1857 में जो जंग-ए-आजादी शुरू हुई थी, 9 अगस्त 1942 में वह अपने अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुकी थी। महात्मा गांधी का ही ये जादू था कि करोड़ों भारतीय आजादी के लिए सड़कों पर उतर आये थे।बच्चे-बच्चे ने ‘करो या मरो’ का संकल्प ले लिया था, पूरे देश में उस समय यही जनून था कि अंग्रेजों या तो हमारा देश छोड़ दो या फिर हमारा कत्ल कर दो। चलिए आज इस भारत छोडो आन्दोलन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसकी पूरी कहानी आपको दिखाते हैं।