जब भी आप ट्रेन में सफर करते हैं या फिर अपने रिश्तेदार को रेलवे स्टेशन पर छोड़ने जाते हैं तो आपने गौर किया होगा कि स्टेशन से सफर के लिए जाने वाला इंजन लगातार चालू रहता है। चाहे कितनी भी देर हो जाए लोको पायलट डीजल इंजन को बंद नहीं करता है। ऐसे में आपके मन में ये सवाल कभी न कभी तो जरूर आया होगा कि ट्रेन के इंजन को बंद क्यों नहीं किया जाता है।
जैसा कि आप जानते होंगे कि भारतीय रेलवे नेटवर्क दुनिया में चौथे स्थान पर आता है। इस रेल नेटवर्क में हर दिन लाखों यात्री यात्रा करते हैं। आपको बता दें कि भारतीय रेलवे में आज भी आधे से ज्यादा इंजन डीजल से चलते हैं।
हालांकि, भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क में बिजली से चलने वाले ज्यादा से ज्यादा इंजन लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। आने वाले समय में हमें भारतीय रेल में अधिकतर बिजली से चलने वाले इंजन देखने को मिल जाएंगे। अगर डीजल इंजन को बंद कर दिया जाए तो इसके कंप्रेसर पर गलत असर पड़ता है और इसका ब्रेकिंग सिस्टम भी फेल हो सकता है।
आपको बता दें कि हर एक डीजल इंजन में एक बैटरी लगी होती है और ये बैटरी तभी चार्ज होती है जब इंजन चालू रहता है अगर ये बैटरी चार्ज न हो तो ट्रेन का लोको मोटिव सिस्टम फेल हो सकता है। रास्ते में लाल बत्ती आ जाने पर या किसी कारणवश ट्रेन के डीजल इंजन को बंद कर दिया जाए तो इंजन को फिर से चालू करने के लिए लगभग 20 मिनट लग जाते हैं। इन सबके अलावा डीजल इंजन को चालू करने के लिए काफी ज्यादा डीजल की जरूरत पड़ती है।
इससे साफ होता कि डीजल की खपत को बचाने के लिए इंजन को बंद नहीं किया जाता है। अब आप जान गए होंगे कि ट्रेन के डीजल इंजन को बंद क्यों नहीं किया जाता है। आपको बता दें कि आने वाले समय में हमें ट्रेन के डीजल इंजन शायद देखने को ही न मिले क्योंकि इनकी जगह बिजली से चलने वाले ज्यादा से ज्यादा इंजन लाने की कोशिश की जा रही है और इससे रेलवे और पर्यावरण दोनों को फायदा होगा।