अमेरिकी खाद्य एवं दवा नियामक संस्था (यूएसएफडीए) ने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सचेत किया है कि वे कोविड-19 के उपचार के लिए मरीजों को रेमडेसिविर के साथ क्लोरोक्वीन फॉसफेट या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नहीं दें, क्योंकि इससे रेमडेसिविर का असर कम हो सकता है।
एफडीए ने कहा, 'एफडीए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सचेत कर रहा है कि रेमडेसिविर के साथ मरीजों को क्लोरोक्वीन फॉसफेट (सीक्यू) या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सल्फेट (एचसीक्यू) देने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे रेमडेसिविर की वायरसरोधी क्षमता कम हो सकती है।'
उसने एक बयान में कहा कि हालांकि एजेंसी चिकित्सकीय उपयोगों में रेमडेसिविर का असर कम होने संबंधी उदाहरणों से अवगत नहीं है, लेकिन इससे संबंधी सभी आंकड़ों का आकलन किया जा रहा है।
आपात स्थिति में दवा के इस्तेमाल की मंजूरी देने संबंधी मापदंडों और उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आपात स्थिति में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को मई 2020 में मंजूरी दे दी थी।
कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार के लिए रेमडेसिविर की उपयोगिता और इसके इस्तेमाल के सुरक्षित होने का आकलन किया जा रहा है। प्रारम्भिक चिकित्सकीय परीक्षणों के परिणाम दर्शाते हैं कि जिन मरीजों के उपचार के लिए रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया गया, वे अपेक्षाकृत अधिक तेजी से स्वस्थ हुए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 जून को कोरोना वायरस संक्रमण की मध्यम अवस्था में वायरसरोधी दवा रेमडेसिविर के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अपने पहले के रुख से पीछे हटते हुए कहा था कि मलेरिया रोधी यह दवा बीमारी के शुरुआती चरण में दी जानी चाहिए और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह नहीं दी जानी चाहिए।
एफडीए के मुख्य वैज्ञानिक डेनिस हिंटन ने बायोमेडिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (बारडा) के गैरी डिस्ब्रो को एक पत्र में लिखा, 'एफडीए ने नई जानकारी और अन्य जानकारियों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि यह मानना उचित नहीं है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और सीक्यू दवाएं कोरोना वायरस के इलाज में प्रभावी साबित हो सकती हैं।' एजेंसी ने इसके बारे में सोमवार को अपनी वेबसाइट पर उल्लेख किया है।
विस्तार
अमेरिकी खाद्य एवं दवा नियामक संस्था (यूएसएफडीए) ने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सचेत किया है कि वे कोविड-19 के उपचार के लिए मरीजों को रेमडेसिविर के साथ क्लोरोक्वीन फॉसफेट या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नहीं दें, क्योंकि इससे रेमडेसिविर का असर कम हो सकता है।
एफडीए ने कहा, 'एफडीए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सचेत कर रहा है कि रेमडेसिविर के साथ मरीजों को क्लोरोक्वीन फॉसफेट (सीक्यू) या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सल्फेट (एचसीक्यू) देने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे रेमडेसिविर की वायरसरोधी क्षमता कम हो सकती है।'
उसने एक बयान में कहा कि हालांकि एजेंसी चिकित्सकीय उपयोगों में रेमडेसिविर का असर कम होने संबंधी उदाहरणों से अवगत नहीं है, लेकिन इससे संबंधी सभी आंकड़ों का आकलन किया जा रहा है।
आपात स्थिति में दवा के इस्तेमाल की मंजूरी देने संबंधी मापदंडों और उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए आपात स्थिति में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को मई 2020 में मंजूरी दे दी थी।
कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार के लिए रेमडेसिविर की उपयोगिता और इसके इस्तेमाल के सुरक्षित होने का आकलन किया जा रहा है। प्रारम्भिक चिकित्सकीय परीक्षणों के परिणाम दर्शाते हैं कि जिन मरीजों के उपचार के लिए रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया गया, वे अपेक्षाकृत अधिक तेजी से स्वस्थ हुए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 जून को कोरोना वायरस संक्रमण की मध्यम अवस्था में वायरसरोधी दवा रेमडेसिविर के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर अपने पहले के रुख से पीछे हटते हुए कहा था कि मलेरिया रोधी यह दवा बीमारी के शुरुआती चरण में दी जानी चाहिए और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह नहीं दी जानी चाहिए।
एफडीए के मुख्य वैज्ञानिक डेनिस हिंटन ने बायोमेडिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (बारडा) के गैरी डिस्ब्रो को एक पत्र में लिखा, 'एफडीए ने नई जानकारी और अन्य जानकारियों के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि यह मानना उचित नहीं है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और सीक्यू दवाएं कोरोना वायरस के इलाज में प्रभावी साबित हो सकती हैं।' एजेंसी ने इसके बारे में सोमवार को अपनी वेबसाइट पर उल्लेख किया है।