तस्वीरों में देखिए मुसलमानों का हिंदू धर्म के लिए प्रेम
इसे आप अचरज ही मानेंगे कि एक तरफ जहां देश भर में सांप्रदायिक अशांति जोर पकड़ रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी ताकत और इच्छा के बल पर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पैदा कर रहे हैं। देखते हैं कुछ किस्से।
मरियम ने जीता भागवत गीता कॉन्टेस्ट- कक्षा 6 में पढ़ने वाली 12 साल की मरियम सिद्दीकी ने हाल ही में भागवत गीता के कॉन्टैस्ट में 3000 प्रतिभागियों को हराकर पहला स्थान प्राप्त किया है।
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वाराणसी में मुस्लिम राधा कृष्ण- वाराणसी के एक स्कूल यूनीक अकेडमी में ऐसी जन्माष्टमी मनी थी, जिसमें कृष्ण और राधा की भूमिकाएं मुस्लिम बच्चों ने निभाई थी। राधा बनी बच्ची का नाम निदा अमान था। निदा के पिता अमान ने कहा कि ईश्वर एक है और उसकी आराधना किसी भी तरह से की जाए, कोई फर्क नहीं पड़ता।
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मुस्लिम प्रधान ने बनवाया मंदिर- मथुरा के एक गांव सहार के प्रधान अजमल अली शेख ने नगला गाजई में शिव पार्वती का मंदिर बनवा कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की है। पिछले महीने ये मंदिर बनकर तैयार हो गया। अजमल ने बताया कि मंदिर को बनवाने में आठ महीने लगे और इस पर 4.50 हजार रुपए का खर्चा आया, जिसे उन्होंने खुद उठाया है।
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मंदिर में रोजा खोलते हैं चंदौली के मुस्लिम- चंदौली जिले के नौबतपुर गांव के संकटमोचन मंदिर में गांव के सभी मुस्लिम नमाज अता करने के बाद हिंदुओं के हाथ से बना खाना खाकर रोजा खोलते हैं। नौबत गांव की आबादी करीब 3000 है, जिसमें मुसलमानों की संख्या 800 है।
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राम मंदिर में उर्दू बैंक- काशी में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती उतारकर उर्दू बैंक की स्थापना की है। इस बैंक में खाता खुलवाने के लिए खाताधारक को उर्दू में ही राम नाम लिखकर जमा करना होता है। यह बैंक ब्याज के तौर पर शांति और लोन के रूप में सांप्रदायिक एकता का पैगाम देता है।