बाजार में कार खरीदने वालों के सामने कई विकल्प मौजूद हैं। ऐसे में ये दुविधा हो जाती है कि कौन सी कार आपकी जरूरतों के हिसाब से एकदम बेस्ट रहेगी। इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि पेट्रोल, डीजल, सीएनजी या फिर ईवी सेगमेंट में से किस सेगमेंट की कार आपके लिए बेस्ट हो सकती है।
पेट्रोल
भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अभी तक कारें मुख्य तौर पर पेट्रोल और डीजल से ही चलती रही हैं। आम धारणा है कि अगर सस्ती कार, कम मेंटिनेंस और कम रनिंग है तो पेट्रोल कार बेस्ट ऑप्शन होती है। पेट्रोल भले ही डीजल से महंगा हो लेकिन लंबी अवधि में पेट्रोल कार की मेंटिनेंस डीजल के मुकाबले कम होती है। पेट्रोल कार डीजल के मुकाबले कम प्रदूषण करती हैं। इनके अलावा अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं तो यहां पर पेट्रोल कार पूरे 15 साल चलाई जा सकती है।
डीजल
पेट्रोल के अलावा अभी तक डीजल इंजन वाली कारों का ही विकल्प मौजूद था। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर आपकी रनिंग ज्यादा है तो आपको पेट्रोल के मुकाबले डीजल कार खरीदनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि देशभर में डीजल के दाम पेट्रोल से कम हैं। पेट्रोल की ही तरह डीजल भी देश में कहीं भी आसानी से उपलब्ध है। डीजल इंजन वाली कारें पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा एवरेज देती हैं। पेट्रोल के मुकाबले डीजल कारों के कुछ नुकसान भी हैं। दिल्ली एनसीआर में डीजल इंजन वाली कारों की वैधता अब 10 साल रह गई है। डीजल इंजन वाली कारों का रखरखाव पेट्रोल की तुलना में ज्यादा होता है। इनके पार्ट भी महंगे होते हैं। अब पेट्रोल और डीजल के दाम में भी ज्यादा अंतर नहीं है और पेट्रोल के मुकाबले डीजल कारों की कीमत में भी ज्यादा फर्क नहीं रह गया है।
सीएनजी
दुनियाभर में बढ़ते प्रदूषण के कारण सीएनजी का विकल्प सामने आया। सीएनजी की कारों से पेट्रोल और डीजल वाली कारों के जितना प्रदूषण नहीं होता इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी सही रहती हैं। पेट्रोल और डीजल जैसे परंपरागत ईंधन के मुकाबले सीएनजी सस्ती भी है और ये जेब पर ज्यादा भारी भी नहीं पड़ती। सीएनजी के फायदे तो हैं लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जैसे कार में सीएनजी लगवाने पर या कंपनी से फिट सीएनजी कार लेने पर कार की डिग्गी में जगह काफी कम रह जाता है और कुछ कारों में तो जगह बिल्कुल खत्म हो जाती है। सीएनजी सस्ती भले ही हो लेकिन देशभर में आसानी से नहीं मिलती। पिछले कुछ सालों में सीएनजी स्टेशन कई जगह खुले हैं लेकिन अभी-भी सीएनजी भरवाने के लिए लाइन में लगना आम बात है। सीएनजी कार का रखरखाव भी पेट्रोल कार से थोड़ा महंगा होता है। कंपनी से फिट आने वाली सीएनजी कारों में तो क्वालिटी पार्ट्स लगाए जाते हैं लेकिन बाहर से लगवाने में कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पेट्रोल कार के मुकाबले सीएनजी इंजन वाली कार को कम ताकत मिलती है जिससे ओवरटेक करते समय थोड़ी दिक्कत महसूस हो सकती है।
इलेक्ट्रिक वाहन
दुनिया भर में प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार कारणों में वाहन भी हैं। पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कारों के बाद भी बड़ी संख्या में प्रदूषण फैल रहा है जिससे तापमान बढ़ रहा है। इसको कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार काफी जोर दे रही है। सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। ईवी से चलने वाली कारें भी आम कार जैसी ही हैं लेकिन आम कारों में इंजन की जगह इनमें मोटर होती है और फ्यूल टैंक की जगह बैट्री काम करती है। ईवी कारें बाकी अन्य किसी भी तरह के ईंधन की कारों की तुलना में काफी कम खर्च पर चलती हैं। इनके साथ समस्या ये है कि बैट्री की क्षमता के मुताबिक इन कारों से निश्चित किलोमीटर तक ही चला जा सकता है इसके बाद बैट्री को दोबारा से चार्ज करने पर ही यात्रा पूरी की जा सकती है। बैट्री चार्ज करने में समय भी लगता है। इसके अलावा अभी पूरे देश में ईवी कारों के लिए ढांचा तैयार नहीं है लेकिन सरकार इसपर काफी तेजी से काम कर रही है।