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AIIMS के चारों टॉपर्स ने बताए सफलता के मूलमंत्र, अचूक बाण है कोई नहीं बताएगा...पढ़िए

ब्यूरो/अमर उजाला, चंडीगढ़ Updated Wed, 20 Jun 2018 09:38 AM IST
chandigarh, aiims result 2018, aiims toppers success story
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एम्स 2018 के चारों टॉपर दे रहे हैं बड़े काम की टिप्स, टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। बस कुछ बातों का ध्यान रखें और आपका एग्जाम क्लीयर हो जाएगा। एग्जाम में चारों स्टूडेंट्स ने 100 पर्सेंटाइल अंक हासिल किए, लेकिन बायोलॉजी में 100 पर्सेंटाइल स्कोर करने पर एलिजा को टॉपर घोषित किया गया।
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एलिजा सोशल मीडिया से दूर रहती थी
पंजाब के संगरूर जिले के लहरागागा की एलिजा का ओवरऑल पर्सेंटाइल 100 प्रतिशत रहा। एलिजा ने बायो में 100 पर्सेंटाइल, केमिस्ट्री में 99.94 पर्सेंटाइल, फिजिक्स में 100 पर्सेंटाइल, जनरल नॉलेज में 97.87 पर्सेंटाइल हासिल किए। एलिजा हार्ट स्पेशलिस्ट बनना चाहती हैं। उसने इस कामयाबी को हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की है। दिन में एक आध घंटा छोड़कर बाकी पूरा समय वह पढ़ाई करती है। वह सोशल मीडिया से दूर ही रहती हैं। पढ़ाई के लिए कभी-कभार नेट से मदद ली। एलीजा के पिता विजय कुमार सरकारी अध्यापक हैं और वे गांव लेहल कलां में सेवाएं निभा रहे हैं। जबकि एलीजा की माता हाउस वाइफ हैं। एलिजा का बड़ा भाई रोबिन बांसल आईआईटी दिल्ली में बीटेक इलेक्ट्रिकल फोर्थ ईयर में है और वही एलिजा का आइडियल भी है।
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रमणीक ने हर सब्जेक्ट पर फोकस किया
एम्स 2018 में बठिंडा की रमणीक कौर माहल ने दूसरा रैंक हासिल किया। रमनीक ने बायोलॉजी में 99.8975042, केमेस्ट्री में 99.9788668, फिजिक्स में 100, जीके में 98.4710159, ओवरऑल 100% अंक हासिल किए। रमणीक नीट 2018 में भी देशभर में टॉप 10 में रही थी। रमणीक सीबीएसई 12वीं मेडिकल में 97.6 प्रतिशत अंकों से जिले की टॉपर रही थी। रमणीक के पिता अमनदीप सिंह और माता बरिंदर कौर दोनों डॉक्टर हैं। रमणीक न्यूरोलॉजिस्ट बनना चाहती है और अलग-अलग केस हिस्ट्री स्टडी करके न्यूरो रोग की जड़ तक पहुंचना उनका ध्येय रहेगा। रमणीक ने हर रोज 7 से 8 घंटे तक तैयारी की। इसके लिए अलग-अलग इंस्टीट्यूट ज्वाइन किए। रमणीक ने बताया कि उन्होंने हर सब्जेक्ट पर फोकस किया।

 
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महक रोज 10 घंटे सेल्फ स्टडी करती थी
महक- बायोलॉजी 99.8116821, केमेस्ट्री 99.9946501, फिजिक्स 99.9978600, जीके 99.9786002, ओवरऑल 100%। एम्स 2018 में तीसरी रैंक हासिल करने के बाद पंचकूला की महक अरोड़ा डॉक्टर बनकर पिता का सपना करना चाहती हैं। वह रोजाना दस घंटे सेल्फ स्टडी करती थी। उन्हें फिजिक्स पढ़ना पसंद है। ग्रुप डिस्कशन और बिना तनाव के पढ़ाई करने के बाद उन्हें यह सफलता हासिल हुई है। उन्हें बॉयलोजी सबसे कठिन लगती थी। बॉयलोजी की तैयारी के लिए उन्होंने ग्रुप डिस्कशन किया। फिजिक्स और केमिस्ट्री उनका पसंदीदा विषय है। खुद को तनाव से दूर रखने के लिए वह बास्केटबाल और चेस खेलती थीं। महक ने नीट की परीक्षा में 31वीं रैंक हासिल कर ट्राइसिटी में टॉप किया था। महक अरोड़ा की मां रेनू अरोड़ा चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।
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मनराज ने 12 घंटे की पढ़ाई करने के बाद हासिल की चौथी रैंक
मनराज- बायोलॉजी 98.4718781, केमेस्ट्री 100, फिजिक्स 99.9702245, जीके 99.7447813, ओवरऑल 100% मनराज सिंह सरां ने बताया कि एम्स में चौथी रैंक हासिल करने के लिए रोजाना 12 घंटे की पढ़ाई की। वह बठिडा के रहने वाले हैँ। उन्होंने बताया कि वह एसडी स्कूल सेक्टर - 32 से पढ़े हैं।  मेरे पैरेंट्स डॉक्टर हैं। मैं अपना रोल मॉडल अपने पिता नवप्रीत सिंह सरां को मानता हूं। वह आंखों के डाक्टर हैं। मैने 12वीं एसडी स्कूल से पास की है। मैंने फिजिक्स, केमिस्ट्री और बॉयलोजी की जमकर तैयारी की थी। नीट में मेरी 159वीं रैंक आई थी। नीट से बेहतर मेरा पेपर एम्स का हुआ था। दिल्ली एम्स मेरी पहली पसंद हैं। अब मेरा एम्स में एडमिशन लेने का सपना पूरा होगा। चौथी रैंक हासिल करने वाले मनराज सिंह सरां ने बताया कि वह बैडमिंटन खेलना पसंद करते हैं।
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