हुए कहा कि इससे हमारा उद्देश्य भू-राजनीतिक हित साधना नहीं है, लेकिन पीओके जैसे विवादित क्षेत्र में परियोजना को लेकर हम चिंतित हैं।
हालांकि हाल ही में भारतीय राजदूत ने इस परियोजना पर विरोध जाहिर करते हुए कहा था कि यह प्रोजेक्ट भारत की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है। जिसे बीआरआई का फ्लैग्शिप प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। इसलिए हम उसका विरोध करते हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने मंगलवार को चीन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की और हमेशा की तरह कश्मीर राग अलापा। अब्बासी ने गुतारेस से कहा कि कश्मीर में कथित भारतीय अत्याचारों को रोकने के लिए वह अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने विश्व संगठन से आग्रह किया कि कश्मीर में कथित भारतीय अत्याचारों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
पाक पीएम ने भारत पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया। पाक पीएमओ द्वारा जारी बयान के मुताबिक, अब्बासी ने गुतारेस से चीनी शहर बोआओ में आयोजित बोआओ फॉरम फॉर एशिया (बीएफए) बैठक से इतर बातचीत की। बयान में कहा गया है कि अब्बासी ने कश्मीर में बिगड़ती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
अब्बासी ने पाकिस्तान और चीन को आयरन ब्रदर्स बताया और कहा कि उनकी ये दोस्ती हमारे क्षेत्र की सामरिक स्थिरता के लिए आधार है। अब्बासी ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे (
सीपीईसी) की सराहना करते हुए कहा कि 50 बिलियन डॉलर में बनने वाले इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान की चीन के साथ भागीदारी प्राकृतिक है। इससे एशिया में शांति और समृद्धि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ने का एक नया दौर शुरू होगा।
ग्वादर पोर्ट पर बोले अब्बासी
अब्बासी ने
ग्वादर पोर्ट पर कहा कि यह जल्द ही एक आर्थिक केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा ग्वादर पोर्ट से पाकिस्तान के साथ ही पश्चिमी चीन, सेंट्रल और दक्षिण एशिया और मिडल ईस्ट तक समुद्री पहुंच आसान हो जाएगी। इससे व्यापार बढ़ेगा जिससे सभी के लिए विकास का रास्ता खुलेगा।
बता दें ग्वादर पोर्ट का निर्माण पाकिस्तान ने अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया था। इस प्रोजेक्ट पर उसने एक समझौते पर चीन के साथ हस्ताक्षर किए हैं। भारत इसका लगातार विरोध कर रहा है क्योंकि यह
बलूचिस्तान में स्थित है। इसमें चीन ने बहुत बड़ा निवेश किया है। इससे चीन को एक छोटा और अंतररार्ष्ट्रीय ट्रोड रूट मिलेगा। इसके साथ ही यह सीपीईसी के लिए गेटवे के रूप में उभरेगा। यहीं से होकर जिनपिंग सिल्क रोड का विस्तार करेंगे जो एशिया, यूरोप और अफ्रीका के 60 देशों को जोड़ेगा।
यह पहली बार 2002 में लॉन्च हुआ था तभी से भारत इसका विरोध कर रहा है। 2059 तक चीन ग्वादर में बैठक कर भारत पर पूरी नजर रखेगा। यह बीजिंग की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' यानि भारत को घेरने की पॉलिसी का एक हिस्सा है।
अब्बासी ने जिनपिंग को दी बधाई
अब्बासी ने कहा कि चीन की सीपीईसी परियोजना पाकिस्तानियों को लगातार नौकरी के अवसर दे रही है। साथ ही आर्थिक गलियारे ने राष्ट्रीय पावर सेक्टर में 10,000 मेगावाट की बिजली भी जोड़ दी है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वार्षिक रूप से 6 फीसदी तक बढ़ गई है जो कि इस दशक में सबसे उंचे स्तर पर है, 2050 तक हम दुनिया की 15वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे।
जिनपिंग को दी बधाई
अब्बासी ने जिनपिंग को एक बार फिर राष्ट्रपति के लिए निर्वाचन पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जिनपिंग की बीआरआई परियोजना सभी के लिए फायदेमंद साबित होगी और एक असमानता वाली दुनिया में समानता लाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि यह विकासशील देशों की कमियों को पूरा करेगी जिससे सभी के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
जिनपिंग ने जताई चिंता
वहीं चीनी राष्ट्रपति
शी जिनपिंग ने फोरम में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से गुजरने को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना का बचाव करते हुए कहा कि इससे हमारा उद्देश्य भू-राजनीतिक हित साधना नहीं है, लेकिन पीओके जैसे विवादित क्षेत्र में परियोजना को लेकर हम चिंतित हैं।
हालांकि हाल ही में भारतीय राजदूत ने इस परियोजना पर विरोध जाहिर करते हुए कहा था कि यह प्रोजेक्ट भारत की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है। जिसे बीआरआई का फ्लैग्शिप प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। इसलिए हम उसका विरोध करते हैं।