करीब ढाई साल के लंबे समय के बाद शनि राशि बदलने वाले हैं। 24 जनवरी 2020 को शनि धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के मकर राशि में प्रवेश करते ही सभी 12 राशियों पर इनका प्रभाव पड़ेगा। शनि के राशि परिवर्तन से कई राशि के जातकों के अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे तो वहीं कुछ की परेशानियां बढ़ जाएंगी। शनि के मकर राशि में गोचर से मिथुन राशि के जातकों पर कितना असर पड़ेगा आइए जानते हैं।
साल 2020 में मिथुन राशि पर शनि की साढ़ेसाती
शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से मिथुन राशि वालों के ऊपर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी। इसका मिथुन राशि के जातकों पर कैसा असर रहेगा आगे जानते हैं।
30 साल बाद शनि के मकर राशि में प्रवेश पर मिथुन राशि पर क्या होगा असर
आपकी राशि से आठवें भाव में शनिदेव का गोचर कई तरह के मिलेजुले फल देगा क्योंकि, इस भाव में गोचर करते हुए इनकी लघु कल्याणी ढैय्या का शुभारंभ करना आपके लिए कई तरह से परीक्षा लेने वाला सिद्ध होगा इसलिए वर्ष पर्यंत आपको अपने कार्य तथा निर्णय बहुत सावधानीपूर्वक करने होंगे, भावनाओं में बहकर लिया गया निर्णय नुकसान दे सिद्ध हो सकता है। कालपुरुष की जन्मकुंडली में अष्टमभाव से आयु, आरोग्यता, जीवन-मृत्यु, विदेश यात्रा, आकस्मिक धन लाभ, स्थान परिवर्तन, दुर्घटना, असाध्य रोग, पेट से संबंधित विकार, यौन रोग, प्रताप, कीर्ति, ससुराल की समृद्धि, भाइयों के शत्रु एवं जातक की मृत्यु केनसमय एवं प्रकार आदि के विषय में विचार किया जाता है। इस वर्ष मकर राशि में गोचर करते समय शनि जीवन के इन्हीं भागों को अत्यधिक प्रभावित करेंगे।
मिथुन राशि अथवा लग्न में पैदा होने वाले जातकों के लिए शनिदेव का मिलाजुला फल सदैव रहता है क्योंकि वह अष्टम भाव के स्वामी होने के साथ-साथ धर्म तथा भाग्यभाव के भी स्वामी होते हैं। अतः भाग्य वृद्धि एवं कामयाबी की दृष्टि से तो ये जातक को हमेशा आगे बढ़ाते हैं किंतु कहीं ना कहीं जातक को स्वास्थ्य से संबंधित चिंता भी देता है। यहां तक कि कार्यक्षेत्र में कई बार ऐसे लोग ऐसी गलतियों के लिए दंडित किए जाते हैं जो गलतियां उन्होंने की ही नहीं, यानी षड्यंत्र का शिकार होने का भय हमेशा बना रहता है और जिसकी भी मदद करेंगे वे उस तरह का सम्मान वापस नही करेंगे बल्कि अपयश का भागीदार बनाने में भी पीछे नहीं रहेंगे। इस राशि के जातकों का भाग्योदय जीवन के 36वें वर्ष होता है, उससे पहले इन्हें अपने आप को स्थापित करने में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
इस भाव में गोचर करने से आपका भाग्य उदय तो होगा किन्तु आरंभ तरह-तरह की बाधाओं का सामना भी करना पड़ेगा। यहां से शनिदेव की तृतीय नीच दृष्टि आपके कर्मभाव पर पड़ेगी जिसके परिणाम स्वरूप कार्यक्षेत्र में स्थान परिवर्तन का योग बनेगा। माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति आपको अधिक चिंतनशील रहना पड़ेगा। अपनी योजनाओं को गोपनीय रखते हुए हर कार्य संपन्न करें और अपने विभाग से संबंधित शासन सत्ता के उच्चाधिकारियों से संबंधों में और प्रगाढ़ता लाएं। नए कार्य अथवा व्यापार आरंभ करना चाह रहे हों तो अच्छे मुहूर्त में करें आरंभ में आय और व्यय का औसत बराबर होगा किंतु धीरे-धीरे उन्नति होती जाएगी। इसी भाव से शनिदेव की सप्तम मारक दृष्टि आपके धनभाव-कुटुंब पर पड़ेगी इसलिए आपके लिए विशेष सलाह है कि अत्यधिक खर्च से बचें अन्यथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। इसका सुखद पक्ष यह भी है कि आपको आकस्मिक धन प्राप्ति का योग भी बनेगा और किसी महँगी वस्तु का क्रय भी करेंगे। अपने क्रोध पर नियंत्रण, और वाणी में मधुरता रखते हुए परिवार में एकता बनाए रखें बिघटन न पैदा होने दें।