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मरने के बाद भी 19 साल तक चलती रहीं इस शख्स की सांसें...

amarujala.com- Presented by: हर्षिता Updated Wed, 09 Aug 2017 09:13 AM IST
Meet Lal Bihari Mritak the man who was declared dead for 19 years courtsey Indian Bureaucracy
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अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है, तो आपकी मौत का सबूत देना मुश्किल है। सरकार के आदेश के मुताबिक मृतक प्रमाण पत्र के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है। 
काश मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान आया यह फैसला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने ही कार्यकाल में ले लिया होता। कम से कम एक शख्स को अपनी 'जिंदगी' वापस पाने के लिए 19 साल तक का इंतजार तो न करना पड़ता!


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Meet Lal Bihari Mritak the man who was declared dead for 19 years courtsey Indian Bureaucracy
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ये हैं लाल बिहारी मृतक। इनके इस अनोखे 'सरनेम' के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। किस्सा 1975 का है जब उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के अमीलो गांव के रहने वाले इस शख्स को सरकारी बाबूओं ने मरा हुआ घोषित कर दिया था। इन्हें अपनी मौत के बारे में तब पता चला जब यह लोन लेने के लिए रेवेन्यू ऑफिस गए। सरकारी दस्तावेज के मुताबिक लाल बिहारी आधिकारिक तौर पर मृत घोषित कर दिये जा चुके थे। 


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दरअसल, लाल बिहारी के चाचा ने इनकी जमीन हड़पने के लिए सरकारी मुलाजिमों को घूस देकर मरा हुआ घोषित करवा दिया था। खुद को जिंदा साबित करने के लिए लाल बिहारी ने दर दर की ठोकरें खाईं, ढेर सारे हथकंडे अपनाए, खुद का श्राद्ध किया, 'विधवा' पत्नी के लिए मुआवजा तक मांग लिया। यहां तक कि 1989 में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव तक लड़ने को खड़े हो गए। इसके पहले 1988 में उन्होंने इलाहाबाद संसदीय सीट से पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था।
 
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दिलचस्प बात यह रही कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान उन्हें 'लाल बिहारी मृतक हाजिर हो' कहकर बुलाया जाता था। इसके बाद उन्होंने खुद अपने नाम से 'मृतक' शब्द जोड़ लिया। आखिरकार 1994 में पूरे 19 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इन्हें इंसाफ मिला। साल 2003 में लाल बिहारी मृतक को Ig Nobel Prize से भी सम्मानित किया गया। 

 
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इस दौरान उन्हें 100 ऐसे लोगों के बारे में पता चला जिन्हें जिंदा रहते ही मृत घोषित कर दिया गया। उन्हें भी इंसाफ दिलाने के लिए 'मृतक संघ' की स्थापना की। कुछ ही सालों में इसके कुल 20 हजार लोग जुड़ गए। पीटीआई में छपी एक खबर के मुताबिक लाल बिहारी के प्रयासों के कारण कम से कम पांच हजार लोगों के न्याय मिल चुका है। जो इनके साथ हुआ वह किसी और के साथ न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए लाल बिहारी मृतक ने कई कदम उठाए। साल 2004 में उन्होंने 'मृतक संघ' के एक सदस्य शिवदत्त यादव को आर्थिक सहायता दी जब वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के खिलाफ चुनाव में खड़े हुए।
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