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UP Politics: उप-मुख्यमंत्रियों से BJP के 100 विधायक तोड़ने को क्यों कह रहे अखिलेश, क्या हैं इसके सियासी मायने?

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Sun, 04 Dec 2022 03:43 PM IST
Why Akhilesh asking Deputy Chief Ministers of up to break 100 BJP MLAs, what is its political significance?
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यूपी में दो विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। इसमें सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर बताई जा रही है। जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें रामपुर और मुरादाबाद की खतौली विधानसभा सीट शामिल है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है। 
 
इन उपचुनावों में जीत हासिल करने के लिए दोनों ही पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। इस बीच, रामपुर में चुनाव प्रचार करने पहुंचे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी के दोनों उप-मुख्यमंत्रियों को 100 विधायक लेकर कर मुख्यमंत्री बनने का ऑफर दे दिया। ऐसा नहीं है कि अखिलेश का ये बयान पहली बार आया है। इसके पहले भी वह खुले मंच से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस तरह का ऑफर दे चुके हैं। हालांकि, इस बार जो बयान उन्होंने दिया, उसमें दूसरे उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को भी शामिल कर लिया।
 
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बार-बार अखिलेश यादव भाजपा के विधायकों को तोड़ने की बात क्यों कर रहे हैं? उनके निशाने पर यूपी के दोनों उप-मुख्यमंत्री क्यों हैं? इसके सियासी मायने क्या हैं? आइए समझते हैं...
 
Why Akhilesh asking Deputy Chief Ministers of up to break 100 BJP MLAs, what is its political significance?
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पहले जानिए अखिलेश यादव ने क्या कहा? 
अखिलेश यादव रामपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने यूपी के दोनों उप-मुख्यमंत्रियों का जिक्र किया। बोले, ये लोग जगह-जगह आ रहे हैं और हम लोगों को कह रहे हैं कि हम माफिया है, हम लोगों को अपराधी कहते हैं, लेकिन वो दोनों इस चक्कर में हैं कि कब मुख्यमंत्री बन जाएं। मैंने पहले भी ऑफर दिया, रामपुर से भी ऑफर दे रहा हूं। लाओ अपने साथ 100 विधायक, हम 100 विधायक आपके साथ तैयार है, सरकार बना लो और मुख्यमंत्री बन जाओ। क्या उपमुख्यमंत्री बने घूम रहे हो, उपमुख्यमंत्री में क्या रखा है? 
 
इसके बाद अखिलेश ने उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का बिना नाम लिए निशाना साधा। कहा कि वो अपने विभाग के एक सीएमओ और डॉक्टर का ट्रांसफर नहीं कर पा रहे। उसी तरह दूसरे उपमुख्यमंत्री हैं, उनका विभाग बदल दिया गया। वो जिस विभाग के मंत्री बने उस विभाग का बजट ही नहीं है। 
 
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बार-बार उप-मुख्यमंत्रियों को निशाने पर क्यों ले रहे अखिलेश? 
ये समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार रमाशंकर श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने कहा, 'यूपी की सियासत जाति और धर्म के आधार पर काफी हद तक बंटी हुई है। केशव प्रसाद मौर्य पिछड़े वर्ग से आते हैं और जब उन्हें भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया, तब से पिछड़े वर्ग का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ आ गया। 2017, 2019 और फिर 2022 विधानसभा चुनाव के परिणाम ये बताते हैं। 2017 में उम्मीद थी कि केशव मौर्य को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केशव को डिप्टी सीएम पद से ही संतोष करना पड़ा। पूरे पांच साल केशव और योगी के बीच अनबन की खूब खबरें सामने आईं।'
 
 
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