छत्तीसगढ़ के कांकेर में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। एक महिला को उसके पति ने मारपीट कर बच्चे सहित घर से निकाल दिया। महिला अपने पिता के घर पहुंची तो उन्होंन भी आसरा नहीं दिया। इस दौरान बच्चे की मौत हो गई। इस पर अपने बच्चे का शव सीने से लगाए महिला दो दिनों तक भटकती रही। पुलिस को सूचना मिली तो उसने नगर पालिका की मदद से मृत बच्चे का अंतिम संस्कार कराया। वहीं महिला को सखी सेंटर भेजा। मामला कोरर थाना क्षेत्र का है।
लोगों ने देखा तो पुलिस को सूचना दी
दरअसल, यह पूरी घटना मलांजकुडूम की है। यहां पर कुछ लोगों ने रविवार को एक महिला को घूमते हुए देखा। उसके हाथ में बच्चा था, लेकिन उसमें कोई हरकत नहीं हो रही थी। इस पर लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस पहुंची और पूछताछ की तो पता चला कि बच्चे की मौत हो चुकी है। महिला का नाम मनसू गावड़े (22) है। उसके पति का नाम मुरागांव निवासी लक्ष्मण गावड़े है। मलांजकुडूम में ही महिला का मायका भी है। यह भी पुलिस को पता चला कि महिला मानसिक रूप से बीमार है।
मायके में भी मदद के लिए कोई नहीं आया
पूछताछ में महिला सभी सवालों के जवाब तो नहीं दे सकी, लेकिन पुलिस को बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से यहां पर भटक रही है। महिला के अनुसार शनिवार सुबह 8 बजे बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद महिला को पुलिस अपने वाहन में बिठाया और कांकेर लेकर पहुंची। वहां नगर पालिका की मदद से बच्चे का मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कराया गया। पुलिस ने बताया कि जहां पर महिला मिली, वह गांव उसका मायका है। इसके बाद भी महिला की मदद के लिए कोई नहीं आया।
शादी के बाद बीमार हुई तो पति ने घर से निकाला
महिला से पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि क्ष्मण गावड़े से शादी के बाद उसका स्वास्थ्य बिगड़ा था। इसके बाद पति ने उससे मारपीट शुरू कर दी। उसका इलाज भी नहीं कराया। इस दौरान बच्चे को जन्म दिया, लेकिन वह कुपोषित था। इसके बाद भी प्रताड़ना का दौर जारी रहा। एक दिन पति ने उसे घर से भगा दिया। इसके बाद वह मायके आ गई, लेकिन यहां भी पिता ने कुछ दिन बाद उसे घर से निकाल दिया। जिसके बाद से वह कुछ दिनों से इसी तरह भटक रही थी।
पहले भी एसी हो चुकी है घटनाएं
- साल 2020 में कोयलीबेड़ा थाना के सरगीकोट में एक विक्षिप्त महिला ने शिशु को जन्म दिया था। महिला को परिजनों ने मवेशी के कोठे में बेड़ियों में जकड़ कर रखा था। जन्म के बाद महिला व शिशु दोनों 24 घंटे तक एसे ही पड़े रहे, लेकिन परिजन वहां नहीं पहुंचे। इस मामले में सूचना पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी व उनकी टीम ने रेस्क्यू कर दोनों को वहां से निकाला था।
- जनवरी 2019 में दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग ने एक शिशु को जन्म दिया था। जन्म के तीसरे दिन शिशु की मौत हो गई थी और बालिका के माता-पिता उसे 24 घंटे तक बेड के नीचे गोद में लेकर बैठे रहे थे।