टनकपुर/बनबसा (चंपावत)। चंपावत जिले के प्रवेशद्वार बनबसा को वर्ष 2018 में ग्राम पंचायत से उच्चीकृत होकर नगर पंचायत का दर्जा मिल गया लेकिन सीएम की घोषणा के बावजूद यहां गैस एजेंसी नहीं खुल सकी। इस कारण बनबसा और आसपास के गांवों में रहने वाले छह हजार से अधिक उपभोक्ताओं को 12 किमी दूर टनकपुर जाना पड़ रहा है। इससे जेब पर मार पड़ने के साथ समय की भी बर्बाद हो रही है।
जिले में 57 हजार गैस उपभोक्ताओं के लिए चंपावत, लोहाघाट, देवीधुरा, टनकपुर में चार गैस एजेंसियां हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 10 अप्रैल 2015 को जिले की पांचवीं गैस एजेंसी बनबसा में खोलने की घोषणा की। इसके लिए सितंबर 2015 को सिंचाई विभाग यूपी के प्रबंध वाली तीन बीघा जमीन का चयन किया गया था, लेकिन केएमवीएन ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दी। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी का गृह क्षेत्र भी बनबसा है।
इसलिए पिछले साल पहली सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूसरी बार इसका एलान किया। फिर भी एजेंसी नहीं खुल सकी। हालांकि यहां महीने में सात बार टनकपुर से गैस सिलिंडरों की आपूर्ति ट्रकों से होती है, लेकिन ये आपूर्ति नाकाफी है। इस कारण बनबसा के लोग गैस सिलिंडर रीफिल कराने के लिए टनकपुर जाने के लिए मजबूर हैं। राज्य आंदोलनकारी प्रेम चंद, नारायण दत्त आदि ग्रामीणों का कहना है कि गैस एजेंसी जल्दी खुलनी चाहिए।
बनबसा में गैस एजेंसी खोलने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है। विधानसभा चुनाव के बाद जमीन का चयन कर बनबसा में नई गैस एजेंसी खोलने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी।
- प्रकाश मुरारी, जिला नोडल अधिकारी, गैस वितरण केंद्र, चंपावत।
गांवों के गैस गोदामों का नहीं हो सका सदुपयोग
चंपावत। जिले के चार ग्रामीण क्षेत्रों में गैस गोदाम बनाए गए, लेकिन इनका लाभ ग्रामीणों को कभी नहीं मिल सका। अब इनमें से एक गोदाम (रौसाल) को दुग्ध संघ के ग्रोथ सेंटर को दी गई है। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल कटान को रोकने और गांव के नजदीक गैस सिलिंडर दिलाने के लिए करीब दो दशक पहले लाखों रुपये खर्च कर पाटी, श्यामलाताल, तामली, रौसाल में गैस गोदाम बने लेकिन इन गोदामों का उपयोग कभी नहीं हो सका।
अब ज्यादातर भवन इस्तेमाल के लायक भी नहीं रह गए हैं। इन गोदामों में घास उग आई है। छत टूट गई है। इन गोदामों को हस्तांतरित न करने और रखरखाव के अभाव से यह गोदाम खंडहर में तब्दील हो गए हैं। गैस वितरण केंद्र के प्रभारी प्रकाश मुरारी का कहना है कि दूरदराज के सड़क से लगे गांवों में महीने में एक दिन सिलिंडर का ट्रक भेजा जाता है।
टनकपुर/बनबसा (चंपावत)। चंपावत जिले के प्रवेशद्वार बनबसा को वर्ष 2018 में ग्राम पंचायत से उच्चीकृत होकर नगर पंचायत का दर्जा मिल गया लेकिन सीएम की घोषणा के बावजूद यहां गैस एजेंसी नहीं खुल सकी। इस कारण बनबसा और आसपास के गांवों में रहने वाले छह हजार से अधिक उपभोक्ताओं को 12 किमी दूर टनकपुर जाना पड़ रहा है। इससे जेब पर मार पड़ने के साथ समय की भी बर्बाद हो रही है।
जिले में 57 हजार गैस उपभोक्ताओं के लिए चंपावत, लोहाघाट, देवीधुरा, टनकपुर में चार गैस एजेंसियां हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 10 अप्रैल 2015 को जिले की पांचवीं गैस एजेंसी बनबसा में खोलने की घोषणा की। इसके लिए सितंबर 2015 को सिंचाई विभाग यूपी के प्रबंध वाली तीन बीघा जमीन का चयन किया गया था, लेकिन केएमवीएन ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दी। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी का गृह क्षेत्र भी बनबसा है।
इसलिए पिछले साल पहली सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूसरी बार इसका एलान किया। फिर भी एजेंसी नहीं खुल सकी। हालांकि यहां महीने में सात बार टनकपुर से गैस सिलिंडरों की आपूर्ति ट्रकों से होती है, लेकिन ये आपूर्ति नाकाफी है। इस कारण बनबसा के लोग गैस सिलिंडर रीफिल कराने के लिए टनकपुर जाने के लिए मजबूर हैं। राज्य आंदोलनकारी प्रेम चंद, नारायण दत्त आदि ग्रामीणों का कहना है कि गैस एजेंसी जल्दी खुलनी चाहिए।
बनबसा में गैस एजेंसी खोलने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है। विधानसभा चुनाव के बाद जमीन का चयन कर बनबसा में नई गैस एजेंसी खोलने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी।
- प्रकाश मुरारी, जिला नोडल अधिकारी, गैस वितरण केंद्र, चंपावत।
गांवों के गैस गोदामों का नहीं हो सका सदुपयोग
चंपावत। जिले के चार ग्रामीण क्षेत्रों में गैस गोदाम बनाए गए, लेकिन इनका लाभ ग्रामीणों को कभी नहीं मिल सका। अब इनमें से एक गोदाम (रौसाल) को दुग्ध संघ के ग्रोथ सेंटर को दी गई है। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल कटान को रोकने और गांव के नजदीक गैस सिलिंडर दिलाने के लिए करीब दो दशक पहले लाखों रुपये खर्च कर पाटी, श्यामलाताल, तामली, रौसाल में गैस गोदाम बने लेकिन इन गोदामों का उपयोग कभी नहीं हो सका।
अब ज्यादातर भवन इस्तेमाल के लायक भी नहीं रह गए हैं। इन गोदामों में घास उग आई है। छत टूट गई है। इन गोदामों को हस्तांतरित न करने और रखरखाव के अभाव से यह गोदाम खंडहर में तब्दील हो गए हैं। गैस वितरण केंद्र के प्रभारी प्रकाश मुरारी का कहना है कि दूरदराज के सड़क से लगे गांवों में महीने में एक दिन सिलिंडर का ट्रक भेजा जाता है।